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उसका दिया हुआ हर एक ज़ख्म लाजवाब है शायद रिश्ते को बहोत करीबी से जाना था उसने ©Shilpapandya ©Shilpa
Shilpa
17 Love
हमारी सूरत भी देख लिया करो हम वो सूरज है जो अस्त हो रहा है ©Shilpa
16 Love
हे नाथ मेरे हालत मेरी गजेन्न्र से कुछ कम नही अब भी बचाने न आया तूं तो लोग कहेंगे तूं गोविंद नहीं तूने द्रौपदी की लाज बचाई बेर शबरी के जूठे खाए है कुब्जा को दिया रूप सुहाना विदूर की भाजी खाई है मैं आन पड़ी तेरे द्वार कन्हैया अब बारी मेरी आई है उमड़ रही है अखियां मोरी आंखों में नदियां सारी है मेरी बांह पकड़ मोरे सांवरिया इस दासी को जरूर तुम्हारी है ©Shilpapandya ©Shilpa
13 Love
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चलते वक्त क़दम क़दम पे ठोकर दे ऐ ज़िंदगी वो वक्त लाना चाहती हुं जो संभलना सीखा दे ©Shilpapandya ©Shilpa
15 Love
पैरों तले कुचल के रौंद रही है ज़िंदगी फिर बोल रही है जा जी चाहे दौड़ ले ©Shilpapandya
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