छोटी-छोटी बातों में उलझे हैं हम
जीवन के कशमकश में खोये है हम
है बोझ कांधों पर जिम्मेदारियों का,
अपने शौकों को नजरंदाज करते हैं हम।।
जन्म लेने की खुशी मनायी जाती हमारी,
जिम्मेदारी निभाने के लिए ही जन्में है हम,
#दिल्लगी
ये चाँद, ये तारे, ये टिमटिमाते जुगनुओं की सरगोशी,
ये घटा, ये बारिश, ये लहराती हवाओं की खामोशी,
ये जुल्फें, ये आँखे, ये सूरख होठों की मदहोशी,
ये भीगा तन, ये बदन, ये कमर में बाहों की डोरी,
ये अदा, ये शर्म, ये हया की अनोखी हमजोली,
#भीड़
भीड़ बहुत है दुनिया में, कहीं! आँखो से ओझल ना हो जाऊं,
पकड़ कर चलना हाथ मेरा, कहीं! भीड़ में जुदा ना हो जाऊं,
भरोसा-यकिन-बनाए रखना, कहीं! अजनबी ना हो जाऊं,
पसंद हूँ मैं अपनों की, कहीं! भीड़ में नापसंद ना हो जाऊं,
होड़ लगी है यहाँ, अपनो से अपनों को जुदा करने की,
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here