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mere alfaaz hi meri pahchan hai..
मुझे बिखरने दो या समेट लो बाहों में, दूर कर बेगाना कर दो , या अपना लो पल भर में , पूछने को तुमसे यूं तो , कही सवाल हैं, या तो जवाब देह बनो, या छोड़ दो सवालों में ।।। ©Monika Dhangar(RaahiKeAlfaaz)
Monika Dhangar(RaahiKeAlfaaz)
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तन्हा रहने का शायद मौसम आ गया है, उसकी यादों का सैलाब अब, मेरी पलकों तले आ गया है , कुछ यूं आया है वो मेरी यादों में वापस इस कदर , जैसे शांत समंदर में तूफान आ गया है ।। ©Monika Dhangar(RaahiKeAlfaaz)
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