Saurabh Mishra

Saurabh Mishra Lives in Kanpur, Uttar Pradesh, India

babumoshaai ,zindagi badi honi chahiye ,lambi nahi!! INSTAGRAM ID:- do_lafz96 (kindly follow and support)

https://youtu.be/7XdQzAuVNQk

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White कुछ सफर अब अधूरे ही रह गए, सपनो की मंजिल सिर्फ सपने बनकर ही रह गए, लड़ने लगे थे जिसके लिए,वो अरमान अब अधूरे ही रह गए, एक आखरी लड़ाई का साहस बांध कर, दिन रात को एक कर, फिर नई शुरूरात कर चुके थे, '' आखरी दम तक लड़ेंगे'' - हम मैदान ऐ जंग में यह ऐलान कर चुके थे , बदस्तूर हो मेहनत का हतियार लेकर चल दिए थे , अपने सपनों को इस आखरी सफर में पाने, अब हम रण पर निकल चुके थे, महज़ कुछ मीलो का सफर अब शेष था, भरोसा हमें इस मर्तफा खुद पर था, " जीत लेंगे मैदान ऐ जंग " पर शायद किस्मत को ये भी मंजूर न था, बिना लड़े ही हार गए, किस्मत तेरी जीत के आगे, हम अपने सपनों को हार गए हम अपने सपनों को हार गए।।। ©Saurabh Mishra

 White कुछ सफर अब अधूरे ही रह गए,
सपनो की मंजिल सिर्फ सपने बनकर ही रह गए,

लड़ने लगे थे जिसके लिए,वो अरमान अब अधूरे ही रह गए,
एक आखरी लड़ाई का साहस बांध कर,
दिन रात को एक कर, फिर नई शुरूरात कर चुके थे,

 '' आखरी दम तक लड़ेंगे'' - हम मैदान ऐ जंग में यह ऐलान कर चुके थे  ,

बदस्तूर हो मेहनत का हतियार लेकर चल दिए थे ,
अपने सपनों को इस आखरी सफर में पाने,

 अब हम रण पर निकल चुके थे,
महज़ कुछ मीलो का सफर अब शेष था,

भरोसा हमें इस मर्तफा खुद पर था,
" जीत लेंगे मैदान ऐ जंग "

पर शायद किस्मत को ये भी मंजूर न था,
बिना लड़े ही हार गए,
किस्मत तेरी जीत के आगे,
हम अपने सपनों को हार गए
हम अपने सपनों को हार गए।।।

©Saurabh Mishra

#Shayar #Shayari #Dil #Feeling #Emotional #SAD #Life #Life_experience #Life_Experiences #kahani

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White क्या कुछ बोलूं, क्या क्या न बोलूं, "किस्मत " तेरी जीत के आगे मैं अब कैसे ,और कितना ही बोलूं। ©Saurabh Mishra

#Shayar♡Dil☆ #kahaaniyan #Emotional #Ruhaniyat #Emotions  White क्या कुछ बोलूं,
क्या क्या न बोलूं,

"किस्मत "

तेरी जीत के आगे 
मैं अब कैसे ,और कितना ही 
बोलूं।

©Saurabh Mishra
#nightshayari #writing #baatein #Shayar #Galib  हर रोज़ एक नई ऊर्जा से भर,
मैं अपनी भोर का स्वागत करता हूं,
आंखों को हतेलियो की ऊर्जा का स्मरण  करवाके , मैं फर्श को नमन करता हूं,
भर के तेवर जोश के , कस लेता हुं कमर, उम्मीदों की भीड़ में , मैं खुद को ढूंढता फिरता हूं,
मैं सफलता का एक किस्सा फिर बुनता हूं,
अपने हौसलों को ब-दस्तूर कर, अपनी मंजिलों से कुर्बत हो ,एक ढाढस हिम्मत की बांध रण को निकल जाता हूं,
 जीवन की अड़चने भूल , जरूरतों को जुस्तजू करता  हुं, 
ताकि  खड़ा हो सकू इस दुनियां की मजबूत दीवारों के बीच,  बिना इज्तीरार हो खुद को आगे धकेल सकू इन भटकती भूल भुलैया जैसी  राहों में ।

©Saurabh Mishra
#poem✍🧡🧡💛 #kuchbateeinankahi #baatein #kavita #Shayar

Samandar si gehri teri chahat he, Aasmaan se unchi teri umeedein hein, Pure brahman ki khusiyaan dene ki koshis me 'Maa' tu khud ki Fikar chhod deti he, Ek niwaala agar na khaau din me to bechain tu firti he, khud bhale hi bhooke so jaae tu par apni mamta se humaara pet bharti he, Chaand si khoobsurat he tu ,suraj si jalti he , Humko pareshaan dekh tu sabhi samasyaao se ladti he, Khud bhale hi kitna bimaar kyu na ho, Par hume marham zarur lagaati he, Teri mamta dekh kar , Hosalo me bulandi aajati he, Kaun kehta he bhagwaan nahi, Tu hi meri jag janni tu hi vighn harta , Tu hi brahman he , Tu mera bhagwaan he. ©Saurabh Mishra

#maa  Samandar si gehri teri chahat he,
Aasmaan se unchi teri umeedein hein,
Pure brahman ki khusiyaan dene ki koshis me 'Maa' tu khud ki
Fikar chhod deti he,
Ek niwaala agar na khaau din me to bechain tu firti he, khud bhale hi bhooke so jaae tu par apni mamta se humaara pet bharti he,
Chaand si khoobsurat he tu ,suraj si jalti he ,
Humko pareshaan dekh tu sabhi samasyaao se ladti he,
Khud bhale hi kitna bimaar kyu na ho,
Par hume marham zarur lagaati he,
Teri mamta  dekh kar ,
Hosalo me bulandi  aajati he, 
Kaun kehta he bhagwaan nahi, 
Tu hi meri jag janni tu hi vighn harta ,
Tu hi brahman he ,
Tu mera bhagwaan he.

©Saurabh Mishra

#maa

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Raaste lambe hein, mazile unchi hein, Raaste lambe hein, mazile unchi hein, Agar Humaari mehnat ka kad chhota reh gaya na , to Zindagi bhar ki nakaamiyo me hum khud ko zimmedaar teherayenge Hum khud ko zimmedaar teherayenge!!! ©Saurabh Mishra

#Friend  Raaste lambe hein, mazile unchi hein,
Raaste lambe hein, mazile unchi hein,

Agar

Humaari mehnat ka 
kad chhota reh gaya  na ,
to
Zindagi bhar ki nakaamiyo me hum khud ko zimmedaar teherayenge
Hum khud ko zimmedaar teherayenge!!!

©Saurabh Mishra

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