White जब तिरे नैन मुस्कुराते हैं ज़ीस्त के रंज भूल | हिंदी Poetry

"White जब तिरे नैन मुस्कुराते हैं ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं क्यूँ शिकन डालते हो माथे पर भूल कर आ गए हैं जाते हैं कश्तियाँ यूँ भी डूब जाती हैं नाख़ुदा किस लिए डराते हैं इक हसीं आँख के इशारे पर क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं ©Jashvant"

 White जब तिरे नैन मुस्कुराते हैं
ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं

क्यूँ शिकन डालते हो माथे पर
भूल कर आ गए हैं जाते हैं

कश्तियाँ यूँ भी डूब जाती हैं
नाख़ुदा किस लिए डराते हैं

इक हसीं आँख के इशारे पर
क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं

©Jashvant

White जब तिरे नैन मुस्कुराते हैं ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं क्यूँ शिकन डालते हो माथे पर भूल कर आ गए हैं जाते हैं कश्तियाँ यूँ भी डूब जाती हैं नाख़ुदा किस लिए डराते हैं इक हसीं आँख के इशारे पर क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं ©Jashvant

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