Jashvant

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चलते फिरते हुए महताब दिखाएंगे तुम्हें , हमसे मिलना कभी, पंजाब दिखाएंगे तुम्हें | चांद हर छत पर है, सूरज है हर आंगन में, नींद से जागो तो कुछ ख्वाब दिखाएंगे तुम्हें |

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White हर दुश्मन-ए-वफ़ा मुझे महबूब हो गया जो मोजज़ा हुआ वो बहुत ख़ूब हो गया इश्क़ एक सीधी-सादी सी मंतिक़ की बात है रग़बत मुझे हुई तो वो मर्ग़ूब हो गया दीवानगी बग़ैर हयात इतनी तल्ख़ थी जो शख़्स भी ज़हीन था मज्ज़ूब हो गया मुजरिम था जो वो अपनी ज़ेहानत से बच गया जिस से ख़ता न की थी वो मस्लूब हो गया वो ख़त जो उस के हाथ से पुर्ज़े हुआ 'अदम' दुनिया का सब से क़ीमती मक्तूब हो गया ©Jashvant

#GoodMorning #Deep  White हर दुश्मन-ए-वफ़ा मुझे महबूब हो गया
जो मोजज़ा हुआ वो बहुत ख़ूब हो गया

इश्क़ एक सीधी-सादी सी मंतिक़ की बात है
रग़बत मुझे हुई तो वो मर्ग़ूब हो गया

दीवानगी बग़ैर हयात इतनी तल्ख़ थी
जो शख़्स भी ज़हीन था मज्ज़ूब हो गया

मुजरिम था जो वो अपनी ज़ेहानत से बच गया
जिस से ख़ता न की थी वो मस्लूब हो गया

वो ख़त जो उस के हाथ से पुर्ज़े हुआ 'अदम'
दुनिया का सब से क़ीमती मक्तूब हो गया

©Jashvant

#GoodMorning#Deep poetry in urdu#Mehboob

11 Love

White जब तिरे नैन मुस्कुराते हैं ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं क्यूँ शिकन डालते हो माथे पर भूल कर आ गए हैं जाते हैं कश्तियाँ यूँ भी डूब जाती हैं नाख़ुदा किस लिए डराते हैं इक हसीं आँख के इशारे पर क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं ©Jashvant

#alfaz #urdu  White जब तिरे नैन मुस्कुराते हैं
ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं

क्यूँ शिकन डालते हो माथे पर
भूल कर आ गए हैं जाते हैं

कश्तियाँ यूँ भी डूब जाती हैं
नाख़ुदा किस लिए डराते हैं

इक हसीं आँख के इशारे पर
क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं

©Jashvant

#alfaz#urdu poetry

8 Love

White मंज़िल पे पहुँचने का मुझे शौक़ हुआ तेज़ रस्ता मिला दुश्वार तो मैं और चला तेज़ हाथों को डुबो आए हो तुम किस के लहू में पहले तो कभी इतना न था रंग-ए-हिना तेज़ मुझ को ये नदामत है कि मैं सख़्त-गुलू था तुझ से ये शिकायत है कि ख़ंजर न किया तेज़ चल मैं तुझे रफ़्तार का अंदाज़ सिखा दूँ हम-राह मिरे सुस्त-क़दम मुझ से जुदा तेज़ अफ़्सुर्दगी-ए-गुल पे भरीं किस ने ये आहें चलती है सर-ए-सहन-ए-चमन आज हवा तेज़ अब मुझ को नज़र फेर के इक जाम दे साक़ी फिर कौन सँभालेगा अगर नश्शा हुआ तेज़ इंसान के हर ग़म पे 'सबा' चोट लगी है शीशे के चटख़ने की भी थी कितनी सदा तेज़ ©Jashvant

 White मंज़िल पे पहुँचने का मुझे शौक़ हुआ तेज़
रस्ता मिला दुश्वार तो मैं और चला तेज़

हाथों को डुबो आए हो तुम किस के लहू में
पहले तो कभी इतना न था रंग-ए-हिना तेज़

मुझ को ये नदामत है कि मैं सख़्त-गुलू था
तुझ से ये शिकायत है कि ख़ंजर न किया तेज़

चल मैं तुझे रफ़्तार का अंदाज़ सिखा दूँ
हम-राह मिरे सुस्त-क़दम मुझ से जुदा तेज़

अफ़्सुर्दगी-ए-गुल पे भरीं किस ने ये आहें
चलती है सर-ए-सहन-ए-चमन आज हवा तेज़

अब मुझ को नज़र फेर के इक जाम दे साक़ी
फिर कौन सँभालेगा अगर नश्शा हुआ तेज़

इंसान के हर ग़म पे 'सबा' चोट लगी है
शीशे के चटख़ने की भी थी कितनी सदा तेज़

©Jashvant

deep poetry in urdu#Tez

18 Love

White दिन कट रहे हैं कश्मकश-ए-रोज़गार में दम घुट रहा है साया-ए-अब्र-ए-बहार में आती है अपने जिस्म के जलने की बू मुझे लुटते हैं निकहतों के सुबू जब बहार में गुज़रा उधर से जब कोई झोंका तो चौंक कर दिल ने कहा ये आ गए हम किस दयार में मैं एक पल के रंज-ए-फ़रावाँ में खो गया मुरझा गए ज़माने मिरे इंतिज़ार में है कुंज-ए-आफ़ियत तुझे पा कर पता चला क्या हमहमे थे गर्द-ए-सर-ए-रह-गुज़ार में ©Jashvant

#gazal  White दिन कट रहे हैं कश्मकश-ए-रोज़गार में
दम घुट रहा है साया-ए-अब्र-ए-बहार में

आती है अपने जिस्म के जलने की बू मुझे
लुटते हैं निकहतों के सुबू जब बहार में

गुज़रा उधर से जब कोई झोंका तो चौंक कर
दिल ने कहा ये आ गए हम किस दयार में

मैं एक पल के रंज-ए-फ़रावाँ में खो गया
मुरझा गए ज़माने मिरे इंतिज़ार में

है कुंज-ए-आफ़ियत तुझे पा कर पता चला
क्या हमहमे थे गर्द-ए-सर-ए-रह-गुज़ार में

©Jashvant

#gazal# urdu poetry

20 Love

White सोच में डूबा हुआ हूँ अक्स अपना देख कर जी लरज़ उट्ठा तिरी आँखों में सहरा देख कर प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर एक दिन आँखों में बढ़ जाएगी वीरानी बहुत एक दिन रातें डराएँगी अकेला देख कर एक दुनिया एक साए पर तरस खाती हुई लौट कर आया हूँ मैं अपना तमाशा देख कर उम्र भर काँटों में दामन कौन उलझाता फिरे अपने वीराने में आ बैठा हूँ दुनिया देख कर ©Jashvant

#sad_quotes  White सोच में डूबा हुआ हूँ अक्स अपना देख कर
जी लरज़ उट्ठा तिरी आँखों में सहरा देख कर

प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर
भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर

एक दिन आँखों में बढ़ जाएगी वीरानी बहुत
एक दिन रातें डराएँगी अकेला देख कर

एक दुनिया एक साए पर तरस खाती हुई
लौट कर आया हूँ मैं अपना तमाशा देख कर

उम्र भर काँटों में दामन कौन उलझाता फिरे
अपने वीराने में आ बैठा हूँ दुनिया देख कर

©Jashvant

#sad_quotes urdu poetry

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White जो ग़ैर थे वो इसी बात पर हमारे हुए कि हम से दोस्त बहुत बे-ख़बर हमारे हुए किसे ख़बर वो मोहब्बत थी या रक़ाबत थी बहुत से लोग तुझे देख कर हमारे हुए अब इक हुजूम-ए-शिकस्ता-दिलाँ है साथ अपने जिन्हें कोई न मिला हम-सफ़र हमारे हुए किसी ने ग़म तो किसी ने मिज़ाज-ए-ग़म बख़्शा सब अपनी अपनी जगह चारागर हमारे हुए बुझा के ताक़ की शमएँ न देख तारों को इसी जुनूँ में तो बर्बाद घर हमारे हुए वो ए'तिमाद कहाँ से 'फ़राज़' लाएँगे किसी को छोड़ के वो अब अगर हमारे हुए ©Jashvant

#Good  White जो ग़ैर थे वो इसी बात पर हमारे हुए
कि हम से दोस्त बहुत बे-ख़बर हमारे हुए

किसे ख़बर वो मोहब्बत थी या रक़ाबत थी
बहुत से लोग तुझे देख कर हमारे हुए

अब इक हुजूम-ए-शिकस्ता-दिलाँ है साथ अपने
जिन्हें कोई न मिला हम-सफ़र हमारे हुए

किसी ने ग़म तो किसी ने मिज़ाज-ए-ग़म बख़्शा
सब अपनी अपनी जगह चारागर हमारे हुए

बुझा के ताक़ की शमएँ न देख तारों को
इसी जुनूँ में तो बर्बाद घर हमारे हुए

वो ए'तिमाद कहाँ से 'फ़राज़' लाएँगे
किसी को छोड़ के वो अब अगर हमारे हुए

©Jashvant

#Good Morning#_shayari

18 Love

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