White इस इंतजार में सूख गया एक दरिया। फसल पक जाएगी | हिंदी शायरी

"White इस इंतजार में सूख गया एक दरिया। फसल पक जाएगी तो बह लेंगे।। ये समंदर को पानी की जरूरत क्या है। प्यास आवाज लगाएगी तो बह लेंगे। जिसे है पार उतरना वो नाव उतारे हवा जब नाव बहाएगी तो बह लेंगे। ठहरे पानी में कोई मीन कैसे मरने लगी। जब चीखेगी चिल्लाएगी तो बह लेंगे। यूं तो बहना था काम लेकिन ये इश्क जब इल्ज़ाम लगाएगी तो बह लेंगे। ©निर्भय चौहान"

 White इस इंतजार में सूख गया एक दरिया।
फसल पक जाएगी तो बह लेंगे।।

ये समंदर को पानी की जरूरत क्या है।
प्यास आवाज लगाएगी तो बह लेंगे।

जिसे है पार उतरना वो नाव उतारे 
हवा जब नाव बहाएगी तो बह लेंगे।

ठहरे पानी में कोई मीन कैसे मरने लगी।
जब चीखेगी चिल्लाएगी तो बह लेंगे।

यूं तो बहना था काम लेकिन ये इश्क
जब इल्ज़ाम लगाएगी तो बह लेंगे।

©निर्भय चौहान

White इस इंतजार में सूख गया एक दरिया। फसल पक जाएगी तो बह लेंगे।। ये समंदर को पानी की जरूरत क्या है। प्यास आवाज लगाएगी तो बह लेंगे। जिसे है पार उतरना वो नाव उतारे हवा जब नाव बहाएगी तो बह लेंगे। ठहरे पानी में कोई मीन कैसे मरने लगी। जब चीखेगी चिल्लाएगी तो बह लेंगे। यूं तो बहना था काम लेकिन ये इश्क जब इल्ज़ाम लगाएगी तो बह लेंगे। ©निर्भय चौहान

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