White पहली बार नजरें मिली थीं हमारी,
मैं काँप रहा था।
लेकिन मैंने अपने शरीर को वश में रखा।
तुम मुस्कुराई,
मेरे हृदय की कपकपी बढ़ती गई,
तभी, तुमने नाम पूछ लिया।
ऐसा लगा,
जैसे अब मेरा हृदय मेरी छाती को चीर देना चाहता है।
मैंने धीरे से नाम कहा।
तब मैंने देखा तुम्हारे माथे की ओर,
और बस देखता रहा,
तुम्हारी उस बिंदिया को।
वो घास के ढेर में उस सुई के समान था
जिसने मेरे हृदय को घायल कर दिया।
शायद ये घायल होना चाहता था।
न जाने क्या,
लेकिन कुछ तो था तुम्हारी उस काली बिंदी में,
जो मुझे तुम्हारी ओर खींच रहा था।
वो बिंदिया बता रही थी,
कि तुम्हे किसी श्रृंगार की ज़रूरत नहीं।
उस बिंदिया से झलकती थी, तुम्हारी "सादगी"।
और तब,
मैंने तुम्हारे माथे को चूमा,
कल्पना में।
मेरे होठों ने तुम्हारी बिंदी का स्पर्श महसूस किया।
ऐसा लगा, जैसे,
मेरे शरीर में प्रेम बह रहा हो।
मैं सुन्न।
ख़ामोश।
पीछे से किसी ने टोका,
मालूम हुआ तुम जा चुकी हो,
और तुम्हारे साथ चला गया मेरे हृदय का चहकना।
रह गई तो तुम्हारे चेहरे की प्रतिमा, मेरी आँखों में,
और उसमे झलकती,
तुम्हारी "बिंदिया"।
©Deepanshu
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