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बिछड़ना तुमसे नियति पर प्राण संकट घिर गया था, यूं लगा कुछ गांठ से मानो हमारी गिर गया था, मांग बैठा था समंदर सब बटोरे सीप मोती याचना करती रही थी आंसुओं से पांव धोती.. तुम विदा में दे न पाए एक आलिंगन हमारा.. और तुम आये नहीं आना ज़रूरी था तुम्हारा। सृजना के अंतर्मन से...💞 लेखक - Shubh Pandit ✨ इलाहाबादी ✨ ©Dharma pandit( Unbreakable)

#Death  बिछड़ना तुमसे नियति पर प्राण संकट घिर गया था,
यूं लगा कुछ गांठ से मानो हमारी गिर गया था,
मांग बैठा था समंदर सब बटोरे सीप मोती
याचना करती रही थी आंसुओं से पांव धोती..
तुम विदा में दे न पाए एक आलिंगन  हमारा..
और तुम आये नहीं आना ज़रूरी था तुम्हारा।
सृजना के अंतर्मन से...💞
लेखक - Shubh Pandit ✨ इलाहाबादी ✨

©Dharma pandit( Unbreakable)

#Death sad poetry

12 Love

sad poetry

126 View

कभी भूल न जाएं बीता हुआ कोई गमगीन लम्हा इसलिए.. पग–पग पर कुछ घाव लगने भी ज़रूरी हैं। रोना ही आदत न बन जाए कहीं इसलिए... समय के साथ खुद में कुछ बदलाव भी जरुरी हैं। कभी हॅंस लें जी भर तो.. कभी थोड़े रुआँसे भी हो जाएं, हाल कोई भी हो लेकिन, मुस्कुराते रहने और खीझने के ये चाव भी बहुत ज़रूरी हैं। ©Deepa Ruwali

#शायरी #ArabianNight #SAD  कभी भूल न जाएं बीता हुआ कोई गमगीन लम्हा
         इसलिए..
 पग–पग पर कुछ घाव लगने भी ज़रूरी हैं।
    रोना ही आदत न बन जाए कहीं
       इसलिए...
  समय के साथ खुद में कुछ बदलाव भी जरुरी हैं।
      कभी हॅंस लें जी भर तो..
  कभी थोड़े रुआँसे भी हो जाएं,
   हाल कोई भी हो लेकिन,
   मुस्कुराते रहने और खीझने के ये चाव भी बहुत ज़रूरी हैं।

©Deepa Ruwali

#ArabianNight #SAD #Poetry

15 Love

sad poetry

72 View

Hinduism sad poetry

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इतना हंस-हंस कर मिलते हैं सबसे कौन मानेगा कि हम टूटे हैं अंदर से ©_बेखबर

#SAD  इतना हंस-हंस कर मिलते हैं सबसे 
कौन मानेगा कि हम टूटे हैं अंदर से

©_बेखबर

#SAD

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बिछड़ना तुमसे नियति पर प्राण संकट घिर गया था, यूं लगा कुछ गांठ से मानो हमारी गिर गया था, मांग बैठा था समंदर सब बटोरे सीप मोती याचना करती रही थी आंसुओं से पांव धोती.. तुम विदा में दे न पाए एक आलिंगन हमारा.. और तुम आये नहीं आना ज़रूरी था तुम्हारा। सृजना के अंतर्मन से...💞 लेखक - Shubh Pandit ✨ इलाहाबादी ✨ ©Dharma pandit( Unbreakable)

#Death  बिछड़ना तुमसे नियति पर प्राण संकट घिर गया था,
यूं लगा कुछ गांठ से मानो हमारी गिर गया था,
मांग बैठा था समंदर सब बटोरे सीप मोती
याचना करती रही थी आंसुओं से पांव धोती..
तुम विदा में दे न पाए एक आलिंगन  हमारा..
और तुम आये नहीं आना ज़रूरी था तुम्हारा।
सृजना के अंतर्मन से...💞
लेखक - Shubh Pandit ✨ इलाहाबादी ✨

©Dharma pandit( Unbreakable)

#Death sad poetry

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sad poetry

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कभी भूल न जाएं बीता हुआ कोई गमगीन लम्हा इसलिए.. पग–पग पर कुछ घाव लगने भी ज़रूरी हैं। रोना ही आदत न बन जाए कहीं इसलिए... समय के साथ खुद में कुछ बदलाव भी जरुरी हैं। कभी हॅंस लें जी भर तो.. कभी थोड़े रुआँसे भी हो जाएं, हाल कोई भी हो लेकिन, मुस्कुराते रहने और खीझने के ये चाव भी बहुत ज़रूरी हैं। ©Deepa Ruwali

#शायरी #ArabianNight #SAD  कभी भूल न जाएं बीता हुआ कोई गमगीन लम्हा
         इसलिए..
 पग–पग पर कुछ घाव लगने भी ज़रूरी हैं।
    रोना ही आदत न बन जाए कहीं
       इसलिए...
  समय के साथ खुद में कुछ बदलाव भी जरुरी हैं।
      कभी हॅंस लें जी भर तो..
  कभी थोड़े रुआँसे भी हो जाएं,
   हाल कोई भी हो लेकिन,
   मुस्कुराते रहने और खीझने के ये चाव भी बहुत ज़रूरी हैं।

©Deepa Ruwali

#ArabianNight #SAD #Poetry

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sad poetry

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Hinduism sad poetry

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इतना हंस-हंस कर मिलते हैं सबसे कौन मानेगा कि हम टूटे हैं अंदर से ©_बेखबर

#SAD  इतना हंस-हंस कर मिलते हैं सबसे 
कौन मानेगा कि हम टूटे हैं अंदर से

©_बेखबर

#SAD

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