White सोच में डूबा हुआ हूँ अक्स अपना देख कर जी लरज | हिंदी Poetry

"White सोच में डूबा हुआ हूँ अक्स अपना देख कर जी लरज़ उट्ठा तिरी आँखों में सहरा देख कर प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर एक दिन आँखों में बढ़ जाएगी वीरानी बहुत एक दिन रातें डराएँगी अकेला देख कर एक दुनिया एक साए पर तरस खाती हुई लौट कर आया हूँ मैं अपना तमाशा देख कर उम्र भर काँटों में दामन कौन उलझाता फिरे अपने वीराने में आ बैठा हूँ दुनिया देख कर ©Jashvant"

 White सोच में डूबा हुआ हूँ अक्स अपना देख कर
जी लरज़ उट्ठा तिरी आँखों में सहरा देख कर

प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर
भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर

एक दिन आँखों में बढ़ जाएगी वीरानी बहुत
एक दिन रातें डराएँगी अकेला देख कर

एक दुनिया एक साए पर तरस खाती हुई
लौट कर आया हूँ मैं अपना तमाशा देख कर

उम्र भर काँटों में दामन कौन उलझाता फिरे
अपने वीराने में आ बैठा हूँ दुनिया देख कर

©Jashvant

White सोच में डूबा हुआ हूँ अक्स अपना देख कर जी लरज़ उट्ठा तिरी आँखों में सहरा देख कर प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर एक दिन आँखों में बढ़ जाएगी वीरानी बहुत एक दिन रातें डराएँगी अकेला देख कर एक दुनिया एक साए पर तरस खाती हुई लौट कर आया हूँ मैं अपना तमाशा देख कर उम्र भर काँटों में दामन कौन उलझाता फिरे अपने वीराने में आ बैठा हूँ दुनिया देख कर ©Jashvant

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