Balwant Mehta

Balwant Mehta

youtube.com/@Baateinbalwantki

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video

मेरे हमसफ़र, तुम चले तो साथ में बहारें थीं, हर मोड़ पर खुशियों की सौगातें थीं। तेरे साथ चलने से रास्ते भी गुनगुनाते थे, हर मंज़िल पर मानो नए सपने सजाते थे। मेरे हमसफ़र, तेरी बातें अब भी हवाओं में हैं, तेरी हंसी की गूंज अब भी फ़िजाओं में है। तू जहां भी हो, मेरा दिल वही ठहर जाता है, तेरे बिना ये सफर अधूरा सा रह जाता है। ©Balwant Mehta

#कविता  मेरे हमसफ़र, तुम चले तो साथ में बहारें थीं,
हर मोड़ पर खुशियों की सौगातें थीं।
तेरे साथ चलने से रास्ते भी गुनगुनाते थे,
हर मंज़िल पर मानो नए सपने सजाते थे।

मेरे हमसफ़र, तेरी बातें अब भी हवाओं में हैं,
तेरी हंसी की गूंज अब भी फ़िजाओं में है।
तू जहां भी हो, मेरा दिल वही ठहर जाता है,
तेरे बिना ये सफर अधूरा सा रह जाता है।

©Balwant Mehta

मेरे हमसफ़र, तुम चले तो साथ में बहारें थीं, हर मोड़ पर खुशियों की सौगातें थीं। तेरे साथ चलने से रास्ते भी गुनगुनाते थे, हर मंज़िल पर मानो नए सपने सजाते थे। मेरे हमसफ़र, तेरी बातें अब भी हवाओं में हैं, तेरी हंसी की गूंज अब भी फ़िजाओं में है। तू जहां भी हो, मेरा दिल वही ठहर जाता है, तेरे बिना ये सफर अधूरा सा रह जाता है। ©Balwant Mehta

11 Love

White तरस गया है दिल अब उन मुलाकातों को, जहां हंसी की फुहारें थीं, बिना बातों को। वो शामें जो ढलती थीं मुस्कान के संग, अब वीरानी में ढूंढते हैं हम उन रंगों को। तरस गया है दिल अब उस चाँदनी रात को, जहां चाँदनी भी गाती थी अपने जज़्बात को। वो लम्हे जो बिखरे थे खुशबू की तरह, अब समेट रहे हैं बस यादों की बारात को। ©Balwant Mehta

#कविता #GoodNight  White तरस गया है दिल अब उन मुलाकातों को,
जहां हंसी की फुहारें थीं, बिना बातों को।
वो शामें जो ढलती थीं मुस्कान के संग,
अब वीरानी में ढूंढते हैं हम उन रंगों को।

तरस गया है दिल अब उस चाँदनी रात को,
जहां चाँदनी भी गाती थी अपने जज़्बात को।
वो लम्हे जो बिखरे थे खुशबू की तरह,
अब समेट रहे हैं बस यादों की बारात को।

©Balwant Mehta

#GoodNight

13 Love

White याद सताती है याद सताती है उन गलियों की, जहाँ बचपन ने अपने पैर रखे थे। सपनों के वो छोटे-छोटे घर, जहाँ खुशियों के झूले झूले थे। याद सताती है उन चेहरों की, जो हर सुबह मुस्कान लिए मिलते थे। साझा करते थे जो हर दर्द को, सपनों की बातों में खो जाते थे। याद सताती है उन शामों की, जब चाय की प्याली में वक्त ठहरता था। कहानियों में लिपटा हर एक पल, जैसे एक गीत पुराना बजता था। याद सताती है उन राहों की, जहाँ ख्वाबों ने अपनी मंजिलें देखी थीं। हर कदम जो उम्मीदों से भरा था, हर मोड़ पे एक नई खुशी सजी थी। याद सताती है उन पलों की, जो कभी लौट कर नहीं आएंगे। पर दिल के किसी कोने में अब भी, वो यादें चुपचाप मुस्काएंगे। ©Balwant Mehta

#कविता #sad_qoute  White याद सताती है

याद सताती है उन गलियों की,
जहाँ बचपन ने अपने पैर रखे थे।
सपनों के वो छोटे-छोटे घर,
जहाँ खुशियों के झूले झूले थे।

याद सताती है उन चेहरों की,
जो हर सुबह मुस्कान लिए मिलते थे।
साझा करते थे जो हर दर्द को,
सपनों की बातों में खो जाते थे।

याद सताती है उन शामों की,
जब चाय की प्याली में वक्त ठहरता था।
कहानियों में लिपटा हर एक पल,
जैसे एक गीत पुराना बजता था।

याद सताती है उन राहों की,
जहाँ ख्वाबों ने अपनी मंजिलें देखी थीं।
हर कदम जो उम्मीदों से भरा था,
हर मोड़ पे एक नई खुशी सजी थी।

याद सताती है उन पलों की,
जो कभी लौट कर नहीं आएंगे।
पर दिल के किसी कोने में अब भी,
वो यादें चुपचाप मुस्काएंगे।

©Balwant Mehta

#sad_qoute

9 Love

खुद को चुनो खुद को चुनो, जब राहें कठिन हों, अंधेरों में भी जब सपने जवां हों। तूफानों में भी रुक न सको, अपने अंदर हिम्मत जगा लो। खुद को चुनो, जब दुनिया ठुकराए, अपने कदमों से मंज़िल बनाओ। हर ओर से जब सवाल उठे, अपने उत्तर से राह सजाओ। खुद को चुनो, जब कोई न साथ हो, अपने साहस को साथी बना लो। संघर्ष में भी मुस्कान रखो, अपने दिल से पुल बना लो। खुद को चुनो, हर सुबह, हर शाम, खुद की पहचान को खुद से रचो। दुनिया की परवाह छोड़कर, अपने सपनों को साकार करो। ©Balwant Mehta

#कविता  खुद को चुनो

खुद को चुनो, जब राहें कठिन हों,
अंधेरों में भी जब सपने जवां हों।
तूफानों में भी रुक न सको,
अपने अंदर हिम्मत जगा लो।

खुद को चुनो, जब दुनिया ठुकराए,
अपने कदमों से मंज़िल बनाओ।
हर ओर से जब सवाल उठे,
अपने उत्तर से राह सजाओ।

खुद को चुनो, जब कोई न साथ हो,
अपने साहस को साथी बना लो।
संघर्ष में भी मुस्कान रखो,
अपने दिल से पुल बना लो।

खुद को चुनो, हर सुबह, हर शाम,
खुद की पहचान को खुद से रचो।
दुनिया की परवाह छोड़कर,
अपने सपनों को साकार करो।

©Balwant Mehta

खुद को चुनो खुद को चुनो, जब राहें कठिन हों, अंधेरों में भी जब सपने जवां हों। तूफानों में भी रुक न सको, अपने अंदर हिम्मत जगा लो। खुद को चुनो, जब दुनिया ठुकराए, अपने कदमों से मंज़िल बनाओ। हर ओर से जब सवाल उठे, अपने उत्तर से राह सजाओ। खुद को चुनो, जब कोई न साथ हो, अपने साहस को साथी बना लो। संघर्ष में भी मुस्कान रखो, अपने दिल से पुल बना लो। खुद को चुनो, हर सुबह, हर शाम, खुद की पहचान को खुद से रचो। दुनिया की परवाह छोड़कर, अपने सपनों को साकार करो। ©Balwant Mehta

10 Love

White 💥आईआईटीएन बाबा💥 ऊंची शिक्षा, मोटी तनख्वाह का सपना छोड़ा, आत्मा की पुकार ने अभय सिंह को मोड़ा। जहाँ सपनों की बुनाई में लगे थे लोग, वहाँ अभय ने साध लिया एक अलग ही योग। आईआईटी की डिग्री, मान-सम्मान था पास, लेकिन दिल की गहराई में था कोई और ही विश्वास। छोड़ दिए वो बड़े शहर, वो आलीशान मकान, निकले रास्तों पर, जहां था सन्नाटा और ध्यान। अभय से बन गए 'आईआईटीएन बाबा', ज्ञान की गंगा बहाई, जिसने हर दिल को साधा। मंदिरों के चौक, जंगलों के पथ पर, शिक्षा का संदेश देते वो बने संत चरित्र। ©Balwant Mehta

#कविता #sad_qoute  White 💥आईआईटीएन बाबा💥

ऊंची शिक्षा, मोटी तनख्वाह का सपना छोड़ा,
आत्मा की पुकार ने अभय सिंह को मोड़ा।
जहाँ सपनों की बुनाई में लगे थे लोग,
वहाँ अभय ने साध लिया एक अलग ही योग।

आईआईटी की डिग्री, मान-सम्मान था पास,
लेकिन दिल की गहराई में था कोई और ही विश्वास।
छोड़ दिए वो बड़े शहर, वो आलीशान मकान,
निकले रास्तों पर, जहां था सन्नाटा और ध्यान।

अभय से बन गए 'आईआईटीएन बाबा',
ज्ञान की गंगा बहाई, जिसने हर दिल को साधा।
मंदिरों के चौक, जंगलों के पथ पर,
शिक्षा का संदेश देते वो बने संत चरित्र।

©Balwant Mehta

#sad_qoute

12 Love

White एक बार तो सुनो जरा एक बार तो सुनो जरा, इस धरा की पुकार को, नदियों की बहती धारा में, छुपे प्रेम के उद्गार को। फूलों की भीनी खुशबू में, चिड़ियों की चहचहाहट में, हरियाली के इस आँगन में, छुपे हुए संवाद को। एक बार तो सुनो जरा, इस हवा के गीतों को, जो बेजुबां सा चलता है, अपने भीतर की रीतों को। धरती के इस स्पंदन में, समंदर की लहरों में, हर कण-कण की गहराई में, संदेश प्रेम का जो छुपा है। एक बार तो सुनो जरा, इन ध्वनियों की गूंज को, जो अनकही, अनसुनी सी, पर दिल से कहती हैं बहुत कुछ। तुम भी सुनो, हम भी सुनें, इस प्रकृति की बोली को, एक बार तो सुनो जरा, इन अनगिनत सुरों की टोली को। ©Balwant Mehta

#कविता #sad_quotes  White एक बार तो सुनो जरा

एक बार तो सुनो जरा,
इस धरा की पुकार को,
नदियों की बहती धारा में,
छुपे प्रेम के उद्गार को।

फूलों की भीनी खुशबू में,
चिड़ियों की चहचहाहट में,
हरियाली के इस आँगन में,
छुपे हुए संवाद को।

एक बार तो सुनो जरा,
इस हवा के गीतों को,
जो बेजुबां सा चलता है,
अपने भीतर की रीतों को।

धरती के इस स्पंदन में,
समंदर की लहरों में,
हर कण-कण की गहराई में,
संदेश प्रेम का जो छुपा है।

एक बार तो सुनो जरा,
इन ध्वनियों की गूंज को,
जो अनकही, अनसुनी सी,
पर दिल से कहती हैं बहुत कुछ।

तुम भी सुनो, हम भी सुनें,
इस प्रकृति की बोली को,
एक बार तो सुनो जरा,
इन अनगिनत सुरों की टोली को।

©Balwant Mehta

#sad_quotes

15 Love

Trending Topic