White कुछ सफर अब अधूरे ही रह गए,
सपनो की मंजिल सिर्फ सपने बनकर ही रह गए,
लड़ने लगे थे जिसके लिए,वो अरमान अब अधूरे ही रह गए,
एक आखरी लड़ाई का साहस बांध कर,
दिन रात को एक कर, फिर नई शुरूरात कर चुके थे,
'' आखरी दम तक लड़ेंगे'' - हम मैदान ऐ जंग में यह ऐलान कर चुके थे ,
बदस्तूर हो मेहनत का हतियार लेकर चल दिए थे ,
अपने सपनों को इस आखरी सफर में पाने,
अब हम रण पर निकल चुके थे,
महज़ कुछ मीलो का सफर अब शेष था,
भरोसा हमें इस मर्तफा खुद पर था,
" जीत लेंगे मैदान ऐ जंग "
पर शायद किस्मत को ये भी मंजूर न था,
बिना लड़े ही हार गए,
किस्मत तेरी जीत के आगे,
हम अपने सपनों को हार गए
हम अपने सपनों को हार गए।।।
©Saurabh Mishra
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here