यूं गुजरते ख़्वाब की परछाई पर, एतबार करने लगता हू | हिंदी Shayari

"यूं गुजरते ख़्वाब की परछाई पर, एतबार करने लगता हूं.. तुम्हारी सांसों की आहट होते ही, इंतज़ार करने लगता हूं -विक्रम . ©VIKRAM RAJAK"

 यूं गुजरते ख़्वाब की परछाई पर, 
एतबार करने लगता हूं.. 
तुम्हारी सांसों की आहट होते ही,
इंतज़ार करने लगता हूं
-विक्रम






.

©VIKRAM RAJAK

यूं गुजरते ख़्वाब की परछाई पर, एतबार करने लगता हूं.. तुम्हारी सांसों की आहट होते ही, इंतज़ार करने लगता हूं -विक्रम . ©VIKRAM RAJAK

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