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New period 6 politics and power Status, Photo, Video

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डगमगाया हूं पर हारा नहीं, सियासत का खेल है, सारा यही। जीत कर भी मुकाम जो पाया नहीं, एक कदम पीछे, पर दिल घबराया नहीं। कुर्सी की जंग में चली चाल नई, सत्ता के संग दोस्ती भी बेमायनी। नेता जी ने झुककर दिखा दी मिसाल, जनता की खातिर किया हर सवाल। राजनीति में ऊंच-नीच का है खेल, कभी जीत का ताज, कभी हार का मेल। पद पीछे सही, मगर हौसला वही, नेता जी का जज्बा, मिसाल बनी। ©Balwant Mehta

#कविता #maharashtra #Politics  डगमगाया हूं पर हारा नहीं,
सियासत का खेल है, सारा यही।
जीत कर भी मुकाम जो पाया नहीं,
एक कदम पीछे, पर दिल घबराया नहीं।

कुर्सी की जंग में चली चाल नई,
सत्ता के संग दोस्ती भी बेमायनी।
नेता जी ने झुककर दिखा दी मिसाल,
जनता की खातिर किया हर सवाल।

राजनीति में ऊंच-नीच का है खेल,
कभी जीत का ताज, कभी हार का मेल।
पद पीछे सही, मगर हौसला वही,
नेता जी का जज्बा, मिसाल बनी।

©Balwant Mehta
#MaharashtraPolitics #Politics

White இப்போதெல்லாம் நிறைய தனியார் நிறுவனங்களில் எங்காவது பார்க்கப்போவதை நம்மிடம் இங்கேயே பார்க்கட்டும் என உறவினர்களை பணிக்கு அமர்த்துகிறார்கள். எல்லோரையும் போல அவர்களும் சக பணியாளர்களே.‌‌..! ஆனால்.. எரிச்சல் அடைய வைக்கிறது.. பணி சார்ந்த நம் சந்தேகங்களுக்கு "சித்தப்பா சொன்னார்.. தம்பியிடம் பேசிக்கொள்கிறேன். அக்காவிடம் கேட்டிருக்கிறேன்... மேலும் மாமா, மாப்பிள்ளை " போன்ற சம்பாஷனைகள்.‌ அலுவல் சார்ந்த விஷயங்களில் உறவு முறைகளை உட் கொணர்தல் நாகரீகமான செயல்களன்று. இது எப்போது புரியப்போகிறது இவர்களுக்கு? -ஸ்ரீதர்.ஐ.கே. ©I.K.Sridhar

#எண்ணங்கள்  White இப்போதெல்லாம் நிறைய 
தனியார் நிறுவனங்களில் 
எங்காவது பார்க்கப்போவதை
நம்மிடம் இங்கேயே பார்க்கட்டும் 
என உறவினர்களை பணிக்கு 
அமர்த்துகிறார்கள். 
எல்லோரையும் போல 
அவர்களும் சக பணியாளர்களே.‌‌..!
ஆனால்..
எரிச்சல் அடைய வைக்கிறது..
பணி சார்ந்த நம் சந்தேகங்களுக்கு
"சித்தப்பா சொன்னார்..
தம்பியிடம் பேசிக்கொள்கிறேன்.
அக்காவிடம் கேட்டிருக்கிறேன்...
மேலும் மாமா, மாப்பிள்ளை "
போன்ற சம்பாஷனைகள்.‌
அலுவல் சார்ந்த விஷயங்களில்
உறவு முறைகளை உட் கொணர்தல்
நாகரீகமான செயல்களன்று.
இது எப்போது புரியப்போகிறது 
இவர்களுக்கு?
-ஸ்ரீதர்.ஐ.கே.

©I.K.Sridhar

office politics

16 Love

राजनीति की रोटी, घी से तले, हर नेता कहे, "हम देश संभाले!" वादे हज़ारों, सचाई है खोई, वोटों की खातिर, हर चाल चली जाए। मध्यम वर्ग का सपना अधूरा, कभी EMI, कभी बिजली का फंदा। बजट में जीता, महंगाई से हारा, छोटी-सी खुशी भी बन जाए प्यारा। हर चुनाव में फिर से नया सपना दिखाते, नेता जी आते, बस वादे थमाते। मध्यम वर्ग सोचता, "कब तक ये धोखा?" पर चलती है ज़िंदगी, इसी आशा में खोखा। नेता के बेटे विदेश में पढ़े, मध्यम वर्ग का बच्चा कर्ज में पड़े। घर के सपने, रोज़मर्रा में बिखरे, पर ज़िंदा रहे, उम्मीदें समेटे। देश बदलने का नारा है प्यारा, पर मध्यम वर्ग का संघर्ष है सारा। राजनीति की बिसात पर मोहरे हैं हम, चुपचाप सहें सब, फिर भी न बोलें हम। ©Avinash Jha

#Politics #protest  राजनीति की रोटी, घी से तले,
हर नेता कहे, "हम देश संभाले!"
वादे हज़ारों, सचाई है खोई,
वोटों की खातिर, हर चाल चली जाए।

मध्यम वर्ग का सपना अधूरा,
कभी EMI, कभी बिजली का फंदा।
बजट में जीता, महंगाई से हारा,
छोटी-सी खुशी भी बन जाए प्यारा।

हर चुनाव में फिर से नया सपना दिखाते,
नेता जी आते, बस वादे थमाते।
मध्यम वर्ग सोचता, "कब तक ये धोखा?"
पर चलती है ज़िंदगी, इसी आशा में खोखा।

नेता के बेटे विदेश में पढ़े,
मध्यम वर्ग का बच्चा कर्ज में पड़े।
घर के सपने, रोज़मर्रा में बिखरे,
पर ज़िंदा रहे, उम्मीदें समेटे।

देश बदलने का नारा है प्यारा,
पर मध्यम वर्ग का संघर्ष है सारा।
राजनीति की बिसात पर मोहरे हैं हम,
चुपचाप सहें सब, फिर भी न बोलें हम।

©Avinash Jha
#Motivational #power

#power and importance of govt job

126 View

तुम गरीब हो धर्म का झंडा उठा कर क्या कर लोगे अमीर होते तुम या रोजगार से जुड़े होते तो शायद सड़को पर नही होते और कभी ना झंडा उठाये,तपती धूँप मे झूलस्ते हुये होते नारे लगाते हुये, गले को फाड़ कर कभी ना प्यासे होते धहाड़ी मजदूर से भी कम मे यूँ खुद को ना सताये होते नशे की लत होगी ज़रूर ही तभी तो सब झेल गये यूँ एक अपनी "तलब" के लिये खुद को खतरे मे डाल गये ये तलब होगी शायद दिमाग मे भरे गौबर की तुम मरो कटो सड़को पर वो ठंडक ले AC की चलो अब आता हुं उस श्र्णी पर जो सम्पन्न है मगर सत्ता का लोभ उसे है उसे सत्ता का टट्टू बनना है और समाज मे एक रौब कायम करना है अब इन्हे चन्दे से गरीबो की भीड़ जुटाना है àऔर खुद की गाड़ी पर एक सत्ताधारी झंडा लगाना है कौन है वो जिनके लिये तुम बारूद के ढ़ेर पर हो तुम मे भर कर धर्म की चिंगारी खुद कुर्सी पर ये शेर है सड़को पर तुम्हे उतार कर खुद क्यूँ ज़मी पर नही आते तुम्हे शिकार बना कर ये सत्ता की रोटी खाते किस को किस से डर किस का मजहब खतरे में कौंन बताये कौन तय करे कौन सही पर मौन है तुम्हारे मन मे भरे ये मैल दुसरे धर्म के लिये खुद पीते साथ मे कोफी जायें शादियो मे एक साथ और खाये साथ मे कीमा बौटी तुम्हारे लिये सिर्फ है इन्होने दी है वैधानिक चेतवानी खतरे मे हो तुम ऐसा डरा कर ही इन्हे मिलेगी सत्ता की चाशनी -जय हिन्द ©Ali Rashid Hasrat

#Politics #Quotes  तुम गरीब हो धर्म का झंडा उठा कर क्या कर लोगे 
अमीर होते तुम या रोजगार से जुड़े होते तो शायद सड़को पर नही होते 
और कभी ना झंडा उठाये,तपती धूँप मे झूलस्ते हुये होते 
नारे लगाते हुये, गले को फाड़ कर कभी ना प्यासे होते 
धहाड़ी मजदूर से भी कम मे यूँ खुद को ना सताये होते 
नशे की लत होगी ज़रूर ही तभी तो सब झेल गये 
यूँ एक अपनी "तलब" के लिये खुद को खतरे मे डाल गये 
ये तलब होगी शायद दिमाग मे भरे गौबर की 
तुम मरो कटो सड़को पर वो ठंडक  ले AC की  
चलो अब आता हुं उस श्र्णी पर जो सम्पन्न है मगर 
सत्ता का लोभ उसे है 
उसे सत्ता का टट्टू बनना है और समाज मे एक रौब कायम करना है 
अब इन्हे चन्दे से गरीबो की भीड़ जुटाना है
àऔर खुद की गाड़ी पर एक सत्ताधारी झंडा लगाना है 
कौन है वो जिनके लिये तुम बारूद के ढ़ेर पर हो 
तुम मे भर कर धर्म की चिंगारी खुद कुर्सी पर ये शेर है 
सड़को पर तुम्हे उतार कर खुद क्यूँ ज़मी पर नही आते 
तुम्हे शिकार बना कर ये सत्ता की रोटी खाते 
किस को किस से डर किस का मजहब खतरे में 
कौंन बताये कौन तय करे कौन सही पर मौन है 
तुम्हारे मन मे भरे ये मैल दुसरे धर्म के लिये 
खुद पीते साथ मे कोफी
जायें शादियो मे एक साथ और खाये साथ मे कीमा बौटी
तुम्हारे लिये सिर्फ है इन्होने दी है वैधानिक चेतवानी 
खतरे मे हो तुम ऐसा डरा कर ही इन्हे मिलेगी सत्ता की चाशनी 
-जय हिन्द

©Ali Rashid Hasrat

#Politics

13 Love

डगमगाया हूं पर हारा नहीं, सियासत का खेल है, सारा यही। जीत कर भी मुकाम जो पाया नहीं, एक कदम पीछे, पर दिल घबराया नहीं। कुर्सी की जंग में चली चाल नई, सत्ता के संग दोस्ती भी बेमायनी। नेता जी ने झुककर दिखा दी मिसाल, जनता की खातिर किया हर सवाल। राजनीति में ऊंच-नीच का है खेल, कभी जीत का ताज, कभी हार का मेल। पद पीछे सही, मगर हौसला वही, नेता जी का जज्बा, मिसाल बनी। ©Balwant Mehta

#कविता #maharashtra #Politics  डगमगाया हूं पर हारा नहीं,
सियासत का खेल है, सारा यही।
जीत कर भी मुकाम जो पाया नहीं,
एक कदम पीछे, पर दिल घबराया नहीं।

कुर्सी की जंग में चली चाल नई,
सत्ता के संग दोस्ती भी बेमायनी।
नेता जी ने झुककर दिखा दी मिसाल,
जनता की खातिर किया हर सवाल।

राजनीति में ऊंच-नीच का है खेल,
कभी जीत का ताज, कभी हार का मेल।
पद पीछे सही, मगर हौसला वही,
नेता जी का जज्बा, मिसाल बनी।

©Balwant Mehta
#MaharashtraPolitics #Politics

White இப்போதெல்லாம் நிறைய தனியார் நிறுவனங்களில் எங்காவது பார்க்கப்போவதை நம்மிடம் இங்கேயே பார்க்கட்டும் என உறவினர்களை பணிக்கு அமர்த்துகிறார்கள். எல்லோரையும் போல அவர்களும் சக பணியாளர்களே.‌‌..! ஆனால்.. எரிச்சல் அடைய வைக்கிறது.. பணி சார்ந்த நம் சந்தேகங்களுக்கு "சித்தப்பா சொன்னார்.. தம்பியிடம் பேசிக்கொள்கிறேன். அக்காவிடம் கேட்டிருக்கிறேன்... மேலும் மாமா, மாப்பிள்ளை " போன்ற சம்பாஷனைகள்.‌ அலுவல் சார்ந்த விஷயங்களில் உறவு முறைகளை உட் கொணர்தல் நாகரீகமான செயல்களன்று. இது எப்போது புரியப்போகிறது இவர்களுக்கு? -ஸ்ரீதர்.ஐ.கே. ©I.K.Sridhar

#எண்ணங்கள்  White இப்போதெல்லாம் நிறைய 
தனியார் நிறுவனங்களில் 
எங்காவது பார்க்கப்போவதை
நம்மிடம் இங்கேயே பார்க்கட்டும் 
என உறவினர்களை பணிக்கு 
அமர்த்துகிறார்கள். 
எல்லோரையும் போல 
அவர்களும் சக பணியாளர்களே.‌‌..!
ஆனால்..
எரிச்சல் அடைய வைக்கிறது..
பணி சார்ந்த நம் சந்தேகங்களுக்கு
"சித்தப்பா சொன்னார்..
தம்பியிடம் பேசிக்கொள்கிறேன்.
அக்காவிடம் கேட்டிருக்கிறேன்...
மேலும் மாமா, மாப்பிள்ளை "
போன்ற சம்பாஷனைகள்.‌
அலுவல் சார்ந்த விஷயங்களில்
உறவு முறைகளை உட் கொணர்தல்
நாகரீகமான செயல்களன்று.
இது எப்போது புரியப்போகிறது 
இவர்களுக்கு?
-ஸ்ரீதர்.ஐ.கே.

©I.K.Sridhar

office politics

16 Love

राजनीति की रोटी, घी से तले, हर नेता कहे, "हम देश संभाले!" वादे हज़ारों, सचाई है खोई, वोटों की खातिर, हर चाल चली जाए। मध्यम वर्ग का सपना अधूरा, कभी EMI, कभी बिजली का फंदा। बजट में जीता, महंगाई से हारा, छोटी-सी खुशी भी बन जाए प्यारा। हर चुनाव में फिर से नया सपना दिखाते, नेता जी आते, बस वादे थमाते। मध्यम वर्ग सोचता, "कब तक ये धोखा?" पर चलती है ज़िंदगी, इसी आशा में खोखा। नेता के बेटे विदेश में पढ़े, मध्यम वर्ग का बच्चा कर्ज में पड़े। घर के सपने, रोज़मर्रा में बिखरे, पर ज़िंदा रहे, उम्मीदें समेटे। देश बदलने का नारा है प्यारा, पर मध्यम वर्ग का संघर्ष है सारा। राजनीति की बिसात पर मोहरे हैं हम, चुपचाप सहें सब, फिर भी न बोलें हम। ©Avinash Jha

#Politics #protest  राजनीति की रोटी, घी से तले,
हर नेता कहे, "हम देश संभाले!"
वादे हज़ारों, सचाई है खोई,
वोटों की खातिर, हर चाल चली जाए।

मध्यम वर्ग का सपना अधूरा,
कभी EMI, कभी बिजली का फंदा।
बजट में जीता, महंगाई से हारा,
छोटी-सी खुशी भी बन जाए प्यारा।

हर चुनाव में फिर से नया सपना दिखाते,
नेता जी आते, बस वादे थमाते।
मध्यम वर्ग सोचता, "कब तक ये धोखा?"
पर चलती है ज़िंदगी, इसी आशा में खोखा।

नेता के बेटे विदेश में पढ़े,
मध्यम वर्ग का बच्चा कर्ज में पड़े।
घर के सपने, रोज़मर्रा में बिखरे,
पर ज़िंदा रहे, उम्मीदें समेटे।

देश बदलने का नारा है प्यारा,
पर मध्यम वर्ग का संघर्ष है सारा।
राजनीति की बिसात पर मोहरे हैं हम,
चुपचाप सहें सब, फिर भी न बोलें हम।

©Avinash Jha
#Motivational #power

#power and importance of govt job

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तुम गरीब हो धर्म का झंडा उठा कर क्या कर लोगे अमीर होते तुम या रोजगार से जुड़े होते तो शायद सड़को पर नही होते और कभी ना झंडा उठाये,तपती धूँप मे झूलस्ते हुये होते नारे लगाते हुये, गले को फाड़ कर कभी ना प्यासे होते धहाड़ी मजदूर से भी कम मे यूँ खुद को ना सताये होते नशे की लत होगी ज़रूर ही तभी तो सब झेल गये यूँ एक अपनी "तलब" के लिये खुद को खतरे मे डाल गये ये तलब होगी शायद दिमाग मे भरे गौबर की तुम मरो कटो सड़को पर वो ठंडक ले AC की चलो अब आता हुं उस श्र्णी पर जो सम्पन्न है मगर सत्ता का लोभ उसे है उसे सत्ता का टट्टू बनना है और समाज मे एक रौब कायम करना है अब इन्हे चन्दे से गरीबो की भीड़ जुटाना है àऔर खुद की गाड़ी पर एक सत्ताधारी झंडा लगाना है कौन है वो जिनके लिये तुम बारूद के ढ़ेर पर हो तुम मे भर कर धर्म की चिंगारी खुद कुर्सी पर ये शेर है सड़को पर तुम्हे उतार कर खुद क्यूँ ज़मी पर नही आते तुम्हे शिकार बना कर ये सत्ता की रोटी खाते किस को किस से डर किस का मजहब खतरे में कौंन बताये कौन तय करे कौन सही पर मौन है तुम्हारे मन मे भरे ये मैल दुसरे धर्म के लिये खुद पीते साथ मे कोफी जायें शादियो मे एक साथ और खाये साथ मे कीमा बौटी तुम्हारे लिये सिर्फ है इन्होने दी है वैधानिक चेतवानी खतरे मे हो तुम ऐसा डरा कर ही इन्हे मिलेगी सत्ता की चाशनी -जय हिन्द ©Ali Rashid Hasrat

#Politics #Quotes  तुम गरीब हो धर्म का झंडा उठा कर क्या कर लोगे 
अमीर होते तुम या रोजगार से जुड़े होते तो शायद सड़को पर नही होते 
और कभी ना झंडा उठाये,तपती धूँप मे झूलस्ते हुये होते 
नारे लगाते हुये, गले को फाड़ कर कभी ना प्यासे होते 
धहाड़ी मजदूर से भी कम मे यूँ खुद को ना सताये होते 
नशे की लत होगी ज़रूर ही तभी तो सब झेल गये 
यूँ एक अपनी "तलब" के लिये खुद को खतरे मे डाल गये 
ये तलब होगी शायद दिमाग मे भरे गौबर की 
तुम मरो कटो सड़को पर वो ठंडक  ले AC की  
चलो अब आता हुं उस श्र्णी पर जो सम्पन्न है मगर 
सत्ता का लोभ उसे है 
उसे सत्ता का टट्टू बनना है और समाज मे एक रौब कायम करना है 
अब इन्हे चन्दे से गरीबो की भीड़ जुटाना है
àऔर खुद की गाड़ी पर एक सत्ताधारी झंडा लगाना है 
कौन है वो जिनके लिये तुम बारूद के ढ़ेर पर हो 
तुम मे भर कर धर्म की चिंगारी खुद कुर्सी पर ये शेर है 
सड़को पर तुम्हे उतार कर खुद क्यूँ ज़मी पर नही आते 
तुम्हे शिकार बना कर ये सत्ता की रोटी खाते 
किस को किस से डर किस का मजहब खतरे में 
कौंन बताये कौन तय करे कौन सही पर मौन है 
तुम्हारे मन मे भरे ये मैल दुसरे धर्म के लिये 
खुद पीते साथ मे कोफी
जायें शादियो मे एक साथ और खाये साथ मे कीमा बौटी
तुम्हारे लिये सिर्फ है इन्होने दी है वैधानिक चेतवानी 
खतरे मे हो तुम ऐसा डरा कर ही इन्हे मिलेगी सत्ता की चाशनी 
-जय हिन्द

©Ali Rashid Hasrat

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