White सफर हसरतों के बेकार लगते है,,,
पास होकर भी दूर यार लगते है...$
ऐन, शीन, काफ अब कुछ नहीं होगा हमसे,,,
दिल कुछ बेजार लगते है...$
रास्ता बता रहा है सफर लंबा होगा,,,
दोस्त कह रहा है बस घंटे चार लगते है...$
टिकटे रखी है संभाल कर अब भी, इकतरफा उस सफर की,,,
क्या फर्क पड़ता है जो हम जार–जार लगते है...$
सुनो, चले जाओ ना यार अब तुम,,,
सच्चे कहने वाले झूठे से किरदार लगते है...$
और कसमें मत खाओ किसी की यूं बेवजह,,,
हमारे ना सही किसी के तो वो प्यार लगते है...$
ये मौसम, ये हवाऐं, कभी धूप, कभी चमकती बिजलियां,,,
सब के सब ही यार की अदाओं के कमाल लगते है...$
और कुछ तो बाकी है आज भी हममें ठाकुर,,,
मुडके देखते है वो, शायद अब भी कदरदान लगते है...$
©Neil Thakur
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