Vishal Pandhare

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White मिलने इंतिज़ार में दिल है, वस्ल के बहाने ढूँढ़ता बहुत है, बड़ा वक़्त लग गया अब, यह वक़्त धीमा चलता बहुत है, पल-दो-पल की रह जाती ग़र ख़्वाईश, कोई बात न रहती, यह तिश्नगी जो उभरी है दिल में, तिश्नगी से मरता बहुत है, अब तो सिलवटें भी भीगा करती है, इंतिज़ार में उनके अब, हसरतों से दूर होने से ख़ुदी ये, क्यों यहाँ ड़रता बहुत है, कहने है रम्ज़-ओ-राज़ रखे हुए, सभी सर-ए-आम उनके, उनको ही चश्मदीद कर के, यह उनसे कहता बहुत है, आग़ोश में लिए हुए संभल कर चला, काश वो देखेंगे यह, चंद लम्हों की ग़लती न हो तो, बस संभलता बहुत है, ©Vishal Pandhare

#शायरी #Sad_Status  White मिलने इंतिज़ार में  दिल है, वस्ल के बहाने ढूँढ़ता बहुत है,
बड़ा वक़्त लग गया अब, यह वक़्त धीमा चलता बहुत है,

पल-दो-पल की रह जाती ग़र ख़्वाईश, कोई बात न रहती,
यह तिश्नगी जो उभरी है दिल में, तिश्नगी से मरता बहुत है,

अब तो सिलवटें भी भीगा करती है, इंतिज़ार में उनके अब,
हसरतों से दूर होने से ख़ुदी ये, क्यों यहाँ ड़रता बहुत है,

कहने है रम्ज़-ओ-राज़ रखे हुए, सभी सर-ए-आम उनके,
उनको ही चश्मदीद कर के, यह उनसे कहता बहुत है,

आग़ोश में लिए हुए संभल कर चला, काश वो देखेंगे यह,
चंद लम्हों की ग़लती न हो तो, बस संभलता बहुत है,

©Vishal Pandhare

#Sad_Status

10 Love

गीतों में मेरे इक़ किस्सा गुमनाम आएगा गुमनाम आएगा, तुम्हारा नाम आएगा बे-दर्द-ए-दिल की इक कहानी होगी आधा इश्क़, उसकी जवानी होगी कहीं न कहीं वो बदनाम आएगा गुमनाम आएगा, तुम्हारा नाम आएगा गुज़रती रातें, पनपते ख़्वाब होंगे सिलवटों में दबे-दबे, कुछ न कुछ आब होंगे मदहोशी में रहने वाले, यहाँ नाकाम आएगा गुमनाम आएगा, तुम्हारा नाम आएगा तेरी यादों में बरसों से, जला जा रहा हूँ दर्द को दर्द से यूँ ही, मिला जा रहा हूँ आख़री ख़त का तुम्हें, इक पैग़ाम आएगा गुमनाम आएगा, तुम्हारा नाम आएगा ©Vishal Pandhare

#शायरी #good_night  गीतों में मेरे इक़ किस्सा गुमनाम आएगा
गुमनाम आएगा, तुम्हारा नाम आएगा

बे-दर्द-ए-दिल की इक कहानी होगी
आधा इश्क़, उसकी जवानी होगी
कहीं न कहीं वो बदनाम आएगा
गुमनाम आएगा, तुम्हारा नाम आएगा

गुज़रती रातें, पनपते ख़्वाब होंगे
सिलवटों में दबे-दबे, कुछ न कुछ आब होंगे
मदहोशी में रहने वाले, यहाँ नाकाम आएगा
गुमनाम आएगा, तुम्हारा नाम आएगा

तेरी यादों में बरसों से, जला जा रहा हूँ
दर्द को दर्द से यूँ ही, मिला जा रहा हूँ
आख़री ख़त का तुम्हें, इक पैग़ाम आएगा
गुमनाम आएगा, तुम्हारा नाम आएगा

©Vishal Pandhare

#good_night #Nojoto @nojoto

8 Love

बंद कमरे में बैठकर हमेशा यादों में खोया रहा दौर-ए-वक़्त की उन सारी बातों में खोया रहा अजीब कशिश थी उस जमाने में अपनी अपनी दिन भूल गया सभी पर उन रातों में खोया रहा निहारता रहा वो चाँद अपनी ही मकान से मैं जिक़्र था धुँधला तो किताबों में खोया रहा मैंने लिखे थे पन्ने कुछ उसके बाबत में यहाँ अनसूनी दास्ताँ के सारी बाबों में खोया रहा उम्र के इस पड़ाव पर भी याद कर लेता हूँ चुने बहते आब तो कभी आबों में खोया रहा ©Vishal Pandhare

#शायरी  बंद कमरे में बैठकर हमेशा यादों में खोया रहा
दौर-ए-वक़्त की उन सारी बातों में खोया रहा

अजीब कशिश थी उस जमाने में अपनी अपनी
दिन भूल गया सभी पर उन रातों में खोया रहा

निहारता रहा वो चाँद अपनी ही मकान से मैं
जिक़्र था धुँधला तो किताबों में खोया रहा

मैंने लिखे थे पन्ने कुछ उसके बाबत में यहाँ
अनसूनी दास्ताँ के सारी बाबों में खोया रहा

उम्र के इस पड़ाव पर भी याद कर लेता हूँ
चुने बहते आब तो कभी आबों में खोया रहा

©Vishal Pandhare

@nojoto #nojoto

12 Love

White टूटने दे इस अँधेरे में, यहीं तक सफ़र मेरा है बे-गाना हूँ इस बस्ती में, कहाँ शहर मेरा है सुकूँ-ए-दिल ख़त्म कर, बैठ जाऊँ यहाँ तन्हा यह और मैं भी, तो यह शज़र मेरा है उस दर्द की बाब, ग़र था मैं ही मैं तो गुनाहगार उसका और शीश्शा-ए-ज़हर मेरा है ©Vishal Pandhare

#शायरी #GoodNight  White टूटने दे इस अँधेरे में, यहीं तक सफ़र मेरा है
बे-गाना हूँ इस बस्ती में, कहाँ शहर मेरा है

सुकूँ-ए-दिल ख़त्म कर, बैठ जाऊँ यहाँ
तन्हा यह और मैं भी, तो यह शज़र मेरा है

उस दर्द की बाब, ग़र था मैं ही मैं तो
गुनाहगार उसका और शीश्शा-ए-ज़हर मेरा है

©Vishal Pandhare

#GoodNight 'दर्द भरी शायरी'

12 Love

White उम्मीद न है अब, मैं सब हार गया हूँ ख़्याल करते करते, ख़ुद को मार गया हूँ बोझ तले डुब गया मैं, बोझ उतरता नहीं ख़ूँ-ए-ज़िगर का भी, सब वार गया हूँ मुझ में न रही कशिश, जीने-मरने की अंदरूनी ख़ुद को, कर बिमार गया हूँ खुली निग़हा में, नींद लिए चला कब से और अपनों की निग़ाह में, हो बेकार गया हूँ शिद्दत से अब मिल "विशू", मौत खूबसुरत है ख़त्म कर सफ़र, इतना कर इंतिजार गया हूँ ©Vishal Pandhare

#मराठीशायरी #Sad_shayri  White उम्मीद न है अब, मैं सब हार गया हूँ
ख़्याल करते करते, ख़ुद को मार गया हूँ

बोझ तले डुब गया मैं, बोझ उतरता नहीं
ख़ूँ-ए-ज़िगर का भी, सब वार गया हूँ

मुझ में न रही कशिश, जीने-मरने की
अंदरूनी ख़ुद को, कर बिमार गया हूँ

खुली निग़हा में, नींद लिए चला कब से
और अपनों की निग़ाह में, हो बेकार गया हूँ

शिद्दत से अब मिल "विशू", मौत खूबसुरत है
ख़त्म कर सफ़र, इतना कर इंतिजार गया हूँ

©Vishal Pandhare

#Sad_shayri @nojoto #nojoto

10 Love

White उतर गया हूँ नज़र से उस, जिसका सर-ओ-ताज़ रहता था बे-गाना हुआ वो नग़्मा, जो रोजाने का रिहाज़ रहता था ख़म्बख़त हलक बयाँ कर गयी कुछ के, ग़ैर हुआ हूँ मैं सोहबत होकर भी ग़ैर, इंतिज़ार कल-आज़ रहता था ©Vishal Pandhare

#मराठीशायरी #sad_dp  White उतर गया हूँ नज़र से उस, जिसका सर-ओ-ताज़ रहता था
बे-गाना हुआ वो नग़्मा, जो रोजाने का रिहाज़ रहता था

ख़म्बख़त हलक बयाँ कर गयी कुछ के, ग़ैर हुआ हूँ मैं
सोहबत होकर भी ग़ैर, इंतिज़ार कल-आज़ रहता था

©Vishal Pandhare

#sad_dp

11 Love

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