Dr SONI

Dr SONI Lives in Muzaffarpur, Bihar, India

Mei likhna nahi janti waqt ne sikha diya

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#ekaurat_hu_main #Quotes
#motivationalquotes #morningquotes #WForWriters

खामोशी............ मुझे पसंद है मेरी खामोशी... वह चुप्पी... जिसकी गूंज सुन सकती हूं.. सिर्फ और सिर्फ मैं...। मुझे पसंद है शब्दों की सहजता.... नहीं तोड़ती मरोड़ती मैं उन्हें... निजी स्वार्थों के लिए.. नहीं करती विच्छेद..। हां, मुझे पसंद है.. दीपक कि वह छाया.. जो मौन रहकर सह लेती है सब कुछ.. निष्ठुर दीपक.. करताअनदेखी.. अपने ही घर आता परदेसी बनकर... करता मनमानी... करती हूं सम्मान मैं.. उस परछाई का.... । हां.. पसंद है.. पूनम के मुख का दाग.. जो लगता है मुझे. चांद से भी ज्यादा प्यारा. नहीं उलझती मैं.. इस चकाचौंध रोशनी में.. जी लेती हूं.. रह लेती हूं.. सह लेती हूं.. अभाव भी.... l हां.. पसंद है मुरझाए फूल भी... खोकर उसके रंग-ओ-आब में.. खिल उठती हूं मैं भी.. । हां.. पसंद है. तनहाई.. इस भीड़-भाड़ की दुनिया में.. जहां खोखले हो चुके हैं.. रिश्ते.. जर्जर है प्रेम की इमारते.. मैं असहज हो जाती हूं.. खोना चाहती हूं.. उस शून्य में.. जहां सुन सकूं.. मैं अपने मौन को.. कह सकूं जो कहना चाहती हूं. कई दिन.. महीनों.. साल से.. नहीं खेलती जज्बातों से...। जली थकी आंखों में.. सुकून का सुरमा लगा.. करती हूं वादा.. खुद से.. क्यों भटक रही थी.. किस रोशनी की तलाश में.. इधर-उधर.. जिसे पाया मैंने अपने ही भीतर.... I डॉ सोनी, मुजफ्फरपुर ©Dr SONI

#Fire  खामोशी............

मुझे पसंद है मेरी खामोशी... 
वह चुप्पी... 
जिसकी गूंज सुन सकती हूं.. 
सिर्फ और सिर्फ मैं...। 
मुझे पसंद है शब्दों की सहजता.... 
नहीं तोड़ती मरोड़ती मैं उन्हें... 
निजी स्वार्थों के लिए.. 
नहीं करती विच्छेद..। 
हां, मुझे पसंद है.. 
दीपक कि वह छाया.. 
जो मौन रहकर सह लेती है सब कुछ.. 
निष्ठुर दीपक..
 करताअनदेखी..
 अपने ही घर आता परदेसी बनकर... 
करता मनमानी... 
करती हूं सम्मान मैं.. 
उस परछाई का.... ।
 हां.. पसंद है.. 
पूनम के मुख का दाग.. 
जो लगता है मुझे. 
चांद से भी ज्यादा प्यारा. 
नहीं उलझती मैं.. 
इस चकाचौंध रोशनी में.. 
जी लेती हूं.. 
रह लेती हूं.. 
सह लेती हूं.. 
अभाव भी.... l
हां.. पसंद है मुरझाए फूल भी... 
खोकर उसके रंग-ओ-आब में.. 
 खिल उठती हूं मैं भी.. ।
हां.. पसंद है. 
तनहाई.. 
इस भीड़-भाड़ की दुनिया में.. 
जहां खोखले हो चुके हैं.. 
रिश्ते.. 
जर्जर है प्रेम की इमारते.. 
मैं असहज हो जाती हूं.. 
खोना चाहती हूं.. 
उस शून्य में.. 
जहां सुन सकूं.. 
मैं अपने मौन को.. 
कह सकूं जो कहना चाहती हूं. 
कई दिन.. 
महीनों.. 
साल से.. 
नहीं खेलती जज्बातों से...। 
जली थकी आंखों में.. 
सुकून का सुरमा लगा.. 
करती हूं वादा.. 
खुद से.. 
क्यों भटक रही थी.. 
किस रोशनी की तलाश में.. 
इधर-उधर.. 
जिसे पाया मैंने अपने ही भीतर.... I

डॉ सोनी, मुजफ्फरपुर

©Dr SONI

#Fire खामोशी............ मुझे पसंद है मेरी खामोशी... वह चुप्पी... जिसकी गूंज सुन सकती हूं.. सिर्फ और सिर्फ मैं...। मुझे पसंद है शब्दों की सहजता.... नहीं तोड़ती मरोड़ती मैं उन्हें...

32 Love

गिरधर कहूं मैं कृष्ण कहूं, प्रभु किस विधि तुम्हें मनाऊं, कभी वृंदावन कभी मथुरा की गली, कान्हा को कैसे रिझाऊं l जो तुम तोड़ो प्रभु मैं ना तोडूं प्रीत की डोर तुम्हरे संग जोडूं, तुम सागर मैं नदी की धारा, चहुंओर बस तुमको खोजूं l मन मंदिर में तुम्हें बसा लूँ, स्नेह की बाती का दिया जला लूँ, तुम ठाकुर मैं तुम्हरी दासी, हर श्वास तुम पर लुटा दूँ l इक दरस की प्यास बुझा लूँ, चरण धूलि की तिलक लगा लूँ, नटवर नागर मेरे गोविंदा, कृष्णमय जीवन को कर लूँ l ©Dr SONI

#Krishna #Sea  गिरधर कहूं मैं कृष्ण कहूं, 
प्रभु किस विधि तुम्हें मनाऊं, 
कभी वृंदावन कभी मथुरा की गली, 
कान्हा को  कैसे रिझाऊं l

 जो तुम तोड़ो प्रभु मैं ना तोडूं
प्रीत की डोर तुम्हरे संग जोडूं, 
तुम सागर मैं नदी की धारा, 
चहुंओर बस तुमको खोजूं l

मन मंदिर में तुम्हें बसा लूँ, 
स्नेह की बाती का दिया जला लूँ, 
तुम ठाकुर मैं तुम्हरी दासी, 
 हर श्वास तुम पर लुटा दूँ l

 इक दरस की प्यास बुझा लूँ, 
चरण धूलि की तिलक लगा लूँ, 
 नटवर नागर मेरे गोविंदा, 
कृष्णमय जीवन को कर लूँ l

©Dr SONI

#Krishna #Sea

34 Love

मिल जाएंगे मुझे जैसे लाखों मगर.. तुम जैसा है कोई नहीं... जैसा सोचा.. वैसा पाया.. अब कुछ और की चाह नहीं... कितना कोमल हृदय तुम्हारा.. छल और ईर्ष्या का नाम नहीं.. मैं जैसी भी हूं "तुम्हारे लिए".. मुझ से प्यारा कोई और नहीं l डॉ सोनी, मुजफ्फरपुर ©Dr SONI

#alone  मिल जाएंगे मुझे जैसे लाखों मगर.. 
तुम जैसा है कोई नहीं... 
जैसा सोचा.. वैसा पाया.. 
अब कुछ और की चाह नहीं... 
कितना कोमल हृदय तुम्हारा.. 
छल और ईर्ष्या का नाम नहीं.. 
मैं जैसी भी हूं "तुम्हारे लिए".. 
मुझ से प्यारा कोई और नहीं l

डॉ सोनी, मुजफ्फरपुर

©Dr SONI

#alone

37 Love

यूं ही नहीं... कोई दिल को भाता है.. यूं ही नहीं... कोई अपना सा लगता है... कुछ तो बात है... उसकी सादगी में भी... यूं ही नहीं... मन उस ओर चला जाता है... उसका साथ... है खुला आसमान... जहां ख्वाबों के पंख लगा... पंछी बन उड़ जाती हूं मैं.... रख देती हूं... दिल के जज्बात... करती हूं... ढेर सारी बातें उससे.... सुनती है... वो अक्सर चुप्पी लगा... समझती है मुझे... कहती है नादान हूं मैं... इस दम्भ भरी दुनिया से... अनजान हूं मैं.. पर वो है बड़ी समझदार.. रहती है बिंदास... उसके जिक्र से खुशियां जगे.. उसका शोर भी संगीत लगे, गुणों की भंडार वो.. दुःख कंटक भी सुमन से लगे.. उस पर हक जताना.. अच्छा लगता है... भूल जाती हूं.. हर ग़म को.. बस यूँ ही.. संग हंसना.. अच्छा लगता है.. शायद.. पिछले जन्म का नाता है... उसके बिन.. कहां.. कुछ.. भाता है.. वो है तो सब है.. उस दोस्त में.. दिखता मुझे रब है... ❤️❤️❤️❤️ ©Dr SONI

#YouNme  यूं ही नहीं... 
कोई दिल को भाता है.. 
यूं ही नहीं... 
कोई अपना सा लगता है... 
कुछ तो बात है... 
उसकी सादगी में भी... 
यूं ही नहीं... 
मन उस ओर चला जाता है... 
उसका साथ... 
है खुला आसमान... 
जहां ख्वाबों के पंख लगा... 
पंछी बन उड़ जाती हूं मैं.... 
रख देती हूं... 
दिल के जज्बात... 
करती हूं... 
ढेर सारी बातें उससे.... 
सुनती है... 
वो अक्सर चुप्पी लगा... 
समझती है मुझे... 
कहती है नादान हूं मैं... 
इस दम्भ भरी दुनिया से... 
अनजान हूं मैं.. 
पर वो है बड़ी समझदार.. 
रहती है बिंदास... 
उसके जिक्र से खुशियां जगे.. 
उसका शोर भी संगीत लगे, 
गुणों की भंडार वो.. 
दुःख कंटक भी सुमन से लगे.. 
उस पर हक जताना.. 
अच्छा लगता है... 
भूल जाती हूं.. 
हर ग़म को.. 
बस यूँ ही.. 
संग हंसना.. अच्छा लगता है.. 
शायद.. 
पिछले जन्म का नाता है... 
उसके बिन.. 
कहां.. कुछ.. भाता है.. 
वो है तो सब है.. 
उस दोस्त में.. 
दिखता मुझे रब है... 
❤️❤️❤️❤️

©Dr SONI

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