ना तालियों की गड़गड़ाहट ना चर्चे तुम्हारे नाम के,
ना होती वाहवाही ना किस्से तुम्हारे काम के,
फिर भी हर रोज सूरज को रेस में हराती हो,
सूरज के जगने से पहले कैसे बस अपने काम में लग जाती हो,
इतना जोश कहां से लाती हो?
ना मैगजीन कवर पर आना है।
ना हवाई जहाज उड़ाना है।
ना चांद पर जाना है।
ना अपना बडा नाम कमाना है ना रात भर जागकर खुद से जुड़ा कोई सपना सजाना है।
फिर भी सपनों का कारखाना हर रोज चलाती हो।
घर बैठे तुम सिर्फ चाय नही क्रिकेटर साइंटिस्ट सुपरस्टार जाने क्या क्या बनाती हो तुम सिर्फ चाय ही नहीं छानती अच्छाई से बुराई भी छान जाती हो।
हर रोज खुद में इतना जोश जगाती हो तभी
तो अग्नि कहलाती हो...!!
©Rishi Ranjan
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here