White उतर गया हूँ नज़र से उस, जिसका सर-ओ-ताज़ रहता | हिंदी शायरी आणि ग

"White उतर गया हूँ नज़र से उस, जिसका सर-ओ-ताज़ रहता था बे-गाना हुआ वो नग़्मा, जो रोजाने का रिहाज़ रहता था ख़म्बख़त हलक बयाँ कर गयी कुछ के, ग़ैर हुआ हूँ मैं सोहबत होकर भी ग़ैर, इंतिज़ार कल-आज़ रहता था ©Vishal Pandhare"

 White उतर गया हूँ नज़र से उस, जिसका सर-ओ-ताज़ रहता था
बे-गाना हुआ वो नग़्मा, जो रोजाने का रिहाज़ रहता था

ख़म्बख़त हलक बयाँ कर गयी कुछ के, ग़ैर हुआ हूँ मैं
सोहबत होकर भी ग़ैर, इंतिज़ार कल-आज़ रहता था

©Vishal Pandhare

White उतर गया हूँ नज़र से उस, जिसका सर-ओ-ताज़ रहता था बे-गाना हुआ वो नग़्मा, जो रोजाने का रिहाज़ रहता था ख़म्बख़त हलक बयाँ कर गयी कुछ के, ग़ैर हुआ हूँ मैं सोहबत होकर भी ग़ैर, इंतिज़ार कल-आज़ रहता था ©Vishal Pandhare

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