निर्भय चौहान

निर्भय चौहान

Nirbahay.kumarsingh1@insta अभी जिंदा हूँ मैं, अभी शब्द आते है मेरे घर, नगमे,ग़ज़लें, शेर ले कर। अभी लिख सकता हो, मैं अपने जज्बात। जो कभी कह नही पता तुमसे। तुमसे बिछड़ने के बाद, ज्यादा पुख्ता हो गई है चाहत। तुम्हे यकीन न हो मगर। अभी जिंदा हूँ मैं।

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Unsplash बस यकीन को मिल गया है डूबती उम्मीदों का साथ। ख्वाब कई दिनों से सरहद पे हरताल में है। राजनीति ने बांट दिए भाई इस तरह, भाई भाई से नहीं पूछता। किस हाल में है। पहले भगवान भरोसे थे, अब सरकार भरोसे हैं। गरीब हर हाल, तंग हाल में है। बुढ्ढा लाठी ले कर खेतो का रखवाला है। अफसर बाबू,नेता बेटा। सब अब ससुराल में है। निर्भय चौहान ©निर्भय चौहान

#शायरी #leafbook  Unsplash बस यकीन को मिल गया है
डूबती उम्मीदों का साथ।
ख्वाब कई दिनों से सरहद पे
हरताल में है।

राजनीति ने बांट दिए भाई इस तरह,
भाई भाई से नहीं पूछता।
किस हाल में है।

पहले भगवान भरोसे थे,
अब सरकार भरोसे हैं।
गरीब हर हाल,
 तंग हाल में है।

बुढ्ढा लाठी ले कर
 खेतो का रखवाला है।
अफसर बाबू,नेता बेटा।
सब अब ससुराल में है।

निर्भय चौहान

©निर्भय चौहान

#leafbook नीर @Kumar Shaurya @Madhusudan Shrivastava @Rakhee ki kalam se वरुण तिवारी

11 Love

White हम कहानी हुए तुम कथानक हुए। हादसे जिंदगी में अचानक हुए । दिल से लावा उठा और फिर सो गया ऐसे किरदार सारे ही मानक हुए। ©निर्भय चौहान

#शायरी #sad_quotes  White हम  कहानी हुए तुम कथानक हुए।
हादसे जिंदगी में अचानक हुए ।

दिल से लावा उठा और फिर सो गया
ऐसे किरदार सारे ही मानक हुए।

©निर्भय चौहान

#sad_quotes कवि आलोक मिश्र "दीपक" katha (कथा ) @mahi singh @Madhusudan Shrivastava @Kumar Shaurya

23 Love

White गहरी आँखे ढीला कुरता सख़्ती पेशानी वफ़ा मोहब्बत धोखा कुर्बानी शायर यानि ? ©निर्भय चौहान

#शायरी #love_shayari  White गहरी आँखे ढीला कुरता सख़्ती पेशानी 
वफ़ा मोहब्बत धोखा कुर्बानी शायर यानि ?

©निर्भय चौहान

#love_shayari 'दर्द भरी शायरी' शायरी लव दोस्त शायरी शायरी वीडियो हिंदी शायरी @Kumar Shaurya @vandan sharma वरुण तिवारी @Rakhee ki kalam se करम गोरखपुरिया

17 Love

White हर किसी का ख्वाब होना है बुरा। गैर बच्चे का खिलौना है बुरा । ट्रेन की पटरी बराबर चलती है । एक मन का बोझ ढोना है बुरा । इश्क में शादी मुनादी ठीक है। ओयो का बिस्तर बिछौना है बुरा ।। ©निर्भय चौहान

#शायरी #love_shayari  White  
हर किसी का ख्वाब होना है बुरा। 
गैर बच्चे का खिलौना है बुरा ।

ट्रेन की पटरी बराबर चलती है ।
एक मन का बोझ ढोना है बुरा ।

 
इश्क में शादी मुनादी ठीक है। 
ओयो का बिस्तर बिछौना है बुरा ।।

©निर्भय चौहान

#love_shayari

15 Love

White जिसे धोखा मिला प्यार में अब छप गया अखबार में माहिर हो गया है लड़का हिरणियों के शिकार में ©निर्भय चौहान

#शायरी #good_night  White जिसे धोखा मिला प्यार में 
अब छप  गया अखबार में 
माहिर हो गया है लड़का 
हिरणियों के शिकार में

©निर्भय चौहान

#good_night

13 Love

White अनंत में स्वयं की खोज थोड़ी मुश्किल मालूम पड़ती है। जब अनंत तुम्हारे भीतर भी है तो उसे बाहर क्यों तलाशना। लघु छुप जाता है और बृहत दृश्य है। जो दृश्य है उसके पीछे क्यों जाना,ये कैसा अध्यन है। बड़ा काम तो तब हो जो लघु को ढूंढ सको। भूसे में ढेर में सुई ढूंढना है आध्यात्म न की पसरी हुई जमीन पे भूसे का ढेर ढूंढना। केंद्रित हो और ढूंढो,समझो।जो समझ गए तो समझो मिल गया। वही आनंद वही संतोष जो प्रेम में प्रेयसी के गले लगने पर मिलता है , तुम्हें तुम्हारे अंदर मिल जायेगा। वास्तविक चिरायु प्रेम। जिस से तुम्हारी उत्पति और अंत का दोनो सिरा जुड़ा हुआ है। फिर तो दुनियावी प्रेमी तुम्हें बस हमसफर लगने लगेंगे। प्रेम रह जायेगा भोग मर जायेगा। क्योंकि यह जन्म ही भोग है।इसके अलावा तो हमने मन को भ्रमित कर रखा है। भ्रम में न रहो। आसक्ति से दूर प्रेम करो।इसमें कोई बाधा नहीं है। परमेश्वर तुमसे यह कभी नहीं पूछेगा कि प्रेम क्यों किया। यह जरूर पूछ सकता है कि क्यों नहीं किया। स्वयं से इतनी घृणा में जीते रहे है ,न किसी को प्रेम दे सके ना किसी का प्रेम पा सके। न ही भीतर कुछ जगा हुआ है,न बाहर कुछ जागृत है। अंधेरे में हाथी टटोल के पहचानते हुए तुम में से जिसे हाथ जो लगा उसने वैसा ही बताया हाथी को। जिसने कान पकड़ा,जिसने पैर ,जिसने पूछ , सबने अपने हिसाब से अलग अलग व्याख्या कर दी। व्याख्या का शौक इस कदर हावी है की नशा हो रहा है। आंख मूंद कर तीर चलाए जा रहे है। उठो जागो और हाथी देखो। तुम फिर आनंद में डूब जाओगे और अपनी बचकानी व्याख्याओं पे मुस्कुराओ। राधे राधे ©निर्भय चौहान

#विचार #good_night  White अनंत में स्वयं की खोज थोड़ी मुश्किल मालूम पड़ती है।
जब अनंत तुम्हारे भीतर भी है तो उसे बाहर क्यों तलाशना।
लघु छुप जाता है और बृहत दृश्य है।
जो दृश्य है उसके पीछे क्यों जाना,ये कैसा अध्यन है।
बड़ा काम तो तब हो जो लघु को ढूंढ सको।
भूसे में ढेर में सुई ढूंढना है आध्यात्म न की पसरी हुई जमीन पे भूसे का ढेर ढूंढना।
केंद्रित हो और ढूंढो,समझो।जो समझ गए तो समझो मिल गया।

वही आनंद वही संतोष जो प्रेम में प्रेयसी के गले लगने पर मिलता है ,
तुम्हें तुम्हारे अंदर मिल जायेगा।
वास्तविक चिरायु प्रेम।
जिस से तुम्हारी उत्पति और अंत का दोनो सिरा जुड़ा हुआ है।
फिर तो दुनियावी प्रेमी तुम्हें बस हमसफर लगने लगेंगे।
प्रेम रह जायेगा भोग मर जायेगा।
क्योंकि यह जन्म ही भोग है।इसके अलावा तो हमने मन को भ्रमित कर रखा है।
भ्रम में न रहो।
आसक्ति से दूर प्रेम करो।इसमें कोई बाधा नहीं है।
परमेश्वर तुमसे यह कभी नहीं पूछेगा कि प्रेम क्यों किया।
यह जरूर पूछ सकता है कि क्यों नहीं किया।
स्वयं से इतनी घृणा में जीते रहे है ,न किसी को प्रेम दे सके ना किसी का प्रेम पा सके।
न ही भीतर कुछ जगा हुआ है,न बाहर कुछ  जागृत है।
अंधेरे में हाथी टटोल के पहचानते हुए तुम में से
 जिसे हाथ जो लगा उसने वैसा ही बताया हाथी को।
जिसने कान पकड़ा,जिसने पैर ,जिसने पूछ ,
सबने अपने हिसाब से अलग अलग व्याख्या कर दी।
व्याख्या का शौक इस कदर हावी है की नशा हो रहा है।
आंख मूंद कर तीर चलाए जा रहे है।
उठो जागो और हाथी देखो।
तुम फिर आनंद में डूब जाओगे और अपनी बचकानी व्याख्याओं पे मुस्कुराओ।
राधे राधे

©निर्भय चौहान

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