#leafbook ये पत्ते भी न क्यों
किताब लिए बैठे हैं
लगता है ये भी कोई
सबक याद किए बैठे हैं
कोरे पन्नो पर लिखना चाहते है
ये भी कुछ सबक शायद
लगता हैं ये भी कुछ
बोझ दिल में लिए बैठे हैं
#SunSet बड़ी खामोशी से ये बात समंदर कहता है
में शांत हूं लेकिन मन अशांत रहता है
पल पल निर्झर होके ये किनारे मुझे कहते है
क्यू अविरल धारा में तू निश्चल बहता है
#GreenLeaves छोड़ रहे हैं हम अपने लिखने का हुनर यारो
अब से जीवन को जीना सीख लेंगे हम
धीरे धीरे शब्दों से दूरी बढ़ा ली है हमने
अब पूरी दुनिया से दूर हो जाएंगे हम !
कुलदीप सिंह रुहेला
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