Poet Kuldeep Singh Ruhela

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Unsplash बड़ी दास्तां लिखने बैठे थे अपने इश्क की आज किताब खोली तो तेरी याद आ गई लिखा करते थे जिनको हम ख्वाबों में आज वो पुरानी किताब हमे नजर आ गई ©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#शायरी #Book  Unsplash बड़ी दास्तां लिखने बैठे थे अपने इश्क की 
आज किताब खोली तो तेरी याद आ गई 
लिखा करते थे जिनको हम ख्वाबों में 
आज वो पुरानी किताब हमे नजर आ गई

©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#Book बड़ी दास्तां लिखने बैठे थे अपने इश्क की आज किताब खोली तो तेरी याद आ गई लिखा करते थे जिनको हम ख्वाबों में आज वो पुरानी किताब हमे नजर आ गई

11 Love

Unsplash ओढ़कर चादर कोहरे की देखो जनवरी आ गई प्यार के उमंगों को जवान बनाने की देखो आज घड़ी आ गई ©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#शायरी #snow  Unsplash ओढ़कर चादर कोहरे की
 देखो जनवरी आ गई 
प्यार के उमंगों को जवान बनाने 
की देखो आज घड़ी आ गई

©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#snow ओढ़कर चादर कोहरे की देखो जनवरी आ गई प्यार के उमंगों को जवान बनाने की देखो आज घड़ी आ गई

8 Love

Unsplash ये पत्ते भी न क्यों किताब लिए बैठे हैं लगता है ये भी कोई सबक याद किए बैठे हैं कोरे पन्नो पर लिखना चाहते है ये भी कुछ सबक शायद लगता हैं ये भी कुछ बोझ दिल में लिए बैठे हैं ©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#शायरी #leafbook  Unsplash ये पत्ते भी न क्यों 
किताब लिए बैठे हैं
लगता है ये भी कोई 
सबक याद किए बैठे हैं 
 कोरे पन्नो पर लिखना चाहते है 
ये भी कुछ सबक शायद
लगता हैं ये भी कुछ 
बोझ दिल में लिए बैठे हैं

©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#leafbook ये पत्ते भी न क्यों किताब लिए बैठे हैं लगता है ये भी कोई सबक याद किए बैठे हैं कोरे पन्नो पर लिखना चाहते है ये भी कुछ सबक शायद लगता हैं ये भी कुछ बोझ दिल में लिए बैठे हैं

15 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset बड़ी खामोशी से ये बात समंदर कहता है में शांत हूं लेकिन मन अशांत रहता है पल पल निर्झर होके ये किनारे मुझे कहते है क्यू अविरल धारा में तू निश्चल बहता है ©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#शायरी #SunSet  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset बड़ी खामोशी से ये बात समंदर कहता है 
में शांत हूं लेकिन मन अशांत रहता है 
पल पल निर्झर होके ये किनारे मुझे कहते है 
क्यू अविरल धारा में तू निश्चल बहता है

©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#SunSet बड़ी खामोशी से ये बात समंदर कहता है में शांत हूं लेकिन मन अशांत रहता है पल पल निर्झर होके ये किनारे मुझे कहते है क्यू अविरल धारा में तू निश्चल बहता है

21 Love

green-leaves छोड़ रहे हैं हम अपने लिखने का हुनर यारो अब से जीवन को जीना सीख लेंगे हम धीरे धीरे शब्दों से दूरी बढ़ा ली है हमने अब पूरी दुनिया से दूर हो जाएंगे हम ! कुलदीप सिंह रुहेला ©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#शायरी #GreenLeaves  green-leaves छोड़ रहे हैं हम अपने लिखने का हुनर यारो 
अब से जीवन को जीना सीख लेंगे हम
धीरे धीरे शब्दों से दूरी बढ़ा ली है हमने 
अब पूरी दुनिया से दूर हो जाएंगे हम !


कुलदीप सिंह रुहेला

©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#GreenLeaves छोड़ रहे हैं हम अपने लिखने का हुनर यारो अब से जीवन को जीना सीख लेंगे हम धीरे धीरे शब्दों से दूरी बढ़ा ली है हमने अब पूरी दुनिया से दूर हो जाएंगे हम ! कुलदीप सिंह रुहेला

22 Love

Unsplash में मुर्शद तू मुर्शद ये सारा जहां मुर्शद हो गया प्यार के तराने लिखता लिखता में तो खुद बेगाना हो गया ©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#शायरी #traveling  Unsplash में मुर्शद तू मुर्शद 
ये सारा जहां मुर्शद हो गया
प्यार के तराने लिखता लिखता
 में तो खुद बेगाना हो गया

©Poet Kuldeep Singh Ruhela

#traveling में मुर्शद तू मुर्शद ये सारा जहां मुर्शद हो गया प्यार के तराने लिखता लिखता में तो खुद बेगाना हो गया

12 Love

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