Nitin Kuvade

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तुम्हारे साथ बीते सात साल सात रंगों की रंगोली सजाई है, ये सात साल खुशियों से भरे मुख पर मुस्कान सदा आई है,, तूम संग बीते सात साल मेरे सात आसमान की ऊचाई है, प्रेम समर्पण अपने पन की इसमें सागर सी गहराई है,, सात साल मधुर स्वरो से भरे अटूट साथ की धुन बजाई है,, तुम्हारा साथ सात रंगों सा, दुनिया मेरी रंगीन बनाई है,, सात सुर, सात रंग,सात नभ सात अजूबों सा अपना प्यार,, सात पुष्पों की सुगंध से तुमने जीवन की बगिया महाकाई है,, सात क्षण सात पल सात दिन, सात साल मे कई रस्मे निभाई है, तेरे साथ ने मेरे लिए हर पल ही एक प्यार भरी कहानी बनाई है,, नन्ही मुन्ही गुड़ियों संग सात द्विपो सी सुंदर दुनिया पाई है, जीवन का अर्थ तुम्ही से रहा मेरा, तुमने मेरी सतरंगी दुनिया बसाई है,,, सात साल की यात्रा मे प्यार और मजबूत हुआ अपना, जाना बहुत- दूर है, अभी मंजिल कहा पाई है,,, हर कदम पर साथ युही रहना, सातवीं वर्षगांठ पर प्रिये तुम्हे बधाई है...!!❣️ ✍️नितिन कुवादे.... (कन्नू के पापा 😍 ) ©Nitin Kuvade

#कविता #HappyRoseDay  तुम्हारे साथ बीते सात साल 
सात रंगों की रंगोली सजाई है,
ये सात साल खुशियों से भरे 
मुख पर मुस्कान  सदा आई है,,
तूम संग बीते सात साल मेरे
सात आसमान की ऊचाई है,
प्रेम समर्पण  अपने पन की
इसमें  सागर  सी  गहराई है,,
सात साल मधुर स्वरो से भरे
अटूट साथ की धुन बजाई है,,
तुम्हारा   साथ  सात रंगों सा,
दुनिया मेरी  रंगीन  बनाई  है,,
सात सुर, सात रंग,सात नभ
सात अजूबों सा अपना प्यार,,
सात पुष्पों की सुगंध से तुमने
जीवन की बगिया महाकाई है,,
सात क्षण सात पल सात दिन,
सात साल मे कई रस्मे निभाई है,
तेरे साथ ने मेरे लिए हर पल ही 
एक प्यार भरी कहानी बनाई है,,
नन्ही मुन्ही  गुड़ियों   संग   सात 
द्विपो सी सुंदर  दुनिया  पाई  है,
जीवन का अर्थ तुम्ही से रहा मेरा,
तुमने मेरी सतरंगी दुनिया बसाई है,,,
सात साल की यात्रा मे प्यार और 
मजबूत हुआ अपना, जाना बहुत-
दूर है, अभी मंजिल कहा पाई है,,,
हर कदम पर साथ युही रहना,
सातवीं वर्षगांठ पर प्रिये तुम्हे बधाई है...!!❣️
✍️नितिन कुवादे.... (कन्नू के पापा 😍 )

©Nitin Kuvade

#HappyRoseDay

14 Love

White खुद से खुद का प्रतिशोध है खुद से खुद का विरोध है,, खुद ही खुद के विकास मे बने जा रहा गतिरोध है,, कहा जा रहा, क्यों जा रहा इस बात का कहा बोध है,, मेरी पहचान थी एकता की वह एकता बनी अब शोध है,, जिसने जैसा कहा वैसा सुना खुद को समझता अबोध है,, जरा जरा सी बात पर बिगडु मुझ पर सवार केसा क्रोध है,, खुद ही खुद का नुकसान करू इसका कहा अब आत्मबोध है,, खुद से खुद का खत्म करना अब मुझे तो प्रतिशोध है, सफलता बाह फैलाये ख़डी नव सवेरे का नव प्रबोध है,, सब को अपना बना चलु मन से मन को मिला चलु खुद से खुद का ये अनुरोध है.... 26-11-2024 ✍️नितिन कुवादे.... ©Nitin Kuvade

#कविता #Free  White खुद से खुद का प्रतिशोध है 
खुद से खुद का  विरोध है,,
खुद ही खुद के विकास मे 
बने  जा   रहा  गतिरोध  है,,
कहा जा रहा, क्यों जा रहा 
इस बात का कहा बोध है,,
मेरी पहचान थी एकता की 
वह एकता बनी अब शोध है,,
जिसने जैसा कहा वैसा सुना 
खुद को समझता अबोध है,,
जरा जरा सी बात पर बिगडु 
मुझ पर सवार केसा क्रोध है,,
खुद ही खुद का नुकसान करू 
इसका कहा अब आत्मबोध है,,
खुद से खुद का खत्म करना 
अब  मुझे  तो  प्रतिशोध है,
सफलता बाह फैलाये ख़डी
नव सवेरे का नव प्रबोध है,,
सब को अपना बना चलु 
मन से मन को मिला चलु
खुद से खुद का ये अनुरोध है....
26-11-2024
✍️नितिन कुवादे....

©Nitin Kuvade

#Free

16 Love

White हर्षित मन, शीतल गगन, शीतलता से भरी ये पवन, राग नया गुनगुना रही है,, खुशियों का समा, मन रमा, तपन से मुक्ति, शीत थमा, शरद ऋतू केसी आ रही है,,, अमृत बरसे, मन हर्ष हरषै, सब नैन मिलाये अम्बर से, शरद ऋतू ऐसी भा रही है,,, कृष्ण का रास, आज़ रात, गोपिया जोहे आज़ की बाट, गोपिया कृष्ण को पा रही है,,, सोलह कला, शशि ले चला, इठला जग निहारे चन्द्रकला,, सोलह कला जग पे छा रही है,,, चहके चकोर, मन में उठा शोर, चांदनी बरसे आज रात घनघोर, चांदनी चकोर को लुभा रही है,,, सौंदर्य प्रतीक, प्रेम पथिक, आभा है ऐसी अलौकिक, कलम मेरी रचना रचा रही है,,, शीतमय जग, शीतलता रग रग, श्रृद्धा शीश झुके, खुशि पग पग, शरद पूर्णिमा महत्व बता रही है,,, ✍️नितिन कुवादे.. ©Nitin Kuvade

#कविता #Moon  White हर्षित  मन, शीतल  गगन,
शीतलता से भरी  ये पवन,
राग  नया  गुनगुना  रही है,,

खुशियों का समा, मन रमा,
तपन से मुक्ति, शीत  थमा,
शरद ऋतू  केसी आ रही है,,,

अमृत बरसे, मन हर्ष हरषै,
सब नैन मिलाये अम्बर से,
शरद ऋतू ऐसी भा रही है,,,

कृष्ण का  रास, आज़ रात,
गोपिया जोहे आज़ की बाट,
गोपिया कृष्ण को पा रही है,,,

सोलह कला, शशि ले चला,
इठला जग निहारे चन्द्रकला,,
सोलह कला जग पे छा रही है,,,

चहके चकोर, मन में उठा शोर,
चांदनी बरसे आज रात घनघोर,
चांदनी चकोर को लुभा रही है,,,

सौंदर्य  प्रतीक,  प्रेम पथिक,
आभा  है  ऐसी  अलौकिक,
कलम  मेरी  रचना  रचा  रही है,,,

शीतमय  जग, शीतलता रग रग,
श्रृद्धा शीश झुके, खुशि पग पग,
शरद पूर्णिमा महत्व बता रही है,,,

✍️नितिन कुवादे..

©Nitin Kuvade

#Moon

14 Love

"शुभ जन्मदिन मेरी बिटिया..."🥰 तू फूल है मेरी बगिया का इसको सदा महकाये रखना... तू रौनक है मेरे आँगन की इसको सदा बनाये रखना... तू निराशा मे आशा की एक लो, इसको सदा जलाये रखना... तू उड़ान है मेरे सपनो की,, इसे सदा तू ऊंचा उड़ाये रखना... तू सावन है मेरे खुशियों का,, इसे सदा तू बरसाए रखना... हस्ता खिलता मुखड़ा तेरा प्यारा, इसे ऐसे ही खिलखिलाये रखना... बाधाएं आये आ कर चली जाए, तू खुद को मजबूत बनाये रखना.. तू गीत तू संगीत मेरे मन का.. इसे सदा यु ही गुनगुनाये रखना.. तू दिल तू धड़कन इस तन का, इसे सदा ही धड़काये रखना.... स्नेह प्यार के शब्द तेरे पर्याय, इनसे हर नया काव्य रचाये रखना.... तेरे अधरों पर मुस्कान लगे प्यारी तेरे मन को सदा युही हर्षाये रखना.. जन्मदिन की घड़िया आई प्यारी, तू इनको सदा ही संजोये रखना... "कृष्ण" सखी, माधव की भक्ति प्यारी है "माधव" राह के काटे हटाए रखना... पुष्पों सी महके घर आंगन मे, इसकी राह मे पुष्प बिछाए रखना... जो खुद भेट है मेरे लिए उसे क्या भेट दू, तू सदा इसे अपने ह्रदय मे बिठाये रखना... ✍️तुम्हारे पापा 😊 ©Nitin Kuvade

#कविता #Happy_Birthday  "शुभ जन्मदिन मेरी बिटिया..."🥰

तू फूल है मेरी बगिया का
इसको सदा महकाये रखना...
तू रौनक है मेरे आँगन की
इसको सदा बनाये रखना...
तू निराशा मे आशा की एक लो,
इसको सदा जलाये रखना...
तू उड़ान है मेरे सपनो की,,
इसे सदा तू ऊंचा उड़ाये रखना...
तू सावन है मेरे खुशियों का,,
इसे सदा तू बरसाए रखना...
हस्ता खिलता मुखड़ा तेरा प्यारा,
इसे ऐसे ही खिलखिलाये रखना...
बाधाएं आये आ कर चली जाए,
तू खुद को मजबूत बनाये रखना..
तू गीत तू संगीत मेरे मन का..
इसे सदा यु ही गुनगुनाये रखना..
तू दिल तू धड़कन इस तन का,
इसे सदा ही धड़काये रखना....
स्नेह प्यार के शब्द तेरे पर्याय,
इनसे हर नया काव्य रचाये रखना....
तेरे अधरों पर मुस्कान लगे प्यारी
तेरे मन को सदा युही हर्षाये रखना..
जन्मदिन की घड़िया आई प्यारी,
तू इनको सदा ही संजोये रखना...
"कृष्ण" सखी, माधव की भक्ति प्यारी 
है "माधव" राह के काटे हटाए रखना...
पुष्पों सी महके घर आंगन मे,
इसकी राह मे पुष्प बिछाए रखना...
जो खुद भेट है मेरे लिए उसे क्या भेट दू,
तू सदा इसे अपने ह्रदय मे बिठाये रखना...
✍️तुम्हारे पापा 😊

©Nitin Kuvade

बड़ चले फिर से सनातन की और, राम ही राम गूंज रहा देखो चारो और, सनातन की धर्म ध्वजा लहरा रही, रोम रोम से राम धुन का सुनाई दे रहा शोर,, कोई घंटी भेजे कोई भेजे अगरबत्ती, राहो मे बिछने को आतुर है पत्ती -पत्ती,, सज धज के अवध ख़डी स्वागत मे, राजा राम के दर्श है सबसे बड़ी सम्पत्ति,, त्रेता के रावण से था ये बडा रावण ध्वस्त किया मंदिर जो था बडा पावन, दिया वनवास दुष्ट नें पांच सदियों का, टेंट मे देख प्रभु को व्यथित होता था मन, हनुमान सा बल ले ध्वस्त किया कलंक, धर्म ध्वजा लहराने का बजा दिया शंख,, जीत लंका को श्री राम अवध आ रहे स्वागत मे द्वार द्वार दीप जलें असंख्य,, हर्षोल्लास आनंद के पल आने वाले सारे, पल पल काटना मुश्किल है कैसे गुजारें, माँ सरयू की धारा भी व्याकुल लगे बड़ी, कल कल करती धाराएं कब आरती उतारे?,, हर्षित है जन -जन, हर्षित है कण -कण गहरे तम के बाद निकली उजली किरण श्रमिक भी अपना जीवन धन्य मान रहै, काज ऐसा किया सदियों तक रहे स्मरण,, नव जीवन की अब शुरुआत हो रही है, सनातन की नवीन प्रभात हो रही है,, प्राण प्रतिष्ठा का सुखद आनंदमय उत्सव, भाग्योदय मे नव चेतना की बरसात हो रही है,, ✍️नितिन कुवादे... ©Nitin Kuvade

#विचार #RepublicDay  बड़  चले    फिर   से   सनातन    की  और,
राम ही  राम  गूंज  रहा   देखो  चारो   और,
सनातन    की   धर्म   ध्वजा    लहरा   रही,
रोम रोम से राम धुन का सुनाई दे रहा शोर,,

कोई  घंटी   भेजे   कोई   भेजे   अगरबत्ती,
राहो मे बिछने  को  आतुर  है  पत्ती  -पत्ती,,
सज  धज  के  अवध    ख़डी   स्वागत  मे,
राजा राम के दर्श है  सबसे  बड़ी  सम्पत्ति,,

त्रेता के  रावण   से   था   ये  बडा   रावण
ध्वस्त किया  मंदिर  जो  था  बडा   पावन,
दिया  वनवास  दुष्ट  नें  पांच  सदियों  का,
टेंट मे देख  प्रभु  को व्यथित होता था मन,

हनुमान सा बल ले  ध्वस्त  किया  कलंक,
धर्म ध्वजा लहराने का  बजा  दिया  शंख,,
जीत  लंका को  श्री राम  अवध  आ  रहे 
स्वागत मे द्वार  द्वार  दीप  जलें  असंख्य,,

हर्षोल्लास आनंद के पल आने वाले सारे,
पल पल काटना मुश्किल है  कैसे  गुजारें,
माँ सरयू की धारा भी व्याकुल  लगे  बड़ी,
कल कल करती धाराएं कब आरती उतारे?,,

हर्षित है जन -जन,  हर्षित है  कण -कण
गहरे तम के बाद निकली उजली  किरण 
श्रमिक भी अपना जीवन  धन्य मान  रहै,
काज ऐसा किया सदियों तक  रहे स्मरण,,

नव जीवन की अब  शुरुआत  हो  रही है,
सनातन  की   नवीन   प्रभात  हो  रही  है,,
प्राण प्रतिष्ठा का सुखद  आनंदमय  उत्सव,
भाग्योदय मे नव चेतना की बरसात हो रही है,,

✍️नितिन कुवादे...

©Nitin Kuvade

#RepublicDay

11 Love

हा याद आया कुछ धुंधला धुंधला सा.... कुछ यादे वो बाते वो समय उजला उजला सा..... हा किया था तुमने इजहार.... दे दिया बाहो का हार.... वक्त की रेत से फिसल तुम होनें वाली थी किसी की, और मै चुप था पगला सा..... भावनाओ मे बह निकला.... ना जाने क्यों हा कह निकला....रहने लगा कुछ कुछ बदला सा.... कुछ पल प्रीत के..... कुछ पल गीत के.... हो चुके थे तुम मेरे... लगा ऐसे जिंदगी आये जीत के.....मीट गया हो फासला सा.... लबों पर आ रुक जाती... बाते कहने की चूक जाती.... दील की धड़कन जान ली... कह ना पाया वो समझ.... खुद ही कह दी अच्छा था.... सामने तेरे मे तो था हकला सा.... प्रेम का फूल था....खिला और मुरझा गया.... सादगी और महक रोम रोम मे बसा गया.... अमृत सा प्रेम तेरा.... प्रीत अमर कर दे ऐसा हर शाम मुझमे ढला सा.... प्रीत की रीत ना तोड़ू.... किसी और संग कभी नाता ना जोडू.... जिस प्रीत की महक से महक रहा हो जीवन.... ऐसी महक को कैसे छोडु.... खुशी मे तेरी खुशी खोज, ख़ुश हु मै देख हर रोज.... तेरी अंजान डगर, अंजान सफर, अंजान दील के कोने मे खुशियों का अमृत रस घोल दू.... खुशियों मे खुशी भर चल पडू मै रहू क्यों बला सा.....राधा कृष्ण सा प्यार रहे अपना रंग जिसका सावला सा.... तेरे ख्याल, तेरी बातो मे तेरी यादो मे खोया रहू,इंतजार रहे हर लम्हे मे... यु बन बैठा बावला सा.... ✍️नितिन कुवादे.... . . . . . . . . . ©Nitin Kuvade

#कविता #woshaam  हा याद आया कुछ धुंधला धुंधला सा.... कुछ यादे वो बाते वो समय उजला उजला सा..... हा किया था तुमने इजहार.... दे दिया बाहो का हार.... वक्त की रेत से फिसल तुम होनें वाली थी किसी की, और मै चुप था पगला सा..... भावनाओ मे बह निकला.... ना जाने क्यों हा कह निकला....रहने लगा कुछ कुछ बदला सा.... कुछ पल प्रीत के..... कुछ पल गीत के.... हो चुके थे तुम मेरे... लगा ऐसे जिंदगी आये जीत के.....मीट गया हो फासला सा.... लबों पर आ रुक जाती... बाते कहने की चूक जाती.... दील की धड़कन जान ली... कह ना पाया वो समझ.... खुद ही कह दी अच्छा था.... सामने तेरे मे तो था हकला सा.... प्रेम का फूल था....खिला और मुरझा गया.... सादगी और महक  रोम रोम मे बसा गया.... अमृत सा प्रेम तेरा.... प्रीत अमर कर दे ऐसा हर शाम मुझमे ढला सा.... प्रीत की रीत ना तोड़ू.... किसी और संग कभी नाता ना जोडू.... जिस प्रीत की महक से महक रहा हो जीवन.... ऐसी महक को कैसे छोडु.... खुशी मे तेरी खुशी खोज, ख़ुश हु मै देख हर रोज.... तेरी अंजान डगर, अंजान सफर, अंजान दील के कोने मे खुशियों का अमृत रस घोल दू.... खुशियों मे खुशी भर चल पडू मै रहू क्यों बला सा.....राधा कृष्ण सा प्यार रहे अपना रंग जिसका सावला सा.... तेरे ख्याल, तेरी बातो मे तेरी यादो मे खोया रहू,इंतजार रहे हर लम्हे मे... यु बन बैठा बावला सा....
✍️नितिन कुवादे....
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©Nitin Kuvade

#woshaam

10 Love

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