White शीर्षक: सफर का अंत जीवन सहज नहीं रहा अब मेर

"White शीर्षक: सफर का अंत जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा अनमना सा रहता अब तन मेरा दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा "कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali"

 White शीर्षक: सफर का अंत

जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा
सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा

अनमना सा रहता अब तन मेरा
दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा

चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा
कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा

जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा 
अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा

बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा
सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा

समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा
"कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

White शीर्षक: सफर का अंत जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा अनमना सा रहता अब तन मेरा दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा "कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

# सफर का अंत # कमल

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