मेरे हमसफ़र, तुम चले तो साथ में बहारें थीं,
हर मोड़ पर खुशियों की सौगातें थीं।
तेरे साथ चलने से रास्ते भी गुनगुनाते थे,
हर मंज़िल पर मानो नए सपने सजाते थे।
मेरे हमसफ़र, तेरी बातें अब भी हवाओं में हैं,
तेरी हंसी की गूंज अब भी फ़िजाओं में है।
तू जहां भी हो, मेरा दिल वही ठहर जाता है,
तेरे बिना ये सफर अधूरा सा रह जाता है।
©Balwant Mehta