White जो दिख जाए, फिर अंधेरा कैसा,
जहां इश्क़ हो, वहां बसेरा कैसा।
रौशनी तो दिलों में बसती है,
चिराग़ों का फिर मायने ही कैसा।
जो निगाहें पढ़ लें खामोशी को,
उनसे बेहतर हमसफ़र कैसा।
जो हक़ीकत में रूह को छू ले,
उससे बड़ा कोई सपना कैसा।
अंधेरों से लड़ना हमने सीखा है,
रौशनी का अब फरेब कैसा।
जो दिख जाए, फिर अंधेरा कैसा,
जहां इश्क़ हो, वहां बसेरा कैसा।
©UNCLE彡RAVAN
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