Kamal bhansali

Kamal bhansali Lives in Kolkata, West Bengal, India

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White शीर्षक : ऐसे ही अब जीना है.... खुशहाल रहे जीवन, ये अहसास हर कोई करता प्रश्न गहन, फुर्सत में कौन जिंदगी से ये बात करता ! दौड़ रही राहें, पांवों का रुकना अब मुश्किल लगता अगर भूल से गिर गये तो आजकल कौन किसे उठाता ! हसरतों भरे आशियाने सज कर भी वीराने से लगते दुनियादारी निभाने कभी मुस्कुराते चेहरे संग दिख जाते रिश्तों के संसार में मजबूरी की आह रोज सुनाई देती राजनीति की बीमारी जग बंधनों में भी अब नजर आती उम्र की कोई कद्र न हो तो रिश्तों में मिठास नहीं रहती किसे समझाएं ! टूटे सूखे पत्तों से महक कम ही आती फलसफा जीने का, आज में ही अब सब कुछ पाना है धोखा दे रही सांसे, उन पर भी अब विश्वास का रोना है "कमल", सुख अब संसार का सुंदर टूटा सा खिलौना है कल्पना में ही सब कुछ पाना, ऐसा ही अब ये जमाना है ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

#कविता  White 
शीर्षक : ऐसे ही अब जीना है....

खुशहाल रहे जीवन, ये अहसास हर कोई करता
प्रश्न गहन, फुर्सत में कौन जिंदगी से ये बात करता !

दौड़ रही राहें, पांवों का रुकना अब मुश्किल लगता
अगर भूल से गिर गये तो आजकल कौन किसे उठाता !

हसरतों भरे आशियाने सज कर भी वीराने से लगते
दुनियादारी निभाने कभी मुस्कुराते चेहरे संग दिख जाते 

रिश्तों के संसार में मजबूरी की आह रोज सुनाई देती
राजनीति की बीमारी जग बंधनों में भी अब नजर आती

उम्र की कोई कद्र न हो तो रिश्तों में मिठास नहीं रहती
किसे समझाएं !  टूटे सूखे पत्तों से महक कम ही आती

फलसफा जीने का, आज में ही अब सब कुछ पाना है
धोखा दे रही सांसे, उन पर भी अब विश्वास का रोना है

"कमल", सुख अब संसार का सुंदर टूटा सा खिलौना है
कल्पना में ही सब कुछ पाना, ऐसा ही अब ये जमाना है
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

# ऐसे ही अब जीना है#कमल भंसाली

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फिक्र.... " हाल बेहाल हुई जिंदगी अब समझा रही अपनों से ज्यादा गैरों को तेरी फिक्र रही " ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

 फिक्र....

" हाल बेहाल हुई जिंदगी अब समझा रही
अपनों से ज्यादा गैरों को तेरी फिक्र रही "
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

# फिक्र # गैर # कमल भंसाली

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White शीर्षक: सफर का अंत जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा अनमना सा रहता अब तन मेरा दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा "कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

 White शीर्षक: सफर का अंत

जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा
सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा

अनमना सा रहता अब तन मेरा
दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा

चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा
कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा

जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा 
अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा

बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा
सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा

समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा
"कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

# सफर का अंत # कमल

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White शीर्षक :सफरनामा जिंदगी का मकसदों की दुनिया में सब खबर रखते है हैरान न हो खुद से अंजान हो सफर करते है इल्म होगा तुम्हें अपने वजीर पर नादान हो एक सांस के मालिक नहीं, क्यों अनजान हो ! खुदा करे ये सफर तुम्हारा कभी बेजान न हो दिल में प्रेम रखो, ख्याल रहे वो बेईमान न हो शहर गुलाबी है रंगों की दुनिया में दावेदार रहो अपने इल्म पर गौर करो कहीं गुनहगार न रहो जिस्म में इशरत के अंदाज पर सदा पहरेदार रहो "कमल" उम्र अभी बाकी थोड़ा तो असरदार रहो सफर खत्म हो रहा अब और आरजूओं से दूर रहो बचे हुए को साबित करो पर पथिक बन दावेदार रहो परेशान जिंदगी को कंधे पर रख कर उदास न रहो जीने के राही हो, हर सोच में अंदर से जरा बिंदास रहो ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

#विचार #Smile  White शीर्षक :सफरनामा जिंदगी का

मकसदों की दुनिया में सब खबर रखते है
हैरान न हो खुद से अंजान हो सफर करते है

इल्म होगा तुम्हें अपने वजीर पर नादान हो
एक सांस के मालिक नहीं, क्यों अनजान हो !

खुदा करे ये सफर तुम्हारा कभी  बेजान न हो
दिल में प्रेम रखो, ख्याल रहे वो बेईमान न हो

शहर गुलाबी है रंगों की दुनिया में दावेदार रहो
अपने इल्म पर गौर करो कहीं गुनहगार न रहो

जिस्म में इशरत के अंदाज पर सदा पहरेदार रहो
"कमल" उम्र अभी बाकी थोड़ा तो असरदार रहो

सफर खत्म हो रहा अब और आरजूओं से दूर रहो
बचे हुए को साबित करो पर पथिक बन दावेदार रहो

परेशान जिंदगी को कंधे पर रख कर उदास न रहो
जीने के राही हो, हर सोच में अंदर से जरा बिंदास रहो
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

#Smile # सफरनामा# कमल# भंसाली नये अच्छे विचार

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#कविता #Hope  White शीर्षक: तन्हाइयों ने 

तन्हाइयों ने मुझे इतना ही समझाया है 
जो तुमने खोया उसको ही हम ने पाया है 
हमनें तो उन्हें सिर्फ गले से ही लगाया है 
तन्हाइयों....

भूल गए जो तुम्हें उनसे क्यों दिल लगाया है ?
याद क्यों करते उन्हें जिन्होंने तुम्हें रुलाया है ?
गैर हुए रिश्तों ने किस को फिर अपनाया हे ?
तन्हाइयों.....

जो भ्रम तुमने अपनाया वो तुम्हारा साया है 
बदलते जज्बातों में हर अपनापन पराया है
स्वार्थ की दुनिया में कहीं धूप कहीं छाया हे
तन्हाइयों...

मत रो बंधु तेरी तन्हाइयों ने ये ही तो बताया है 
तेरी मुस्कानों ने न जाने कितनों को हंसाया हे 
प्रेम के फूलों की तरह जिया तूं यही बताया है
तन्हाइयों ने...
🌷🌷🌷
तन्हां वो ही होते हे जो जग के लिऐ जी ते है 
अनुभव के मसीहा हर गम को ऐसे ही सहते है 
मुस्कराहट देने वाले सदा खिलौना बन रहते है 
तन्हाइयों ने....
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

#Hope तन्हाइयों ने # कमल भंसाली

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शीर्षक : बिन साजन होली मौसम हुआ सदा बहार रिमझिम बरसे फागुन फुहार आई होली बन रंगों का त्यौहार मौसम... पिया मिलन की बनी चाह तन की सखी रे ये बात बताऊं तुम्हें मन की गा रहे मेरी सांसों के सारे सरगमी तार मौसम..... होली की पुरवाई दिल की रंगिनी करे पुकार चाहत की रातों में करवटें बदलू पिया बार बार नैन पुकारे साजन होली में न कराओ इंतजार मौसम... सखियां दे उल्हाने पनघट पर छेड़े बार बार पूछे गौरी से कब आएंगे तेरे साजन इस बार बेदर्दी बालम कसम तुम्हें अगर न आये द्वार मौसम.... मोहे होली आये न रास पिया जब तुम न हो पास मोह की मतवारी आंखों को तेरी आहट की आस रंग रसिया बालम इंतजार में सांसों की प्रेम प्यास मौसम... ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

#कविता #bicycleride  शीर्षक : बिन साजन होली

मौसम हुआ सदा बहार
रिमझिम बरसे फागुन फुहार
आई होली बन रंगों का त्यौहार
मौसम...

पिया मिलन की बनी चाह तन की
सखी रे ये बात बताऊं तुम्हें मन की
गा रहे मेरी सांसों के सारे सरगमी तार
मौसम.....

होली की पुरवाई दिल की रंगिनी करे पुकार
चाहत की रातों में करवटें बदलू पिया बार बार
नैन पुकारे साजन होली में न कराओ इंतजार
मौसम...

सखियां दे उल्हाने पनघट पर छेड़े बार बार
पूछे गौरी से कब आएंगे तेरे साजन इस बार
बेदर्दी बालम कसम तुम्हें अगर न आये द्वार
मौसम....

मोहे होली आये न रास पिया जब तुम न हो पास
मोह की मतवारी आंखों को तेरी आहट की आस
रंग रसिया बालम इंतजार में सांसों की प्रेम प्यास
मौसम...
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

#bicycleride

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