White एक तेज दर्द की टीस हूँ मैं,
तुम कोई मरहम लगती हो।
मैं कुंभ का सन्यासी,
या हज का कोई काजी हूँ।
तुम ब्रह्ममुहुर्त की ऊर्जा हो,
तुम गंगा ज़मजम लगती हो।
मैं हालातों की गर्म धूप में
सूखा सूखा लाल मिर्च।
तुम सर्दी की नरम धूप में
मीठी चमचम लगती हो।
मैं जैसे हारे कंधे हों
किस्मत के मारे धंधे हों।
तुम भाग्य की देवी हो खुद ही
तुम जीत का परचम लगती हो।
©निर्भय चौहान
#sad_qoute