White आकर्षण,उमंग अब क्षण–भंगुर से हो गए
क्योंकि अब कर्मो में प्रधानता कहां।
नकारात्मक,सकारत्मक पर हावी है,
दोनो में भला समानता कहां ।।
व्यक्तित्व,शख्सियत और पद खोखले हो गए
क्योंकि कर्मो से अब महानता कहां।
जीवन के असली मकसद को छोड़कर भाग रहे है नकली दुनिया में
पारदर्शिता की बात कहे तो इंसान मानता कहां।।
जीवन को सही जीने की सक्षमता हम के नहीं
और बहाना ये कि,इंसान इतना जानता कहां।।
©Rohit Pepawat
#Dosti