VIKRAM RAJAK

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शाम का था पहरा और सूरज था कुछ नम, बादल थे आसमान पर और मिट्टी पर शबनम मैं रुका था देखने को यह बारिश रिमझिम, भाग कर आई वो और गले से लिपटे हम बारिश यारो मुझको ऐसा ही नहीं पसंद, बारिश यारो मुझको ऐसा ही नहीं पसंद -विक्रम . ©VIKRAM RAJAK

 शाम का था पहरा और सूरज था कुछ नम,
बादल थे आसमान पर और मिट्टी पर शबनम

मैं रुका था देखने को यह बारिश रिमझिम,
भाग कर आई वो और गले से लिपटे हम

बारिश यारो मुझको ऐसा ही नहीं पसंद,
बारिश यारो मुझको ऐसा ही नहीं पसंद
-विक्रम







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©VIKRAM RAJAK

शाम का था पहरा और सूरज था कुछ नम, बादल थे आसमान पर और मिट्टी पर शबनम मैं रुका था देखने को यह बारिश रिमझिम, भाग कर आई वो और गले से लिपटे हम बारिश यारो मुझको ऐसा ही नहीं पसंद, बारिश यारो मुझको ऐसा ही नहीं पसंद -विक्रम . ©VIKRAM RAJAK

11 Love

White हां शायद उसने मुझसे कभी मोहब्बत नहीं की, पर क्या करे दिल है मानता ही नहीं, जो लम्हे उसके साथ बिताए थे, उसे याद कर लगता ही नहीं, कि हां शायद उसने मुझसे कभी मोहब्बत नहीं की, उसकी आंखें मुझे ना देखे तारस जाती थी, जब मैं मिलू तो बस मुझे देखती थी, हां शायद उससे मुझसे कभी मोहब्बत नहीं थी साथ रहने के वादे, मेरा ख्याल रखना, सब चोर मेरे पास अनजाना, मुझे दर्द हो तो प्यार से सहलाना, हां शायद उससे मुझे कभी मोहब्बत नहीं थी, पर क्या कर दिल है मानता ही नहीं, "He never loved you" सुनके शायद दो पल मान लू, पर उसकी यादें ही कुछ ऐसी है कि, अच्छे से कभी मानता ही नहीं, -विक्रम . ©VIKRAM RAJAK

#Sad_shayri  White हां शायद उसने मुझसे कभी मोहब्बत नहीं की, 
पर क्या करे दिल है मानता ही नहीं, 
जो लम्हे उसके साथ बिताए थे, 
उसे याद कर लगता ही नहीं, 
कि हां शायद उसने मुझसे कभी मोहब्बत नहीं की,

उसकी आंखें मुझे ना देखे तारस जाती थी, 
जब मैं मिलू तो बस मुझे देखती थी, 
हां शायद उससे मुझसे कभी मोहब्बत नहीं थी 
साथ रहने के वादे, मेरा ख्याल रखना, 
सब चोर मेरे पास अनजाना, 
मुझे दर्द हो तो प्यार से सहलाना, 
हां शायद उससे मुझे कभी मोहब्बत नहीं थी, 
पर क्या कर दिल है मानता ही नहीं, 
"He never loved you" 
सुनके  शायद दो पल मान लू, 
पर उसकी यादें ही कुछ ऐसी है कि,
अच्छे से कभी मानता ही नहीं,
-विक्रम





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©VIKRAM RAJAK

#Sad_shayri

11 Love

White होंठों में दस्तक दे कर, बाहों में आना, एक शाम मुझे ऐसी दे जाना, एक रात-सुबह हम साथ जिएँगे, तारों संग मिल बात करेंगे, फिर सुनना उन तारों का कहना, वो बतलाएँगे कैसे साथ है रहना, फिर रुकना हो तो रुक जाना, मैं दूँगा साथ तुम चलते जाना, वरना कहानी यही रहेगी, ये दूरी अपनी बनी रहेगी, मैं सुबह-शाम बस याद लिखूँगा, तुमको अपना प्यार लिखूँगा। -विक्रम . ©VIKRAM RAJAK

#goodnightimages  White होंठों में दस्तक दे कर, बाहों में आना, 
एक शाम मुझे ऐसी दे जाना, 
एक रात-सुबह हम साथ जिएँगे, 
तारों संग मिल बात करेंगे,

फिर सुनना उन तारों का कहना, 
वो बतलाएँगे कैसे साथ है रहना, 
फिर रुकना हो तो रुक जाना, 
मैं दूँगा साथ तुम चलते जाना,

वरना कहानी यही रहेगी, 
ये दूरी अपनी बनी रहेगी, 
मैं सुबह-शाम बस याद लिखूँगा, 
तुमको अपना प्यार लिखूँगा।
-विक्रम






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©VIKRAM RAJAK

White आशिक, दीवाना कुछ इस तरह के हैं नाम मेरे, मगर कसम से, तुमने एक नाम भी पुकारा तो मैं तुम्हारा, तुम अपनी शर्तों पर खेल-खेलो, मैं जैसे चाहूं लगाओ बाजी, अगर मैं जीता, तो तुम हो मेरे, अगर मैं हारा तो, मैं तुम्हारा, तुम्हारा आशिक, तुम्हारा मुखलिस, तुम्हारा साथी, तुम्हारा अपना रहा ना कोई इनमें से दुनिया में जब तुम्हारा तो मैं तुम्हारा - विक्रम . ©VIKRAM RAJAK

#love_shayari  White आशिक, दीवाना कुछ इस तरह के हैं 
नाम मेरे, 
मगर कसम से, तुमने एक नाम भी पुकारा 
तो मैं तुम्हारा,
तुम अपनी शर्तों पर खेल-खेलो, 
मैं जैसे चाहूं लगाओ बाजी, 
अगर मैं जीता, 
तो तुम हो मेरे, 
अगर मैं हारा तो, 
मैं तुम्हारा,
तुम्हारा आशिक, तुम्हारा मुखलिस, 
तुम्हारा साथी, तुम्हारा अपना 
रहा ना कोई इनमें से 
दुनिया में जब तुम्हारा
तो मैं तुम्हारा  
 - विक्रम






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©VIKRAM RAJAK

#love_shayari

17 Love

अब कौन करे मोहब्बत फिर से , अब कौन सहे वो ग़म दोबारा अब क्यूँ दोहराये वही फिर किस्से , जब टूट गए दिल के सब हिस्से अब कौन बीताये आँसुओं में रातें , वही सब गम - वही फिर बातें अब ना वो दौर , ना वो हौंसला , ना वो मंज़र है , जब मेरे एक बार पुकारने पर वो पलट जाया करती थी आज उसे आवाज़ देकर बुलाने का भी हक़ नहीं , कभी जो आँख के एक इशारे से लिपट जाया करती थी अब वो अगर मिले कहीं तो उसे मेरे जज्बातों का पता देना , मैं भी अब भूल चुका हूं उसे ये तुम जरा उसे बता देना अब बस इतनी से इल्तज़ा है की अब वो कभी ना आये , अब कोई ना रोको उसे , आख़िर वो चली ही जाए - विक्रम . ©VIKRAM RAJAK

#GoldenHour  अब कौन करे मोहब्बत फिर से , 
अब कौन सहे वो ग़म दोबारा
  
अब क्यूँ दोहराये वही फिर किस्से , 
जब टूट गए दिल के सब हिस्से
  
अब कौन बीताये आँसुओं में रातें , 
वही सब गम - वही फिर बातें

अब ना वो दौर , ना वो हौंसला , ना वो मंज़र है , 
जब मेरे एक बार पुकारने पर वो पलट जाया करती थी  
आज उसे आवाज़ देकर बुलाने का भी हक़ नहीं , 
कभी जो आँख के एक इशारे से लिपट जाया करती थी
  
अब वो अगर मिले कहीं तो 
उसे मेरे जज्बातों का पता देना ,
 
मैं भी अब भूल चुका हूं उसे 
ये तुम जरा उसे बता देना
 
अब बस इतनी से इल्तज़ा है  
की अब वो कभी ना आये ,
 
अब कोई ना रोको उसे , 
आख़िर वो चली ही जाए 
- विक्रम


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©VIKRAM RAJAK

#GoldenHour

15 Love

White कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ? तुम कह देना कोई खास नहीं ... एक दोस्त हैं पक्का कच्चा सा एक झूठ हैं आधा सच्चा सा , जज़्बात से ढका एक पर्दा हैं एक बहाना हैं कोई अच्छा सा ... जीवन का एक ऐसा साथ हैं जो पास होकर भी पास नहीं ... कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ? तुम कह देना कोई खास नहीं ... एक साथी जो अनकही सी , कुछ बातें कह जाता हैं यादों में जिसका धुंधला सा एक ही चेहरा रह जाता हैं "यूँ तो उसके ना होने का मुझकों कोई गम नहीं पर कभी कभी वो आँखों से , आँसू बन के बह जाता हैं यूँ रहता तो मेरे जहन में हैं पर नजरों को उसकी तलाश नहीं ..." कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ? तुम कह देना कोई खास नहीं ... साथ बनकर जो रहता हैं वो दर्द बांटता जाता हैं भूलना तो चाहती हूँ उसको पर वो यादों में छा जाता हैं अकेला महसूस करूँ कभी जो सपनों में आ जाता हैं ... मैं साथ खड़ा हूँ सदा तुम्हारे कह कर साहस दे जाता हैं ऐसे ही रहता हैं साथ मेरे की उसकी मौजूदगी का आभास नहीं कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ? तुम कह देना कोई खास नहीं ... -विक्रम ©VIKRAM RAJAK

#Romantic  White कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ? 
तुम कह देना कोई खास नहीं ... 
एक दोस्त हैं पक्का कच्चा सा 
एक झूठ हैं आधा सच्चा सा , 
जज़्बात से ढका एक पर्दा हैं 
एक बहाना हैं कोई अच्छा सा ... 
जीवन का एक ऐसा साथ हैं जो 
पास होकर भी पास नहीं ... 
                                              कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ? 
                                             तुम कह देना कोई खास नहीं ... 
                                             एक साथी जो अनकही सी , 
                                                कुछ बातें कह जाता हैं 
                                           यादों में जिसका धुंधला सा 
                                           एक ही चेहरा रह जाता हैं 
                                                "यूँ तो उसके ना होने का 
                                                 मुझकों कोई गम नहीं 
                                           पर कभी कभी वो आँखों से , 
                                            आँसू बन के बह जाता हैं 
                                            यूँ रहता तो मेरे जहन में हैं 
                                    पर नजरों को उसकी तलाश नहीं ..." 
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ? 
तुम कह देना कोई खास नहीं ... 
साथ बनकर जो रहता हैं 
वो दर्द बांटता जाता हैं 
भूलना तो चाहती हूँ उसको पर 
वो यादों में छा जाता हैं 
अकेला महसूस करूँ कभी जो 
सपनों में आ जाता हैं ... 
मैं साथ खड़ा हूँ सदा तुम्हारे 
कह कर साहस दे जाता हैं 
ऐसे ही रहता हैं साथ मेरे की 
उसकी मौजूदगी का आभास नहीं 
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ? 
तुम कह देना कोई खास नहीं ...
                                            -विक्रम

©VIKRAM RAJAK

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