White वो बात कहां किसी और में है, जो बात है अपनी हिन्दी में।
निज भाव, प्रेम अभिव्यक्ति की हर बात है अपनी हिन्दी में।।
गौरवशाली स्वर्णिम अपनी हिन्दी की गौरवगाथा है।
है मातृभूमि अपनी हिन्दी और हिन्दी मातृभाषा है।।
हिन्दी संस्कृत की सुता सुघड़, सब भाषाओं की जननी है।
हिन्दी भारत की बिंदी है, हिन्दी प्यारी मनमोहिनी है।।
हर शब्द में भावों की सरिता, अर्थों में सार समाहित है
जीवन दायिनी इसमें रस है, अमृत की धार प्रवाहित है।।
है सरल सुगम भाषा हिन्दी, हिन्दी कोमल है भोली है।
मिश्री से मीठी और सरस ये अपनी हिन्दी बोली है।।
है चली आ रही बरसों से हिन्दी संस्कृति का सार लिए।
अपने भीतर अनुशासन और मर्यादा का आधार लिए।।
हम भाग्यवान भारतवासी हिन्दी की हैं संतान सभी।
कर्त्तव्य हमारा बनता है हिन्दी का करें सम्मान सभी।।
हिन्दी से अपनी प्रतिष्ठा है हिन्दी का नहीं अपमान करें।
हिन्दी को अपनाकर अपनी हिन्दी का हम उत्थान करें।।
हिन्दी में हम-सब बात करें हिन्दी में सारे काम करें।
हिन्दी के संग इस दुनिया में भारत का ऊंचा नाम करें।।
रिपुदमन झा "पिनाकी"
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक
©रिपुदमन झा 'पिनाकी'
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