रिपुदमन झा 'पिनाकी'

रिपुदमन झा 'पिनाकी'

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White छाती से चिपक कर एक बच्चा रोता है बिलखता रहता है नन्हा शिशु भूख की लपटों मे हर घड़ी झुलसता रहता है।। माँ के आँचल में दूध नहीं पानी भी आँख का सूखा है क्या करे किस तरह शांत करे उसका बालक जो भूखा है।। मानस कोई भला दया कर दे इसलिए वो हाथ पसारे है लोगों के दया की आस लिए लोगों की ओर निहारे है।। तन पर कुछ कपड़ों का टुकड़ा आँखों में लाज का परदा है लोगों की नजर कँटीली है अंग प्रत्यंग उसका छिलता है।। ममता रोती है सिसक सिसक क्या करे नहीं कुछ सूझ रहा क्या मजबूरी है उस मां की नन्हा बालक नहीं बूझ रहा।। या करे खुदकुशी बच्चे संग या बिक जाए बाजारों में आँखों को मूंदे खड़ी खड़ी वो पड़ी है गहन विचारों में।। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#कविता #mothers_day  White छाती से चिपक कर एक बच्चा रोता है बिलखता रहता है
नन्हा शिशु भूख की लपटों मे हर घड़ी झुलसता रहता है।।
माँ के आँचल में दूध नहीं पानी भी आँख का सूखा है
क्या करे किस तरह शांत करे उसका बालक जो भूखा है।।
मानस कोई भला दया कर दे इसलिए वो हाथ पसारे है
लोगों के दया की आस लिए लोगों की ओर निहारे है।।
तन पर कुछ कपड़ों का टुकड़ा आँखों में लाज का परदा है
लोगों की नजर कँटीली है अंग प्रत्यंग उसका छिलता है।।
ममता रोती है सिसक सिसक क्या करे नहीं कुछ सूझ रहा
क्या मजबूरी है उस मां की नन्हा बालक नहीं बूझ रहा।।
या करे खुदकुशी बच्चे संग या बिक जाए बाजारों में
आँखों को मूंदे खड़ी खड़ी वो पड़ी है गहन विचारों में।।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#mothers_day कविता

18 Love

White आँखों का समंदर ना सूखे मेरे दिल का सिसकना कम ना हो मेरे दर्द कभी न सुकूं पाए मेरे ज़ख्म का कोई मरहम ना हो मेरा चैन रहे बेचैन सदा मेरी रूह में टीस हो कसक रहे मेरी सांस चले पर जान न हो मेरी रूह रहे धड़कन न रहे मेरे पास मेरे अपने तो क्या ग़ैरों के भी साये साथ ना हो दुनिया में वजूद न मेरा रहे मेरा नाम भी मेरे साथ ना हो!! रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#शायरी #sad_quotes  White आँखों का समंदर ना सूखे मेरे दिल का सिसकना कम ना हो
मेरे दर्द कभी न सुकूं पाए मेरे ज़ख्म का कोई मरहम ना हो
मेरा चैन रहे बेचैन सदा मेरी रूह में टीस हो कसक रहे
मेरी सांस चले पर जान न हो मेरी रूह रहे धड़कन न रहे
मेरे पास मेरे अपने तो क्या ग़ैरों के भी साये साथ ना हो
दुनिया में वजूद न मेरा रहे मेरा नाम भी मेरे साथ ना हो!!

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#sad_quotes 'दर्द भरी शायरी'

11 Love

White पहले की तरह अब नहीं रहा मेरा समाज। बदला समय बदल गए सभी के अब मिज़ाज। मशगूल हो गए हैं अपने आप में सभी- करने लगे हैं बंद दिल के अपने सब दराज। सब बैठते थे साथ पहले दिन हो चाहे रात। सुख दुःख सुनाते करते थे आपस में मन की बात। लगता ही नहीं था अलग-अलग हैं हम सभी- परिवार थे हम देते थे एक-दूसरे का साथ। रौनक सी सजी रहती थी मोहल्ले में पहले। खिलती थी खुशी बच्चों के हर हल्ले में पहले। बचपन कहीं हैं खो गए किलकारियों वाले- सजते थे जो नगीने बन के छल्ले में पहले। अब तो उदासियों ने घर है अपना बनाया। वीरानियों का हर तरफ है बिछ गया साया। रहने लगे हैं लोग बंद अपने घरों में- जाने समय ने कैसा कालचक्र घुमाया। अब एक-दूसरे से लोग कटने लगे हैं। खुद में ही सभी आजकल सिमटने लगे हैं। होने लगे हैं दूर सभी ताल्लुकात से- आपस में मेल-जोल सबके घटने लगे हैं। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#बदल_गया_समाज #कविता  White पहले  की  तरह  अब  नहीं  रहा  मेरा समाज।
बदला समय बदल गए सभी के अब मिज़ाज।
मशगूल  हो  गए  हैं  अपने  आप  में  सभी-
करने  लगे  हैं बंद  दिल के अपने सब दराज।

सब  बैठते  थे  साथ  पहले  दिन  हो  चाहे  रात।
सुख दुःख सुनाते करते थे आपस में मन की बात।
लगता  ही  नहीं  था  अलग-अलग  हैं  हम  सभी-
परिवार  थे  हम  देते  थे  एक-दूसरे का साथ।

रौनक  सी  सजी  रहती  थी  मोहल्ले  में  पहले।
खिलती थी  खुशी  बच्चों  के हर  हल्ले में पहले।
बचपन  कहीं  हैं  खो  गए  किलकारियों  वाले-
सजते  थे  जो  नगीने  बन के  छल्ले  में  पहले।

अब तो उदासियों ने घर है अपना बनाया।
वीरानियों का हर तरफ है बिछ गया साया।
रहने  लगे  हैं  लोग  बंद  अपने  घरों  में-
जाने  समय  ने  कैसा  कालचक्र  घुमाया।

अब  एक-दूसरे  से  लोग  कटने  लगे  हैं।
खुद में ही सभी आजकल सिमटने लगे हैं।
होने  लगे  हैं  दूर  सभी  ताल्लुकात  से-
आपस में मेल-जोल सबके घटने लगे हैं।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#बदल_गया_समाज कविता

15 Love

White मैं दुआओं में हमेशा के लिए ज़िन्दा रहूँ। बददुआ न लूँ किसी की मैं न शर्मिन्दा रहूंँ। काम हों सबकी भलाई के मेरे हाथों सदा- नेक नगरी का हमेशा नेक बाशिन्दा रहूँ। दिल दुखाऊँ ना किसी का तीखी कड़वी बात से। मैं कभी खेलूँ नहीं मजबूर के जज़्बात से। साथ दूँ मैं हर क़दम सबका, मदद सबकी करूँ- मैं न घबराऊँ कभी बिगड़े हुए हालात से। मैं कभी नीचे न गिर जाऊँ मेरे किरदार से। पेश आऊँ मैं सभी से हर घड़ी बस प्यार से । याद करके लोग मुझसे मत करें निन्दा कभी- अलविदा जब लूँ कभी मैं दुनिया के बाजार से। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#ख्वाहिश #कविता  White मैं दुआओं में हमेशा के लिए ज़िन्दा रहूँ।
बददुआ न लूँ किसी की मैं न शर्मिन्दा रहूंँ।
काम हों सबकी भलाई के मेरे हाथों सदा-
नेक नगरी का हमेशा नेक बाशिन्दा रहूँ।

दिल दुखाऊँ ना किसी का तीखी कड़वी बात से।
मैं  कभी  खेलूँ  नहीं  मजबूर  के  जज़्बात  से।
साथ दूँ मैं हर क़दम सबका, मदद सबकी करूँ-
मैं  न  घबराऊँ  कभी  बिगड़े  हुए  हालात   से।


मैं कभी नीचे न गिर जाऊँ मेरे किरदार से।
पेश आऊँ मैं सभी से हर घड़ी बस प्यार से ।
याद करके लोग मुझसे मत करें निन्दा कभी-
अलविदा जब लूँ कभी मैं दुनिया के बाजार से।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी'

White मुझको बताओ कौन बेइमान नहीं है। इक आदमी, जो झूठ की दूकान नहीं है। जो छल रहा है शामो सुबह रोज़ जहाँ को- वह पूछता है तुझमें क्या ईमान नहीं है। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#विचार #Sad_Status  White मुझको  बताओ  कौन  बेइमान  नहीं  है।
इक आदमी, जो झूठ की दूकान नहीं है।
जो छल रहा है शामो सुबह रोज़ जहाँ को-
वह  पूछता  है  तुझमें  क्या ईमान नहीं  है।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#Sad_Status 'अच्छे विचार'

12 Love

White गणेशा आप पूजन में, सदा पूजे प्रथम जाते। मनोमय मन से जो ध्याता, सदा उसके ही हो जाते। हरो तुम विघ्न विघ्नेश्वर, जगत कल्याण करते हो- विनायक आप भक्तों के, सभी गुण दोष बिसराते। कि हे गणराय लंबोदर, नमन स्वीकार हो मेरा। करूं पूजन प्रथम तुमको, जगत आधार हो मेरा। विनायक आपका वंदन, करूं पूजन करूं निस दिन- यही आशीष मैं मांगूं, सुखी संसार हो मेरा। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#Ganesh_chaturthi #भक्ति  White 

गणेशा  आप  पूजन  में, सदा  पूजे  प्रथम  जाते।
मनोमय मन से जो ध्याता, सदा उसके ही हो जाते।
हरो तुम विघ्न विघ्नेश्वर, जगत कल्याण करते हो-
विनायक आप भक्तों के, सभी गुण दोष बिसराते।

कि  हे  गणराय  लंबोदर, नमन स्वीकार हो मेरा।
करूं पूजन प्रथम तुमको, जगत आधार हो मेरा।
विनायक आपका वंदन, करूं पूजन करूं निस दिन-
यही  आशीष  मैं  मांगूं, सुखी  संसार  हो  मेरा।

रिपुदमन झा 'पिनाकी' 
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी'
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