बंसतोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाये
हे शारदे माँ तू ही सविता, सरिता
हे वीणां पाणि तू पावन पुनीता
तुझी से है रोशन ये संसार सारा
तेरे दम से कश्ती ने पाया किनारा
प्रवाहित है तुझसे ही शब्दो की गंगा
तुझी से ग़ज़ल ,गीत ,छन्द और कविता
हे शारदे माँ ------------
तू कंकर ,तू पत्थर ,तू रज में वणित है
तू अग्नि ,पवन में तू जल में जङित है
तुझी से है उज्वल गगन ,चाँद ,तारे
कोई और तुझ सी नही है सुनीता
हे शारदे माँ ----------+
तेरे दम से कई सारे मूरख तरे है
जो खोटे थे कल तक हुये वो खरे है
मिला जिनक हे मात आशीष तेरा
रचे उसने नित दिन महकाव्य गीता
हे शारदे माँ-------------
तुझी से है बुद्धि और बल की परीक्षा
तुझी से है सुर -ताल की मिलती दीक्षा
कहे "दर्द"तू सच्ची सरगम की देवी
समाहित है तुझ से ही विनीता ,अनीता
हे शारदे माँ तू सविता ,सरिता
हे वीणां पाणि तू पावन पुनीता
मनोज दर्द मुगाँवली म प्र
स्वारचित
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