vidushi MISHRA

vidushi MISHRA Lives in Gorakhpur, Uttar Pradesh, India

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पृथ्वी में आवेग आए तो वो जब चाहे अपने मन के भार को किसी ना किसी रूप में निकाल ही देती हैं पर मानव मन में आवेग आए तो उससे निकले प्रदार्थ को कोई धरातल नहीं समेट सकती हैं.... ©vidushi MISHRA

#भक्ति #thought  पृथ्वी में आवेग आए  तो 
वो 
जब चाहे अपने मन के भार को
 किसी ना किसी रूप में निकाल
 ही देती हैं 
पर 
मानव मन में आवेग आए
 तो 
उससे निकले प्रदार्थ को 
कोई धरातल नहीं समेट
 सकती हैं....

©vidushi MISHRA

#thought जय श्री राम

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White एक बात तो बताओ अगर वीरह और वेदना में डूब जाने के बाद अगर अनन्त सुख की प्राप्ति हो भी जाए तो क्या वाकई इंसान परिपक्व हो जाता है अपने जीवन यापन के लिए या शून्यता की अनुभूति उसे हर सुखों से वंचित कर देती है या फिर जीवन के वास्तविक ज्ञान और भौतिक सुखों में वो उलझ कर रह जाता है ©vidushi MISHRA

#विचार #Sad_Status  White  एक बात तो बताओ
 अगर वीरह और वेदना में डूब जाने के बाद 
अगर 
अनन्त सुख की प्राप्ति हो भी जाए 
तो क्या वाकई
 इंसान परिपक्व हो जाता है 
अपने जीवन यापन के लिए 
या 
 शून्यता की अनुभूति उसे हर सुखों से वंचित कर देती है
 या
 फिर 
 जीवन के वास्तविक ज्ञान 
 और भौतिक सुखों में वो उलझ कर रह जाता है

©vidushi MISHRA

#Sad_Status नये अच्छे विचार

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Unsplash इस हद तक बेजार हो रही हूॅं मैं इस मुस्कुराहट के साथ खुद को खुद ही नहीं समझ पा रही अगर टूट ही गई हूॅं तो बिखर क्यों नहीं जा रही क्यों उम्मीद के दामन का एक धागा खुद की उंगलियों में लपेट रखी हूॅं ©vidushi MISHRA

#विचार #Book  Unsplash इस हद तक बेजार हो रही हूॅं मैं
 इस मुस्कुराहट के साथ 
खुद को खुद ही नहीं समझ पा रही 
अगर
 टूट ही गई हूॅं तो बिखर क्यों नहीं जा रही
 क्यों 
उम्मीद के दामन का एक धागा 
खुद की उंगलियों में लपेट 
रखी हूॅं

©vidushi MISHRA

#Book सुविचार इन हिंदी

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White इंसान की समस्या मूलतः व्यक्तिगत होती है उसे कोशिश भी यही करनी चाहिए की व्यक्तिगत तौर पर ही उन समस्याओं को निपटा ले..…. ©vidushi MISHRA

#love_shayari  White इंसान की समस्या मूलतः 
व्यक्तिगत 
होती है
 उसे  कोशिश भी यही करनी चाहिए
 की 
व्यक्तिगत तौर पर ही 
उन समस्याओं को 
निपटा ले..….

©vidushi MISHRA

#love_shayari hindi poetry

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White भला बताओ तो कैसे आ सकती है मुझे नींद आंखों की राहत के लिए एक दो झपकी ले भी लूं पर नींद तो नहीं आ सकती वजह न पूछना क्योंकि वो बातें इतनी गहरी है कि तुम उतर भी नहीं पाओगे मुझमें और उतर भी गए तो यकीन मानो डूब जाओगे तैर नहीं पाओगे ये मैं ही जानती हूॅं मैं कैसे तैरती हूॅं उन तमाम बातों के साथ...... ©vidushi MISHRA

#sad_qoute  White भला बताओ तो कैसे आ सकती है
 मुझे नींद 
आंखों की राहत के लिए एक दो झपकी
 ले भी लूं 
पर 
नींद तो नहीं आ सकती 
वजह न पूछना
 क्योंकि 
वो बातें इतनी गहरी है कि 
तुम उतर भी नहीं पाओगे मुझमें 
और उतर भी गए तो यकीन मानो 
डूब जाओगे तैर नहीं पाओगे 
ये मैं ही जानती हूॅं मैं कैसे तैरती  हूॅं 
उन तमाम बातों के 
साथ......

©vidushi MISHRA

#sad_qoute poetry in hindi Hinduism

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White बेहद लगाव नहीं रखना चाहती मैं अब किसी से भी क्योंकि खुद को फिर से खोना नहीं चाहती बिखरी थीं जो पिछली दफा अब तक पूरी ना सीमट सकी मैं..... ©vidushi MISHRA

#sad_shayari  White बेहद लगाव नहीं रखना चाहती मैं
 अब किसी से भी
 क्योंकि 
खुद को फिर से खोना नहीं चाहती 
 बिखरी थीं जो पिछली दफा
 अब तक पूरी ना सीमट सकी
 मैं.....

©vidushi MISHRA

#sad_shayari poetry hindi poetry

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