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जहां ना पहुंचे रवि वहा पहुंचे कवि YOUTUBE CHANNEL: POEMS FROM HEART
White सुनो कॉकरोच भाई तुमसे चाहें एक उपकार छोड़ दो हमारा घर हाथ जोड़ विनती करो स्वीकार इर्द गिर्द तुम घुमो फल सब्जी हो या अचार तुमने जो खाना खा लिया समझो हम हुए बीमार दिन में दिखाते एक दो रात्रि में ले आते रिश्तेदार हजार सुनो कॉकरोच भाई तुमसे चाहे एक उपकार छोड़ दो हमारा घर हाथ जोड़ विनती करो स्वीकार जगह नहीं कोई स्थिर तुम्हारी सोफा हो बेड हो या हो कोई चारपाई बेकार कहीं भी निकल पड़ते ले सेना दमदार कितना भी हिट डालो तुम पर सब बेकार सुनो कॉकरोच भाई तुमसे चाहे एक उपकार छोड़ दो हमारा घर हाथ जोड़ विनती करो स्वीकार हमने तो स्वीकार किया बच्चों को तुम लगते जंजाल इधर-उधर से आ जाते हो जैसे जादूगर दमदार बहुत हुई अब कहासुनी और आग्रह बार बार देखो अब ना तुम दिखना हम कर देंगे प्रहार सुनो कॉकरोच भाई तुमसे चाहे एक उपकार छोड़ दो हमारा घर हाथ जोड़ विनती करो स्वीकार!" ©kanchan Yadav
kanchan Yadav
13 Love
White जब मन की गति धीमी हो मौसम में थोड़ी नमी हो गर ना मिले हल प्रश्नों का तो थोड़ी मस्ती जरूरी हो थपेड़े वक्त के जब गर्म हो हवाएं भी जब नर्म हो पलटवार करना जरूरी जब विपरीत में स्वभाव अड़ंग हो भीड़ में जब महसूस अलग हो हो रही पहचान खुद की समझ लो थोड़ा रुक पीछे देख लेना कितने अनमोल तुम स्वयं हो जब मन की गति धीमी हो मौसम में थोड़ी नमी हो रगर ना मिले हर प्रश्नों का तो थोड़ी मस्ती जरूरी हो !" ©kanchan Yadav
17 Love
White " खूबसूरत सी है जिंदगी जब साथ खुद का सुहाना हो उल्फ़ते कितनी भी हो मनमर्जियों की राह अपना ठिकाना हो बेपरवाह सा मन लिए घूमते हथेली में जब फिक्र ना हो जो भी होने वाला हो कहां संभालती हाथों की लकीरें तो क्यों कल की फिक्र में आज को गवाना हो खूबसूरत सी है जिंदगी जब साथ खुद का सुहाना हो उल्फ़ते कितनी भी हो मनमर्जियो की राह अपना ठिकाना हो!" ©kanchan Yadav
15 Love
White कभी वक्त नहीं कभी हालात नहीं जिंदगी है कोई होता साथ नहीं रंगमंच के दौर में चेहरा दिखता कोई साफ नहीं वाणी है पर जज्बात नहीं लफ्जों के लहजे में एहसास नहीं बखूबी रिश्ते लोग निभाते पर रिश्तो का दर्पण आर पार नहीं कभी वक्त नहीं कभी हालात नहीं जिंदगी है कोई होता साथ नहीं मौन स्थिति बेहतर स्थान यही भले बुरे का जब हो ज्ञान नहीं अपने कौन-कौन पराया सोच समझ के भी होती पहचान नहीं कभी वक्त नहीं कभी हालात नहीं जिंदगी है कोई होता साथ नहीं !" ©kanchan Yadav
18 Love
White कहां स्थिर अपना ठिकाना है पंछी सा जीवन बस उड़ते जाना है कभी इस नगरी कभी उस नगरी बसाना एक आशियाना हैं गहरी गलियों में ना दोस्त पुराना है डरता है मन नए दोस्त नया जमाना है कहां स्थिर अपना ठिकाना है पंछी सा जीवन में बस उड़ते जाना है , कहीं मन मिले कहीं उलझनो का फसाना है कट जाती है जिंदगी दिल और दिमाग को समझना हैं नफरतों की आंधियों से खुद को बचाना है लोगों की उम्मीदो के चक्र से ना ख़ुद के चक्र को घूमना हैं कहां स्थिर अपना ठिकाना है पंछी सा जीवन बस उड़ते जाना है ©kanchan Yadav
White (जय श्री कृष्ण) " बातो की झलक मे संस्कारो की परख आदतों की ललक में विचारो की खनक सयंम की कदर में शुकून की शरण सरल है जिन्दगी बात छोटी पर समझ !" ©kanchan Yadav
20 Love
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