निराकार होकर भी साकार है शिवा
महादेव है, शम्भु है, ॐकार है शिवा हैं
चंद्र से सुशोभित, जटाओं मे है गंगा
भस्म का श्रृंगार कर तैयार है शिवा
हाथ में त्रिशुल, गले में नाग किया धारण
सवारी नंदी पर देखो सवार है शिवा
सदियों प्रतीक्षा माता सती का किया
पहले सच्चे प्रेम के शिल्पकार है शिवा
श्री गणेश, कार्तिकेय आँखों के हैं तारे
माँ पार्वती आपकी आधार है शिवा
समुद्र मंथन में था विष पीकर
आपने किया संपूर्ण जगत का उद्धार है शिवा
जग में कोई दूजा ना आप सा है
भोला आप ही करते रुद्र बन संघार है शिवा है
वीरभद्र, दुर्वाषा, नंदी, अश्वत्थामा संग
महावीर बजरंगी अवतार है शिवा
जीवन यदि हमारा शिवा है
नाव कोई बस आप ही उसकी पतवार है शिवा
जो मिला जग में सब दिया है आपने हम
करते आपकी जय-जयकार है शिवा
- विक्रम
©VIKRAM RAJAK
#Shiva