kalam_shabd_ki

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Siddharth Dan, M.tech, MIAZ, PhD Scholar, NITJ

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Unsplash सबकी खुशी में हँस के शामिल होता हूँ मैं, दर्द छुपा के भी महफ़िल में रोता हूँ मैं। एक खुशी से खुद को दूर रखूँगा, जिस दिन तेरी डोली उठेगी, टूट जाऊँगा मैं। - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki

#library #SAD  Unsplash सबकी खुशी में हँस के शामिल होता हूँ मैं,
दर्द छुपा के भी महफ़िल में रोता हूँ मैं।
एक खुशी से खुद को दूर रखूँगा,
जिस दिन तेरी डोली उठेगी, टूट जाऊँगा मैं।

- मेरी कलम

©kalam_shabd_ki

#library

12 Love

Sometimes, death is better than arguing with a teacher who is like God. . ©kalam_shabd_ki

#Death  Sometimes, death is better than arguing
with a teacher who is like God.








.

©kalam_shabd_ki

#Death

16 Love

White एक वही शख्स मेरी हर कहानी हर किस्से में आया, जो मेरा होकर भी ना कभी मेरे हिस्से में आया, यूं तो हम पूरी दुनिया में रिश्ते निभाते रहे, जिससे दिल का रिश्ता था एक वही रिश्ता मेरे हिस्से में ना आया | - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki

#wishes  White एक वही शख्स मेरी हर कहानी
हर किस्से में आया,
जो मेरा होकर भी ना 
कभी मेरे हिस्से में आया,
यूं तो हम पूरी दुनिया में
रिश्ते निभाते रहे,
जिससे दिल का रिश्ता था एक
वही रिश्ता मेरे हिस्से में ना आया |

- मेरी कलम

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White एक वही शख्स मेरी हर कहानी हर किस्से में आया, जो मेरा होकर भी ना कभी मेरे हिस्से में आया, यूं तो हम पूरी दुनिया में रिश्ते निभाते रहे, जिससे दिल का रिश्ता था एक वही रिश्ता मेरे हिस्से में ना आया | - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki

9 Love

White मुस्कान मेरी पहचान है, दर्द की कोई राह नहीं, हंसी ठिठोली हर बात में है, पर हर बात मज़ाक नहीं। दिल के जख्म छुपाए हैं, जो बाहर से दिखते नहीं, हर खुशी के पीछे छिपा है दर्द, जो लफ़्ज़ों में कभी बयां नहीं। - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki

#GoodNight #wishes  White मुस्कान मेरी पहचान है, दर्द की कोई राह नहीं,  
हंसी ठिठोली हर बात में है, पर हर बात मज़ाक नहीं।  
दिल के जख्म छुपाए हैं, जो बाहर से दिखते नहीं,  
हर खुशी के पीछे छिपा है दर्द, जो लफ़्ज़ों में कभी बयां नहीं।

- मेरी कलम

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#GoodNight

12 Love

दर्द की बूँदें, कागज पर बिखरती रहीं, अवसाद में, रात भर लिखता रहा। नक्षत्रों से मिले, आकाश की ऊँचाइयाँ, मैं चाँद की छाँव में, छिपा रहता रहा। अगर टूट जाता, कब का मैं मिट गया होता, मैं तो नाज़ुक शाखा, सबके आगे झुकता रहा। लोगों के रंग बदले, अपने-अपने ढंग से, मेरे रंग में भी आई चमक, पर मैं हर बार घुलता रहा। जो थे आगे बढ़ने में, वो मंज़िल की ओर चले, मैं गहराइयों में समुद्र का रहस्य समझता रहा। (सिद्धार्थ दाँ) - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki

#river  दर्द की बूँदें, कागज पर बिखरती रहीं,
अवसाद में, रात भर लिखता रहा।

नक्षत्रों से मिले, आकाश की ऊँचाइयाँ,
मैं चाँद की छाँव में, छिपा रहता रहा।

अगर टूट जाता, कब का मैं मिट गया होता,
मैं तो नाज़ुक शाखा, सबके आगे झुकता रहा।

लोगों के रंग बदले, अपने-अपने ढंग से,
मेरे रंग में भी आई चमक, पर मैं हर बार घुलता रहा।

जो थे आगे बढ़ने में, वो मंज़िल की ओर चले,
मैं गहराइयों में समुद्र का रहस्य समझता रहा।

(सिद्धार्थ दाँ)
- मेरी कलम

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#river

16 Love

क्योंकि तुम मिलने नहीं आए, तब तुम बीमार थे, अब मैं बीमार हूँ, क्योंकि तुमसे मिलना नहीं है। बातें तुमने की थीं, अब खामोशी है, ये बीमार का बहाना है, या फिर बस अदाकारी है। - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki

#sad_quotes #wishes  क्योंकि तुम मिलने नहीं आए, तब तुम बीमार थे,  
अब मैं बीमार हूँ,  क्योंकि तुमसे मिलना नहीं है।  
बातें तुमने की थीं, अब खामोशी है,  
ये बीमार का बहाना है, या फिर बस अदाकारी है।

- मेरी कलम

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#sad_quotes

11 Love

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