कभी-कभी ऐसा भी होता है
की बहुत सारी बातें होती है
कहने को मगर कह नहीं पाते हैं
शायद हमें जो कहना है
वोह जबां से मुकम्मल नहीं हो पाती
हम उसे किसी से कह नहीं पाते हैं
या फिर कोई सुनने वाला नहीं होता
जब अंदर की खामोशी चिंखती है
तो दिल और दिमाग दोनों सुन पर जाता है
और इंसान को खामोशी अच्छी लाने लगती है
पता नहीं क्यों लोग कहते हैं उदास हैं
एक पंक्ति याद आती है
"कभी खुश हुए तो लिखेंगे क्यों तबीयत उदास रहती है"
©Ahmad Raza
#वक्त