ऐ वतन ऐ वतन ऐ -------वतन
तुझ पे कुरबान ही --जानो-तन
उन शहीदों को शत् शत नमन
जिन ने ओढ़ा है हँसकर कफ़न
जान तू ही तू ही ------मेरा मन
कोई तुझसा न दूजा -----चमन
देख वीरों के बलिदान ------को
झुक गया खुद ब खुद ही गगन
झुकने देंगे तिरंगा ------न हम
कर दो छलनी भले ही --बदन
लौट सरहद से आऊँगा ----मैं
गीले करती है माँ क्यों --नयन
कह रहीं है फ़िजाये -----सभी
तुम से महका है सारा --चमन
सर झुकाये पर ना ------कभी
कर लिये दुश्मनों ने--- जतन
चूम ले "दर्द"उनके---- तू पग
जिनकी रग -रग में केवल वतन
मनोज दर्द मुगाँवली म प्र
स्वारचित
#independenceday2020