Manoj Shrivastava

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Happy Rath Yatra अभी अँधेरा छँटा नही है कोई भी दीपक जला नही है हुआ है ज़र -ज़र ये तन भले ही ज़ुनून लेकिन मरा नही है वो प्यार ,ममता ,भरोसा ,आदर दिलों में बाकी बचा नही है कहा बहुत कुछ नज़र ने मेरी तेरे ही दिल ने सुना नही है उखङ गया है जङों से अपनी जो ज़िन्दगी भर झुका नही है सुलग रहे हैं शरारे कैसे कहीं पे कोई हवा नही है क्या फायदा है करीब आकर अगर दिलो में वफ़ा नही है यूं कोशिशें तो बहुत सी की थी तू "दर्द"दिल से मिटा नही है मनोज दर्द मुगाँवली म प्र स्वारचित

#RathYatra2021  Happy Rath Yatra  

अभी अँधेरा छँटा नही है
कोई भी दीपक जला नही है

हुआ है ज़र -ज़र ये तन भले ही
ज़ुनून लेकिन मरा नही है

वो प्यार ,ममता ,भरोसा ,आदर
दिलों में बाकी बचा नही है

कहा बहुत कुछ नज़र ने मेरी
तेरे ही दिल ने सुना नही है

उखङ गया है जङों से अपनी
जो ज़िन्दगी भर झुका नही है

सुलग रहे हैं शरारे कैसे
कहीं पे कोई हवा नही है

क्या फायदा है करीब आकर
अगर दिलो में वफ़ा नही है

यूं कोशिशें तो बहुत सी की थी
तू "दर्द"दिल से मिटा नही है

मनोज दर्द मुगाँवली म प्र
स्वारचित

बंसतोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाये हे शारदे माँ तू ही सविता, सरिता हे वीणां पाणि तू पावन पुनीता तुझी से है रोशन ये संसार सारा तेरे दम से कश्ती ने पाया किनारा प्रवाहित है तुझसे ही शब्दो की गंगा तुझी से ग़ज़ल ,गीत ,छन्द और कविता हे शारदे माँ ------------ तू कंकर ,तू पत्थर ,तू रज में वणित है तू अग्नि ,पवन में तू जल में जङित है तुझी से है उज्वल गगन ,चाँद ,तारे कोई और तुझ सी नही है सुनीता हे शारदे माँ ----------+ तेरे दम से कई सारे मूरख तरे है जो खोटे थे कल तक हुये वो खरे है मिला जिनक हे मात आशीष तेरा रचे उसने नित दिन महकाव्य गीता हे शारदे माँ------------- तुझी से है बुद्धि और बल की परीक्षा तुझी से है सुर -ताल की मिलती दीक्षा कहे "दर्द"तू सच्ची सरगम की देवी समाहित है तुझ से ही विनीता ,अनीता हे शारदे माँ तू सविता ,सरिता हे वीणां पाणि तू पावन पुनीता मनोज दर्द मुगाँवली म प्र स्वारचित

#zindagikerang  बंसतोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाये

हे शारदे माँ तू ही सविता, सरिता
हे वीणां पाणि तू पावन पुनीता

तुझी से है रोशन ये संसार सारा
तेरे दम से कश्ती ने पाया किनारा
प्रवाहित है तुझसे ही शब्दो की गंगा
तुझी से ग़ज़ल ,गीत ,छन्द और कविता 

हे शारदे माँ ------------

तू कंकर ,तू पत्थर ,तू रज में वणित है
तू अग्नि ,पवन में तू जल में जङित है
तुझी से है उज्वल गगन ,चाँद ,तारे
कोई और तुझ सी नही है सुनीता 

हे शारदे माँ ----------+

तेरे दम से कई सारे मूरख तरे है
जो खोटे थे कल तक हुये वो खरे है
मिला जिनक हे मात आशीष तेरा
रचे उसने नित दिन महकाव्य गीता

हे शारदे माँ-------------

तुझी से है बुद्धि और बल की परीक्षा
तुझी से है सुर -ताल की मिलती दीक्षा
कहे "दर्द"तू सच्ची सरगम की देवी
समाहित है तुझ से ही विनीता ,अनीता

हे शारदे माँ तू सविता ,सरिता
हे वीणां पाणि तू पावन पुनीता 

मनोज दर्द मुगाँवली म प्र
स्वारचित

जागो हे वीर सो के ना पल को गँवाइये हो गर्व माँ को काम वो करके दिखाइये तुम ही शिवा ,प्रताप तुम्ही हो भगत ,गुरू झण्डा माँ भारती का शिखर पर चढ़ाइये अब बून्द खून की हमें धिक्कारने लगी कीमत कभी तो दूध की कोई चुकाइये चर्चे तुम्हारे शौर्य के सारे जहान में थककर के यूं न बैठिये पग तो बढा़इये बँटकर के जात -पात मे होगा न कुछ भला अब है जरूरी प्यार से बगियाँ सजाइये कुरबानियाँ ये "दर्द" जो हँसकर के दे गये यादों मे उनकी कोई तो शम्मां जलाइये मनोज दर्द मुगाँवली म प्र स्वारचित

#कविता #RepublicDay  जागो हे वीर सो के ना पल को गँवाइये
हो गर्व माँ को काम वो करके दिखाइये

तुम ही शिवा ,प्रताप तुम्ही हो भगत ,गुरू
झण्डा माँ भारती का शिखर पर चढ़ाइये

अब बून्द खून की हमें धिक्कारने लगी
कीमत कभी  तो दूध की कोई चुकाइये

चर्चे तुम्हारे शौर्य के सारे जहान में
थककर के यूं न बैठिये पग तो बढा़इये

बँटकर के जात -पात मे होगा न कुछ भला
अब है जरूरी प्यार से बगियाँ सजाइये

कुरबानियाँ ये "दर्द" जो हँसकर के दे गये
यादों मे उनकी कोई तो शम्मां जलाइये

मनोज दर्द मुगाँवली म प्र
स्वारचित

ऐ वतन ऐ वतन ऐ -------वतन तुझ पे कुरबान ही --जानो-तन उन शहीदों को शत् शत नमन जिन ने ओढ़ा है हँसकर कफ़न जान तू ही तू ही ------मेरा मन कोई तुझसा न दूजा -----चमन देख वीरों के बलिदान ------को झुक गया खुद ब खुद ही गगन झुकने देंगे तिरंगा ------न हम कर दो छलनी भले ही --बदन लौट सरहद से आऊँगा ----मैं गीले करती है माँ क्यों --नयन कह रहीं है फ़िजाये -----सभी तुम से महका है सारा --चमन सर झुकाये पर ना ------कभी कर लिये दुश्मनों ने--- जतन चूम ले "दर्द"उनके---- तू पग जिनकी रग -रग में केवल वतन मनोज दर्द मुगाँवली म प्र स्वारचित

#independenceday2020 #कविता  ऐ वतन ऐ वतन ऐ -------वतन
तुझ पे कुरबान ही --जानो-तन

उन शहीदों को शत् शत नमन
जिन ने ओढ़ा है हँसकर कफ़न

जान तू ही तू ही ------मेरा मन
कोई तुझसा न दूजा -----चमन

देख वीरों के बलिदान ------को
झुक गया खुद ब खुद ही गगन

 झुकने देंगे तिरंगा ------न हम
कर दो छलनी भले ही --बदन

लौट सरहद से आऊँगा ----मैं 
गीले करती है माँ क्यों --नयन

कह रहीं है फ़िजाये -----सभी
तुम से महका है सारा --चमन

सर झुकाये पर ना ------कभी 
कर लिये दुश्मनों ने--- जतन

चूम ले "दर्द"उनके---- तू पग
जिनकी रग -रग में केवल वतन

मनोज दर्द मुगाँवली म प्र
स्वारचित

कृष्ण जन्माष्ठमी की हार्दिक शुभकामनाये कौन कहता वो आता नही है मन से तू क्यों बुलाता नही है मनोज दर्द मुगाँवली

#Janamashtmi2020  कृष्ण जन्माष्ठमी की हार्दिक शुभकामनाये

कौन कहता वो आता नही है
मन से तू क्यों बुलाता नही है

                      मनोज दर्द मुगाँवली

सारी हदों को तोङ के जो आ सके तो आ ग़म में जो मेरे साथ तू मुस्का सके तो आ राहों में मेरी धूप है ,पत्थर हैं ,शूल हैं उलझन जो मेरी राह की सुलझा सके तो आ मनोज दर्द मुगाँवली म प्र

#कविता #alone  सारी हदों को तोङ के जो आ सके तो आ 
ग़म में जो मेरे साथ तू मुस्का सके तो आ
राहों में मेरी धूप है ,पत्थर हैं ,शूल हैं
उलझन जो मेरी राह की सुलझा सके तो आ

मनोज दर्द मुगाँवली म प्र

#alone

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