White एक बार तो सुनो जरा
एक बार तो सुनो जरा,
इस धरा की पुकार को,
नदियों की बहती धारा में,
छुपे प्रेम के उद्गार को।
फूलों की भीनी खुशबू में,
चिड़ियों की चहचहाहट में,
हरियाली के इस आँगन में,
छुपे हुए संवाद को।
एक बार तो सुनो जरा,
इस हवा के गीतों को,
जो बेजुबां सा चलता है,
अपने भीतर की रीतों को।
धरती के इस स्पंदन में,
समंदर की लहरों में,
हर कण-कण की गहराई में,
संदेश प्रेम का जो छुपा है।
एक बार तो सुनो जरा,
इन ध्वनियों की गूंज को,
जो अनकही, अनसुनी सी,
पर दिल से कहती हैं बहुत कुछ।
तुम भी सुनो, हम भी सुनें,
इस प्रकृति की बोली को,
एक बार तो सुनो जरा,
इन अनगिनत सुरों की टोली को।
©Balwant Mehta
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