चलते वक्त क़दम क़दम पे ठोकर दे ऐ ज़िंदगी वो वक्त | हिंदी शायरी

"चलते वक्त क़दम क़दम पे ठोकर दे ऐ ज़िंदगी वो वक्त लाना चाहती हुं जो संभलना सीखा दे ©Shilpapandya ©Shilpa"

 चलते वक्त क़दम क़दम पे
 ठोकर दे ऐ ज़िंदगी
वो वक्त लाना चाहती हुं
 जो संभलना सीखा दे
   ©Shilpapandya

©Shilpa

चलते वक्त क़दम क़दम पे ठोकर दे ऐ ज़िंदगी वो वक्त लाना चाहती हुं जो संभलना सीखा दे ©Shilpapandya ©Shilpa

#Aasmaanचलते वक्त क़दम क़दम पे
ठोकर दे ऐ ज़िंदगी
वो वक्त लाना चाहती हुं
जो संभलना सीखा दे
©Shilpapandya

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