बड़ चले फिर से सनातन की और,
राम ही राम गूंज रहा देखो चारो और,
सनातन की धर्म ध्वजा लहरा रही,
रोम रोम से राम धुन का सुनाई दे रहा शोर,,
कोई घंटी भेजे कोई भेजे अगरबत्ती,
राहो मे बिछने को आतुर है पत्ती -पत्ती,,
सज धज के अवध ख़डी स्वागत मे,
राजा राम के दर्श है सबसे बड़ी सम्पत्ति,,
त्रेता के रावण से था ये बडा रावण
ध्वस्त किया मंदिर जो था बडा पावन,
दिया वनवास दुष्ट नें पांच सदियों का,
टेंट मे देख प्रभु को व्यथित होता था मन,
हनुमान सा बल ले ध्वस्त किया कलंक,
धर्म ध्वजा लहराने का बजा दिया शंख,,
जीत लंका को श्री राम अवध आ रहे
स्वागत मे द्वार द्वार दीप जलें असंख्य,,
हर्षोल्लास आनंद के पल आने वाले सारे,
पल पल काटना मुश्किल है कैसे गुजारें,
माँ सरयू की धारा भी व्याकुल लगे बड़ी,
कल कल करती धाराएं कब आरती उतारे?,,
हर्षित है जन -जन, हर्षित है कण -कण
गहरे तम के बाद निकली उजली किरण
श्रमिक भी अपना जीवन धन्य मान रहै,
काज ऐसा किया सदियों तक रहे स्मरण,,
नव जीवन की अब शुरुआत हो रही है,
सनातन की नवीन प्रभात हो रही है,,
प्राण प्रतिष्ठा का सुखद आनंदमय उत्सव,
भाग्योदय मे नव चेतना की बरसात हो रही है,,
✍️नितिन कुवादे...
©Nitin Kuvade
#RepublicDay