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मैं इस दुनिया में अलग दिखना चाहता हूं। इसलिए मैं लिखना चाहता हूं।। insta id...rohit_peoawat_writer_
White आकर्षण,उमंग अब क्षण–भंगुर से हो गए क्योंकि अब कर्मो में प्रधानता कहां। नकारात्मक,सकारत्मक पर हावी है, दोनो में भला समानता कहां ।। व्यक्तित्व,शख्सियत और पद खोखले हो गए क्योंकि कर्मो से अब महानता कहां। जीवन के असली मकसद को छोड़कर भाग रहे है नकली दुनिया में पारदर्शिता की बात कहे तो इंसान मानता कहां।। जीवन को सही जीने की सक्षमता हम के नहीं और बहाना ये कि,इंसान इतना जानता कहां।। ©Rohit Pepawat
Rohit Pepawat
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इस ब्रह्मांड का सबसे मुश्किल काम है, "जीवन जीना" क्योंकि,जीवन को जीने के लिए कई झूठ को सच और कई सच को झूठ मानना पड़ता है। और इस ब्रह्मांड का सबसे आसान काम है "जीवन समाप्ति" इस अवस्था में सभी कर्म और इच्छाओं का नाश हो जाता है। परंतु हमे जीवन को भौतिक और आंतरिक रूप से जी कर,जीवन–मृत्यु की क्रमबधता को तोड़ना होता है।। ©Rohit Pepawat
14 Love
White स्पष्टता की परिभाषा आज अपंग है। खुशियों में भी मिलावट है इस कदर,की लौहे सी मुस्कान में आंसू के पानी से लगी जंग है। मेहनत में कोई कमी नहीं,पर विपरीत परिणाम देखकर इन्सान दंग है "अकेले आए अकेले जाएंगे"पहले ये बात जुमला लगती थी पर पता अब चला यही जीवन के "गद्यांश" का प्रसंग है।। ©Rohit Pepawat
नदियों के पानी को पीकर, पत्थर उगल रही है धरती क्या हो गई है बंजर धरती। इंसानों ने घोपे धरती में प्रदूषण के खंजर क्या अब इंसानों में घोपेगी खंजर धरती।। सजाए थे हम इंसानों ने जीने के सपने सुना है उम्र के लिहाज से है पल भर धरती। न जाने क्या क्या हश्र किया इस धरती मां का हमने अब हमारे विनाश के लिए है तत्पर धरती।। बड़े बड़े शिलाओ जैसे थे हमारे सपने जीवन के क्या उन सपनों को करेगी कंकर धरती। ©Rohit Pepawat
15 Love
White हम वो एक अंतिम पीढ़ी है,जो कलियुग की शुरुआत देख रहे है। और हमारे बच्चे वो पहली पीढ़ी है,जो इस कलियुग की शुरुआत को देखेंगे। आने वाले समय में ऐसी बहुत सी अकल्पनीय घटनाएं होगी हो जो न हमने कभी देखी होगी। धरती से जल समाप्त होगा,खाने की चीज़े खाने लायक न बनकर जहर के समान बन जायेगी।इंसान अकेला रहकर जीने की कोशिश में अकेला तड़प कर मर जायेगा। मूलभूत सुविधाएं कम पड़ जायेगी। अच्छाई की कीमत आसमान छूने लगेगी। पाप सस्ता हो जाएगा।दुविधा ऐसी आएगी 90% काम जीवन के बिना हमारी इच्छा से होंगे। हमे महसूस तो सब होगा पर रोने के अलावा कोई और चारा नही होगा। चारों ओर हाहाकार मच जाएगा ।अधर्म हम जो अभी देख रहे है आने वाले समय में इसका 1000 गुना होगा। हमारी दौड़ का परिणाम सिर्फ मौत ही होगा मंजिल का बस नाम होगा। बहुत डरावना है हमारा भविष्य।🥺 ©Rohit Pepawat
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