खुशी
कई बार हमारे आस पास के लोग ऐसा भी होते हैं
के हम बहत मुश्किल और बहत मेहनत कर के
सब ठीक करने की कोशिस करते है
कुछ हद तक सब ठीक होने लगत है
लेकिन कुछ लोगों को अपनी खुशी से ज्यादा
दूसरों की खुशी मे दिलचस्पी होती है
लेकिन इसका हरगिज़ ये मतलब नही होता
के दूसरों की खुशी से उन्हे खुशी मिलती है
उन्हे तो सिर्फ ये रहता है के वोह शख्स खुश क्यो है
और उसकी सारी मेहनत सारी कोशिशों
को चंद बातों से तबाहो बर्बाद कर देता है
इन सब चीजों से उसको कोई फायदा तो नही होता है
लेकिन सामने वाले शख्स की सालों की मेहनत
और सारी खोवाहिशों पर बहत असर होता है
"बाल मोहन पांडे साहब का एक शेर है न"
खुल के रो लेने से दिल हल्का हो जाएगा क्या
और मुस्कुरा दूंगा तो सब आसान हो जाएगा क्या
मैं अगर अपनी खुशी से एक दिन भी काट लुं तो
आप लोगों का बहत नुकसान हो जाएगा क्या
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