गिरधर कहूं मैं कृष्ण कहूं, प्रभु किस विधि तुम्हें | हिंदी Poetry

"गिरधर कहूं मैं कृष्ण कहूं, प्रभु किस विधि तुम्हें मनाऊं, कभी वृंदावन कभी मथुरा की गली, कान्हा को कैसे रिझाऊं l जो तुम तोड़ो प्रभु मैं ना तोडूं प्रीत की डोर तुम्हरे संग जोडूं, तुम सागर मैं नदी की धारा, चहुंओर बस तुमको खोजूं l मन मंदिर में तुम्हें बसा लूँ, स्नेह की बाती का दिया जला लूँ, तुम ठाकुर मैं तुम्हरी दासी, हर श्वास तुम पर लुटा दूँ l इक दरस की प्यास बुझा लूँ, चरण धूलि की तिलक लगा लूँ, नटवर नागर मेरे गोविंदा, कृष्णमय जीवन को कर लूँ l ©Dr SONI"

 गिरधर कहूं मैं कृष्ण कहूं, 
प्रभु किस विधि तुम्हें मनाऊं, 
कभी वृंदावन कभी मथुरा की गली, 
कान्हा को  कैसे रिझाऊं l

 जो तुम तोड़ो प्रभु मैं ना तोडूं
प्रीत की डोर तुम्हरे संग जोडूं, 
तुम सागर मैं नदी की धारा, 
चहुंओर बस तुमको खोजूं l

मन मंदिर में तुम्हें बसा लूँ, 
स्नेह की बाती का दिया जला लूँ, 
तुम ठाकुर मैं तुम्हरी दासी, 
 हर श्वास तुम पर लुटा दूँ l

 इक दरस की प्यास बुझा लूँ, 
चरण धूलि की तिलक लगा लूँ, 
 नटवर नागर मेरे गोविंदा, 
कृष्णमय जीवन को कर लूँ l

©Dr SONI

गिरधर कहूं मैं कृष्ण कहूं, प्रभु किस विधि तुम्हें मनाऊं, कभी वृंदावन कभी मथुरा की गली, कान्हा को कैसे रिझाऊं l जो तुम तोड़ो प्रभु मैं ना तोडूं प्रीत की डोर तुम्हरे संग जोडूं, तुम सागर मैं नदी की धारा, चहुंओर बस तुमको खोजूं l मन मंदिर में तुम्हें बसा लूँ, स्नेह की बाती का दिया जला लूँ, तुम ठाकुर मैं तुम्हरी दासी, हर श्वास तुम पर लुटा दूँ l इक दरस की प्यास बुझा लूँ, चरण धूलि की तिलक लगा लूँ, नटवर नागर मेरे गोविंदा, कृष्णमय जीवन को कर लूँ l ©Dr SONI

#Krishna

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