Deepanshu

Deepanshu

मेरी रचनाएं पढ़ लीजिए, आप खुद-ब-खुद मुझे जान जायेंगे.....

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#lifelessons #lifequotes #lifequote #GoodNight #lovelife #alone  White पहली बार नजरें मिली थीं हमारी,
मैं काँप रहा था।
लेकिन मैंने अपने शरीर को वश में रखा।
तुम मुस्कुराई,
मेरे हृदय की कपकपी बढ़ती गई,
तभी, तुमने नाम पूछ लिया।
ऐसा लगा,
जैसे अब मेरा हृदय मेरी छाती को चीर देना चाहता है।
मैंने धीरे से नाम कहा।
तब मैंने देखा तुम्हारे माथे की ओर,
और बस देखता रहा,
तुम्हारी उस बिंदिया को।
वो घास के ढेर में उस सुई के समान था
जिसने मेरे हृदय को घायल कर दिया।
शायद ये घायल होना चाहता था।
न जाने क्या,
लेकिन कुछ तो था तुम्हारी उस काली बिंदी में,
जो मुझे तुम्हारी ओर खींच रहा था।
वो बिंदिया बता रही थी,
कि तुम्हे किसी श्रृंगार की ज़रूरत नहीं।
उस बिंदिया से झलकती थी, तुम्हारी "सादगी"।
और तब,
मैंने तुम्हारे माथे को चूमा,
कल्पना में।
मेरे होठों ने तुम्हारी बिंदी का स्पर्श महसूस किया।
ऐसा लगा, जैसे,
मेरे शरीर में प्रेम बह रहा हो।
मैं सुन्न।
ख़ामोश।
पीछे से किसी ने टोका,
मालूम हुआ तुम जा चुकी हो,
और तुम्हारे साथ चला गया मेरे हृदय का चहकना।
रह गई तो तुम्हारे चेहरे की प्रतिमा, मेरी आँखों में,
और उसमे झलकती,
तुम्हारी "बिंदिया"।

©Deepanshu
#lifelessons #lifequotes #lifequote #lovelife #alone  White क्यों डरना कब्रिस्तान के मुर्दों से?
मुझे तो ना डर अब "श्मसान" का है,
क्यों खौफ होगा मुझे प्रेतों का?
मुझे तो डर अब "इंसान" का है।

©Deepanshu
#lifelessons #lifequotes #lifequote #lovelife #alone #poem  जैसे सूर्य जगमगाता है चंदा को अपने आग़ोश से निकलते धूप से,
जैसे तारे टिम टिमाते हैं धरती की छाती से चिपक कर ही,
क्या ऐसी ही किसी रात, उस नदी के किनारे मेरी बाहों को भरोगी तुम?

©Deepanshu

जैसे सूर्य जगमगाता है चंदा को अपने आग़ोश से निकलते धूप से, जैसे तारे टिम टिमाते हैं धरती की छाती से चिपक कर ही, क्या ऐसे ही किसी रात, उस नदी के किनारे मेरी बाहों को भरोगी तुम? ✍️❤️..... #alone #life #lifequotes #lifelessons #lifequote #lovelife #poem #poetry #SAD #Love

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#SaferMotherHoodDay #lifelessons #lifequotes #motherlove #lifequote #lovelife  #SaferMotherHoodDay कहीं आधी रात को गूँज उठी किलकारी,
और आँखों से बह गई अश्रुधारा;
उन आँसुओं में भरा था मातृप्रेम,
उस स्नेह से उत्पन्न हुआ एक शिशु प्यारा।

वो अब भूख को अपनाना सीखेगी,
उस शिशु के लिए तो यही ज़रूरी है;
कहीं जल ना उठे उस बच्चे की आत्मा,
इसलिए उस माँ का तपना ज़रूरी है।

वो बच्चा अब चलना चाहता है,
सो माँ ने उसके पैरों तले फूल दिए;
वो जिस पथ पर पग बढ़ाता है,
माँ ने उस पथ के सभी शूल लिए।

उसने परिपक्वता की पराकाष्ठा देख ली अब,
वो खुश है, भले ही स्वप्नहीन सही;
वो बच्चा अब युवक हो चला है,
माँ तो उसी के सपनों में लीन सही।

अभी उस माँ का कार्य बाकी है,
अपनी कोख को मजबूत बनाना है;
वो युवक चला जब संसार बसाने,
तब ये सूर्य चंद्रमा उसके इंतज़ार में बिताना है।

युवक लौटा तो खिलखिलाया हुआ था,
आखिर अपने ख्वाबों को सच कर लौटा है;
उस माँ को देखकर हैरान रह गया,
जिस देवी का वो बेटा है।

वो कोमल हर्षित देह, जिसे वो जानता था,
वो शरीर अब शाम में ढलने को है;
उसकी आत्मा मुस्काती है, (अपने बच्चे को देखकर)
और अब वो देह सामने जलने को है।

उस शक्ति का कार्य संपन्न हुआ,
जिसने त्याग में बिताया जीवन सारा;
वो बच्चा जब रखता है उसे अग्नि के गर्भ में,
तब उसके आँखों से बह गई, "अश्रुधारा"।

©Deepanshu
#empoweringwomen #कविता #lifelessons #lifequotes #lifequote #lovelife  कोई घिरा है गहरे समंदर में?
तो वो उसकी आशा रूपी नाव है;
कड़े धूप में, तंग शहरों के बीच,
वो सुकून से भरी छाँव है।

वो हर कामयाबी की नींव रही है,
वो मुश्किलों को मिली मात है;
क्या एहमियत है उसकी इस संसार में?
वहीं तो संसार की शुरुआत है।

माना ये दुनिया उसके लिए क्रूर रही है,
फिर भी वो एक मज़बूत इमारत है;
यही समय है सबको समझाने का,
की वो समाज की अमूल्य विरासत है।

उसमे माँ की ममता बस्ती है,
वो डर से भी बेखौफ लड़ी है;
एक पुरुष से पूछो क्या है औरत,
उसकी हर गरज के पीछे एक स्त्री खड़ी है।

वो खुशी है, वो संतुलन है जीवन का,
ज़िन्दगी जीने की वो सहज तैयारी है;
जिसे सम्मान का समान अधिकार है,
वो नारी है, वो नारी है, वो नारी है।

©Deepanshu
#ज़िन्दगी #lifelessons #lifequotes #lifequote #lovelife #selflove  दूसरों से प्यार जताता रहूँगा, आज खुद के लिए बारी है,
आप "ठहर" जाइए आज, मैं प्यार जताऊँगा, अपने लिए।

आपको "अपने" की ज़रूरत है? मैं आपका साथ निभाऊँगा,
बस आज ठहर जाइए आप, मैं हाथ बढ़ाऊँगा, अपने लिए।

आपकी तो हमेशा सुनूंगा मैं, आप कहने को तैयार रहिए,
लेकिन बस आज ठहर जाइए आप, मैं बातें सुनाऊँगा, अपने लिए।

आप पर तो लिखता रहूँगा मैं, मेरी रचनाओं के आप "प्राण" रहे हैं,
लेकिन आज आपको ठहरना होगा, मैं "नज़्में" बनाऊँगा, अपने लिए।

इस ज़िंदगी को तो रोज़ कोसता हूँ मैं, लेकिन आज नही,
आपकी नही मैं अपनी सुनूंगा, मैं गम भुलाऊँगा, अपने लिए।

©Deepanshu

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