mothers_day
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White **गृहणी का स्वर** क्यों कहें कि गृहणी का स्वर, दब जाए हर इक कोने पर? क्यों न गूंजे उसकी वाणी, स्नेह भरी, ममता की रवानी। वो जो दिन-रात घर संवारती है, हर सपने को आकार देती है। क्या उसका स्वर इतना हल्का हो, कि आंधियों में दबा सा लगे? नहीं, गृहणी का भी अधिकार है, अपने मन के विचार है। उसकी बातें भी हों मुखर, घर के आंगन में गूंजे स्वर। वो शांति का दीप जला सकती है, तो संघर्ष का बिगुल बजा सकती है। उसके स्वर की मिठास भी सुनो, पर उसकी ताकत की परख करो। दबाना नहीं, उसे समझो तुम, गृहणी है, कोई मौन नहीं। उसका स्वर हो प्रेम का गान, न दबा हो, न चढ़ा अभिमान ©Writer Mamta Ambedkar

#कविता #mothers_day  White 


**गृहणी का स्वर**  

क्यों कहें कि गृहणी का स्वर,  
दब जाए हर इक कोने पर?  
क्यों न गूंजे उसकी वाणी,  
स्नेह भरी, ममता की रवानी।  

वो जो दिन-रात घर संवारती है,  
हर सपने को आकार देती है।  
क्या उसका स्वर इतना हल्का हो,  
कि आंधियों में दबा सा लगे?  

नहीं, गृहणी का भी अधिकार है,  
अपने मन के विचार है।  
उसकी बातें भी हों मुखर,  
घर के आंगन में गूंजे स्वर।  

वो शांति का दीप जला सकती है,  
तो संघर्ष का बिगुल बजा सकती है।  
उसके स्वर की मिठास भी सुनो,  
पर उसकी ताकत की परख करो।  

दबाना नहीं, उसे समझो तुम,  
गृहणी है, कोई मौन नहीं।  
उसका स्वर हो प्रेम का गान,  
न दबा हो, न चढ़ा अभिमान

©Writer Mamta Ambedkar

#mothers_day

11 Love

White सबर कह लो ,असर कह लो सुकून कह लो ,बसर कह लो खुशी हो मां के चेहरे पर उसे जन्नत का सफ़र कह लो ©kavi abhiraj

#कविता #mothers_day  White सबर कह लो ,असर कह लो
सुकून कह लो ,बसर कह लो
खुशी हो मां के चेहरे पर
उसे जन्नत का सफ़र कह लो

©kavi abhiraj

#mothers_day

13 Love

White छाती से चिपक कर एक बच्चा रोता है बिलखता रहता है नन्हा शिशु भूख की लपटों मे हर घड़ी झुलसता रहता है।। माँ के आँचल में दूध नहीं पानी भी आँख का सूखा है क्या करे किस तरह शांत करे उसका बालक जो भूखा है।। मानस कोई भला दया कर दे इसलिए वो हाथ पसारे है लोगों के दया की आस लिए लोगों की ओर निहारे है।। तन पर कुछ कपड़ों का टुकड़ा आँखों में लाज का परदा है लोगों की नजर कँटीली है अंग प्रत्यंग उसका छिलता है।। ममता रोती है सिसक सिसक क्या करे नहीं कुछ सूझ रहा क्या मजबूरी है उस मां की नन्हा बालक नहीं बूझ रहा।। या करे खुदकुशी बच्चे संग या बिक जाए बाजारों में आँखों को मूंदे खड़ी खड़ी वो पड़ी है गहन विचारों में।। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#कविता #mothers_day  White छाती से चिपक कर एक बच्चा रोता है बिलखता रहता है
नन्हा शिशु भूख की लपटों मे हर घड़ी झुलसता रहता है।।
माँ के आँचल में दूध नहीं पानी भी आँख का सूखा है
क्या करे किस तरह शांत करे उसका बालक जो भूखा है।।
मानस कोई भला दया कर दे इसलिए वो हाथ पसारे है
लोगों के दया की आस लिए लोगों की ओर निहारे है।।
तन पर कुछ कपड़ों का टुकड़ा आँखों में लाज का परदा है
लोगों की नजर कँटीली है अंग प्रत्यंग उसका छिलता है।।
ममता रोती है सिसक सिसक क्या करे नहीं कुछ सूझ रहा
क्या मजबूरी है उस मां की नन्हा बालक नहीं बूझ रहा।।
या करे खुदकुशी बच्चे संग या बिक जाए बाजारों में
आँखों को मूंदे खड़ी खड़ी वो पड़ी है गहन विचारों में।।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#mothers_day कविता

18 Love

White बारिश के बाद भींगे झोपड़े से निकलने वाले धुंए कम हो गए है, बेटे शहर गए है, या शहर के हो गए है? ©Sagar Aryan

#कविता #mothers_day  White   बारिश के बाद भींगे झोपड़े से निकलने वाले धुंए कम हो गए है,
बेटे शहर गए है, या शहर के हो गए है?

©Sagar Aryan

#mothers_day Maa पर कविता

15 Love

#कविता #mothers_day  White क्या कभी देखा है?
ब्रधाआश्रम में बैठी हुई उन बूढ़ी आंखो को?
जो हर पल रह देखती हैं,
जिनके लिए जीवन का पर्याय सिर्फ "तुम" हो ,देखना चाहती हैं तुम्हारे उन नन्हे कदमों को जो दौड़ कर मां से लिपट जाते थे,दिल से न सही, गिरने के भय से ही लिपट जाओ 
एक बार आश्रम की दहलीज पर मां से मिलने फिर आ जाओ।

©Alka Pandey

#mothers_day Maa पर कविता hardik Mhajan, Anshu writer, Prem Lata solanki, Anu Agarwal, Ravi vibhuti, shudha tripathi, kesav Kamal, Seth ji, Ambika jha, Brijesh Singh yadav, Vandana mishra, Suraj pal Singh, Ad Grk, Monis Khan, Mind talk, Anil Kumar Ray, adg grk, @GRHC~TECH~TRICKS हिमांशु Kulshreshtha Dayal "दीप, Goswami.. @vineetapanchal @masung Chaudhary @Asif Hindustani Official

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White नखरे और खर्चे बिना उफ़ किए सिर्फ मां बाप ही उठाते हैं बाकी दुनियां के हर एक रिश्ते के लिए हम सदा के लिए बोझ ही रहते हैं ।। ©MamtaYadav

#mothers_day  White नखरे और खर्चे 
बिना उफ़ किए 
सिर्फ मां बाप ही
उठाते हैं
बाकी दुनियां के 
हर एक रिश्ते के लिए
हम सदा के लिए बोझ ही रहते हैं ।।

©MamtaYadav

#mothers_day

14 Love

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