White मैंने हमेशा कोशिश की है
तुम्हें अथाह प्रेम देने की
मैंने हमेशा कोशिश की है
तुम्हे किन्हीं मुश्किलों का
सामना ना करना पड़े
लेकिन तुम हमेशा असफल रहे
मेरे प्रेम को समझने को
तुम्हें कभी ज्ञात ही नहीं हुआ
मेरी स्नेह में लिप्त ख्याल को..
मेरे होते हुए किसी ओर से मिलने की इच्छा
तुम्हे कभी एहसास ही नहीं हुआ इससे मुझे कैसा महसूस होता है
तुमने कभी सोचा ही नहीं मुझे...
पता था कि हमारा मिलन मुमकिन नहीं है
फिर भी तलाशी मैंने तुम्हारे साथ
निभाने की संभावनाएं....
लेकिन मेरे हिस्से आईं केवल
असीमित प्रतीक्षाये..अनगिनत विवशताएं
अनेक स्मृतियों का वेग
और विरह की पीड़ाओं का सागर....
अगर कुछ नहीं आया
तो वो था तुम्हारा 'साथ' और 'तुम'..
इसी लिए अब सिर्फ "तुम"
तुम हो , मैं नहीं
कही नहीं,
ओर कभी नहीं होंगी.......
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©मलंग
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