Ashok Mangal

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ना जनता सुधरती है ना नेता सुधरते हैं, इसीलिये आज़ादी में गुलामी से दिन दिखते हैं ! जनता वोट बेच के राजी है नेता वोट खरीद के, यानि दोनों मिलकर आज़ादी की अस्मत से खेलते है !! जान निछावर कर गये जो, मुल्क आज़ाद कराने को, सोच रहे होंगे, दी कुर्बानियां, क्या आज़ादी बेच खाने को ? हम निर्लज्जता ओढ़ बिछा फिरंगियों के चंगुल में हैं, बेहूदा पोशाक, दिन रात मोबाइल, सब है हमें बरगलाने को !! फार्मा ने अपना जाल बिछा हमारे घरेलू इलाज से दूर किया, कई गुना मुनाफ़े वाली दवाइयों के सेवन को मजबूर किया ! कैंसर जैसे रोग घर घर में पहुंचाने बिछाया प्लास्टिक का जाल, हज़ारों के इंजेक्शन का दाम करोड़ों में वसूल किया !! शेयर बाजार हो या हो हमारी फ़िल्में, पाश्चात्य अनुकरण से कोई अछूता नहीं इनमें ! युवाओं की नैतिकता पर भी दिन रात प्रहार, आज़ादी के प्रहरी बनने कोई तैयार नहीं इनमें !! नेता लूटे, शिक्षा लूटे, लूटे धर्मगुरु और अस्पताल, घर घर के बजट का बिगड़ता जा रहा सुर ताल ! अदालतों को भी किया आम पहुँच से बाहर, अपराधियों की है नेताओं संग कदमताल !! हे राम... - आवेश हिंदुस्तानी 6.10.2024 ©Ashok Mangal

#कविता #JanMannKiBaat #AaveshVaani #navratri  ना जनता सुधरती है ना नेता सुधरते हैं,
इसीलिये आज़ादी में गुलामी से दिन दिखते हैं !
जनता वोट बेच के राजी है नेता वोट खरीद के,
यानि दोनों मिलकर आज़ादी की अस्मत से खेलते है !!

जान निछावर कर गये जो, मुल्क आज़ाद कराने को,
सोच रहे होंगे, दी कुर्बानियां, क्या आज़ादी बेच खाने को ?
हम निर्लज्जता ओढ़ बिछा फिरंगियों के चंगुल में हैं,
बेहूदा पोशाक, दिन रात मोबाइल, सब है हमें बरगलाने को !!

फार्मा ने अपना जाल बिछा हमारे घरेलू इलाज से दूर किया,
कई गुना मुनाफ़े वाली दवाइयों के सेवन को मजबूर किया !
कैंसर जैसे रोग घर घर में पहुंचाने बिछाया प्लास्टिक का जाल,
हज़ारों के इंजेक्शन का दाम करोड़ों में वसूल किया !!

शेयर बाजार हो या हो हमारी फ़िल्में,
पाश्चात्य अनुकरण से कोई अछूता नहीं इनमें !
युवाओं की नैतिकता पर भी दिन रात प्रहार,
आज़ादी के प्रहरी बनने कोई तैयार नहीं इनमें !!

नेता लूटे, शिक्षा लूटे, लूटे धर्मगुरु और अस्पताल,
घर घर के बजट का बिगड़ता जा रहा सुर ताल !
अदालतों को भी किया आम पहुँच से बाहर,
अपराधियों की है नेताओं संग कदमताल !!

हे राम...

- आवेश हिंदुस्तानी 6.10.2024

©Ashok Mangal

लगातार बढ़ रहे हैं देशभर में बलात्कार ! पांच से पचासी साल तक हो रहे इसके शिकार !! संसार से बिदा हो गये सारे संस्कार ! पाश्चात्य अनुकरण से उजड़ रहे घर परिवार !! हर बुरी आदतों में देश को धकेला जा रहा ! जुए के विज्ञापनों में हर नामचीन नजर आ रहा !! दारू गुटका छोड़, ड्रग्स प्रचलन पांव पसार रहा ! सीधे जुए से बचे हुओं को क्रिकेट सट्टे में लाया जा रहा !! एटीएम लूटे जा रहे, वाहन तोड़े जा रहे ! बेरोजगारी के परिणाम उभर के आ रहे !! खून कच्ची उमर वालों से करा रहे ! तरुणाई के सहारे 3 साल जुवेनाइल में गुजरवा रहे !! छुड़ाने के बाद अपराध जगत में पैर जमा रहे ! काले कारनामों से जल्द से सफ़ेद पोश नेता बन जा रहे !! इसी चक्रव्यूह में फंस आज़ादी कसमसा रही ! जनता गुलामी से बदतर जीवन को मजबूर नजर आ रही !! युवाओं से उम्मीदों पर मोबाइल पानी फ़ेर रहा ! सड़कों पर भी युवा मोबाइल ही देख रहा !! आगे पीछे देखने भर को नहीं राजी ! रूह तक लहू-लुहान बलिदानी जिन्होंने अनमोल जान लगादी !! आवेश हिंदुस्तानी 29.09.2024 ©Ashok Mangal

#कविता #JanMannKiBaat #AaveshVaani  लगातार बढ़ रहे हैं देशभर में बलात्कार !
पांच से पचासी साल तक हो रहे इसके शिकार !!

संसार से बिदा हो गये सारे संस्कार !
पाश्चात्य अनुकरण से उजड़ रहे घर परिवार !!

हर बुरी आदतों में देश को धकेला जा रहा !
जुए के विज्ञापनों में हर नामचीन नजर आ रहा !!

दारू गुटका छोड़, ड्रग्स प्रचलन पांव पसार रहा !
सीधे जुए से बचे हुओं को क्रिकेट सट्टे में लाया जा रहा !!

एटीएम लूटे जा रहे, वाहन तोड़े जा रहे !
बेरोजगारी के परिणाम उभर के आ रहे !!

खून कच्ची उमर वालों से करा रहे !
तरुणाई के सहारे 3 साल जुवेनाइल में गुजरवा रहे !!

छुड़ाने के बाद अपराध जगत में पैर जमा रहे !
काले कारनामों से जल्द से सफ़ेद पोश नेता बन जा रहे !! 

इसी चक्रव्यूह में फंस आज़ादी कसमसा रही !
जनता गुलामी से बदतर जीवन को मजबूर नजर आ रही !!

युवाओं से उम्मीदों पर मोबाइल पानी फ़ेर रहा !
सड़कों पर भी युवा मोबाइल ही देख रहा !!

आगे पीछे देखने भर को नहीं राजी !
रूह तक लहू-लुहान बलिदानी जिन्होंने अनमोल जान लगादी !!

आवेश हिंदुस्तानी 29.09.2024

©Ashok Mangal

सासुओं ने बहुओं पे सालों साल ज़ुल्म ढ़ाया, सास ने ख़ुद सहे जुल्मों के बदले बहू को सताया ! अशिक्षित को गुलाम व अर्द्धशिक्षित को नौकरानी, कामकाजी पे भी बचे समय में घर काम का बोझा ढ़ाया !! परिणामस्वरूप बहुओं ने बाज़ी पलट दी अब, उच्चशिक्षा ग्रहण करने की कोशिशें कर रही सब ! पुरुषों से आगे निकलने की लगी है होड़, जड़ मूल से मिटा रही जुल्मों सितम का सबब !! जिन सासुओं परिस्थितियों से किया नहीं समझौता, पुत्र का तलाक़ हुआ या खुद हुई वृद्धाश्रम को बिदा ! शादियाँ भी खानापूर्ति बन कर रह गई, युवतियां शादी के नाम से ही होती घरवालों से ख़फ़ा !! शादी सभ्य स्वस्थ सुदृढ़ समाज की है नींव, शादी से ही सम्भव है धरती पर इंसानी जीव ! लालन-पालन से संस्कारों का संचार होता, आज का विकृत समाज इस मुद्दे पे नहीं संजीद !! समाज़ के सभ्य संपन्न निस्वार्थी वर्ग ने एकजुट होना है, इस परिस्थिति से बाहर निकलने का पर्याय खोजना है ! तभी सिर्फ़ तभी हमें संस्कारी समाज के दर्शन सम्भव, जब तक न सुधरे परिस्थितियां, चैन से नहीं बैठना है !! - आवेश हिंदुस्तानी 29.09.2024 ©Ashok Mangal

#कविता #JanMannKiBaat #AaveshVaani  सासुओं ने बहुओं पे सालों साल ज़ुल्म ढ़ाया,
सास ने ख़ुद सहे जुल्मों के बदले बहू को सताया !
अशिक्षित को गुलाम व अर्द्धशिक्षित को नौकरानी,
कामकाजी पे भी बचे समय में घर काम का बोझा ढ़ाया !!

परिणामस्वरूप बहुओं ने बाज़ी पलट दी अब,
उच्चशिक्षा ग्रहण करने की कोशिशें कर रही सब !
पुरुषों से आगे निकलने की लगी है होड़,
जड़ मूल से मिटा रही जुल्मों सितम का सबब !!

जिन सासुओं परिस्थितियों से किया नहीं समझौता,
पुत्र का तलाक़ हुआ या खुद हुई वृद्धाश्रम को बिदा !
शादियाँ भी खानापूर्ति बन कर रह गई,
युवतियां शादी के नाम से ही होती घरवालों से ख़फ़ा !!

शादी सभ्य स्वस्थ सुदृढ़ समाज की है नींव,
शादी से ही सम्भव है धरती पर इंसानी जीव !
लालन-पालन से संस्कारों का संचार होता,
आज का विकृत समाज इस मुद्दे पे नहीं संजीद !!

समाज़ के सभ्य संपन्न निस्वार्थी वर्ग ने एकजुट होना है,
इस परिस्थिति से बाहर निकलने का पर्याय खोजना है !
तभी सिर्फ़ तभी हमें संस्कारी समाज के दर्शन सम्भव, 
जब तक न सुधरे परिस्थितियां, चैन से नहीं बैठना है !!

- आवेश हिंदुस्तानी 29.09.2024

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White नदियों में गंदे नाले छोड़कर कर रहे प्रदुषित ! सफाई के नाम, जनकोष उड़ाने में सारा ध्यान है लक्षित !! सड़क सतह लगातार बढ़ा, घरों दुकानों में मैला पानी घुसा रहे ! सड़कों की गुणवत्ता कमजोर रख, खड्ड़े बढ़ाते जा रहे !! घूसखोरी और राजनीति से अवैध निर्माण बढ़ा रहे ! जब फिर लगी भूख, तो कानून आड़ ले फिर से धन उगाह रहे !! नेताओं में अक्ल और जनहित नीयत की है कमी ! जो भी अक्ल है उसमें उगाही की सोच ही सर्वोपरी !! अधिकारियों में अक्ल की नहीं है कमी ! बदली हो जाने के डर से उन्हें करनी पड़ती इनकी गुलामी !! परिणामत: जनकोष जनहित बजाय स्वहित में हो रहा स्वाहा ! नेताओं की बिनबात पत्तलकारों द्वारा जारी रहती वाह वाह !! - आवेश हिंदुस्तानी 27.09.2024 ©Ashok Mangal

#कविता #JanMannKiBaat #AaveshVaani #Hope  White नदियों में गंदे नाले छोड़कर कर रहे प्रदुषित !
सफाई के नाम, जनकोष उड़ाने में सारा ध्यान है लक्षित !!

सड़क सतह लगातार बढ़ा, घरों दुकानों में मैला पानी घुसा रहे !
सड़कों की गुणवत्ता कमजोर रख, खड्ड़े बढ़ाते जा रहे !!

घूसखोरी और राजनीति से अवैध निर्माण बढ़ा रहे !
जब फिर लगी भूख, तो कानून आड़ ले फिर से धन उगाह रहे !! 

नेताओं में अक्ल और जनहित नीयत की है कमी !
जो भी अक्ल है उसमें उगाही की सोच ही सर्वोपरी !!

अधिकारियों में अक्ल की नहीं है कमी !
बदली हो जाने के डर से उन्हें करनी पड़ती इनकी गुलामी !!

परिणामत: जनकोष जनहित बजाय स्वहित में हो रहा स्वाहा !
नेताओं की बिनबात पत्तलकारों द्वारा जारी रहती वाह वाह !!

- आवेश हिंदुस्तानी  27.09.2024

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White कारों पर कार कंपनी से कई गुना ज्यादा सरकार कमाती है ! इसीलिए फुटपाथों पे धड़ल्ले से कारें पार्क की जाती हैं !! फुटपाथों पे टपरियां छुटभैये नेताओं की मौज कराती है ! जनता को सुरक्षित चल सकने की जगह ही न मिल पाती है !! देश की युवा पीढ़ी जुए सट्टे नशे पत्ते में धकेली जा रही ! धन जुटाने के लिये अपराध की ओर बढ़ती नजर आ रही !! नेताओं से साठगांठ इनके हौ हौंसले चौगुने बढ़ा रही है ! संस्कारी सुशिक्षित युवाओं को बेरोजगारी सता रही है !! क्रिकेट और मोबाइल की लत समय खा रही है ! अनचाहे फोनों की आफ़त कार्य समय पे जुल्म ढ़ा रही है !! सरकारों को जनहित से सरोकार नहीं ! पत्रकार भी अब जनहित के पैरोकार नहीं !! महंगी न्यायपालिका आम बूते से बाहर है ! न्याय प्रक्रिया अब सजे बाजार सा कारोबार है !! समय पर चुनावों का न करा पाना शर्मनाक है ! आज़ादी नाम की, गुलामी से बदतर हालात है !! बुद्धिजीवियों को सलाखों में डाल डरा रक्खा है ! आज़ादी में अग्रजों ने अंग्रेजों से ज्यादा उधम मचा रक्खा है !! एकजुटता से खड़ी हो पाये गर सारी युवा पीढ़ी ! तभी सम्भव है चढ़ पाना आज़ादी की मंजिल की सीढ़ी !! -आवेश हिंदुस्तानी 24.09.2024 ©Ashok Mangal

#कविता #JanMannKiBaat #AaveshVaani #sad_quotes  White  कारों पर कार कंपनी से कई गुना ज्यादा सरकार कमाती है !
इसीलिए फुटपाथों पे धड़ल्ले से कारें पार्क की जाती हैं !! 

फुटपाथों पे टपरियां छुटभैये नेताओं की मौज कराती है !
जनता को सुरक्षित चल सकने की जगह ही न मिल पाती है !!

देश की युवा पीढ़ी जुए सट्टे नशे पत्ते में धकेली जा रही !
धन जुटाने के लिये अपराध की ओर बढ़ती नजर आ रही !!

नेताओं से साठगांठ इनके हौ हौंसले चौगुने बढ़ा रही है !
संस्कारी सुशिक्षित युवाओं को बेरोजगारी सता रही है !!

क्रिकेट और मोबाइल की लत समय खा रही है !
अनचाहे फोनों की आफ़त कार्य समय पे जुल्म ढ़ा रही है !!

सरकारों को जनहित से सरोकार नहीं !
पत्रकार भी अब जनहित के पैरोकार नहीं !!

महंगी न्यायपालिका आम बूते से बाहर है !
न्याय प्रक्रिया अब सजे बाजार सा कारोबार है !!

समय पर चुनावों का न करा पाना शर्मनाक है !
आज़ादी नाम की, गुलामी से बदतर हालात है !!

बुद्धिजीवियों को सलाखों में डाल डरा रक्खा है !
आज़ादी में अग्रजों ने अंग्रेजों से ज्यादा उधम मचा रक्खा है !!

एकजुटता से खड़ी हो पाये गर सारी युवा पीढ़ी !
तभी सम्भव है चढ़ पाना आज़ादी की मंजिल की सीढ़ी !!

-आवेश हिंदुस्तानी 24.09.2024

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White तानाशाह समझ रहा जन अब उसके साथ नहीं ! ऐसे में सुधरे बिना सत्ता टिकने के आसार नहीं !! छुट पुट छूट दे देकर बहलाने की कोशिशें जारी है ! छोटी मोटी बीमारी नहीं, जन को गंभीर बीमारी है !! जुए के विज्ञापनों को अविलंब बंद करे तानाशाह ! वरना रह न सकेगा तनके अब सत्ता में तानाशाह !! जुए में बरबाद युवा, अपराध में लिप्त होना ही है ! घर घर जन जन की आंखों को इसने भिगोना ही है !! नशे के बाजार भी सत्ता संज्ञान, संरक्षण में फल फूल रहे ! इक्का दुक्का इनसे हटके कर ले, उसको ही ये पकड़ रहे !! नैतिकता की होली हो रही फूहड़ फिल्मों व सीरियलों से ! खुलेआम अश्लीलता पसर रही प्रसारित कई विज्ञापनों से !! पढ़ाई हेतु तरुणाई को बड़े शहरों में अकेले रखना आम है ! पब प्रचलन सिगरेट चलन अब लड़कियों में भी आम है !! शादी होती नहीं समय पर, हुई तो भी अक्सर टिकती नहीं ! समाज की लापरवाही से ये समस्या कदापि हल होनी नहीं !! एकल परिवार अक्सर एक दूजे से निभा न पाते ! बात बिन बात लड़ झगड़ कर तलाक़ की ओर बढ़ जाते !! स्वार्थसनी मानसिकता परिवार संस्कार भुला रही ! बच्चों में मां बाप प्रति आदर सम्मान रहा नहीं !! उम्रदराज बनी जोड़ियां प्रजनन में अमूमन असफल है ! कईयों के मन में तो बच्चे पैदा ही न करने ललक है !! समाज की सुदृढ़ता जग संचलन के लिए है जरूरी ! कुंभकरण अनुसरण करते बुद्धिजीवियों में भरी है मगरूरी !! हे राम...हे कृष्ण... असंभव दीखे जनहित जश्न.. - आवेश हिन्दुस्तानी 26.8.24 ©Ashok Mangal

#कविता #JanMannKiBaat #janmashtami #AaveshVaani #Krishna  White तानाशाह समझ रहा जन अब उसके साथ नहीं !
ऐसे में सुधरे बिना सत्ता टिकने के आसार नहीं !!

छुट पुट छूट दे देकर बहलाने की कोशिशें जारी है !
छोटी मोटी बीमारी नहीं, जन को गंभीर बीमारी है !!

जुए के विज्ञापनों को अविलंब बंद करे तानाशाह !
वरना रह न सकेगा तनके अब सत्ता में तानाशाह !!

जुए में बरबाद युवा, अपराध में लिप्त होना ही है !
घर घर जन जन की आंखों को इसने भिगोना ही है !!

नशे के बाजार भी सत्ता संज्ञान, संरक्षण में फल फूल रहे !
इक्का दुक्का इनसे हटके कर ले, उसको ही ये पकड़ रहे !!

नैतिकता की होली हो रही फूहड़ फिल्मों व सीरियलों से !
खुलेआम अश्लीलता पसर रही प्रसारित कई विज्ञापनों से !!

पढ़ाई हेतु तरुणाई को बड़े शहरों में अकेले रखना आम है !
पब प्रचलन सिगरेट चलन अब लड़कियों में भी आम है !!

शादी होती नहीं समय पर, हुई तो भी अक्सर टिकती नहीं !
समाज की लापरवाही से ये समस्या कदापि हल होनी नहीं !!

एकल परिवार अक्सर एक दूजे से निभा न पाते !
बात बिन बात लड़ झगड़ कर तलाक़ की ओर बढ़ जाते !!

स्वार्थसनी मानसिकता परिवार संस्कार भुला रही !
बच्चों में मां बाप प्रति आदर सम्मान रहा नहीं !!

उम्रदराज बनी जोड़ियां प्रजनन में                                               अमूमन असफल है !
कईयों के मन में तो बच्चे                                                           पैदा ही न करने ललक है !!

समाज की सुदृढ़ता जग                                                            संचलन के लिए है जरूरी !
कुंभकरण अनुसरण करते                                                  बुद्धिजीवियों में भरी है मगरूरी !!

हे राम...हे कृष्ण...                                                               असंभव दीखे जनहित जश्न..

                                                                                       - आवेश हिन्दुस्तानी 26.8.24

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