कभी-कभी किसी चीज की सदिद जरूरत होती है
मगर उस वक्त में वोह मयस्सर नहीं होती
उस वक़्त नही मिल पाता है लेकिन
बाद मे फिर मिलता है शायद उससे और भी बेहतर
मगर उस वक़्त तक वोह खोवाहिशें
दिल के कीसी कोने मे दफ़न हो जाती है
फिर फर्क नही परता के वह खोवाहिशें
पूरी हुई भी या नही
वाशीर बद्र साहब की एक पंक्ति है
" दिल वोह कब्र है जहाँ हर रोज कोई न कोई खोवाहिशें दफ़न हो जाती है "
©Ahmad Raza
#वक़्त