White टूटने दे इस अँधेरे में, यहीं तक सफ़र मेरा है | हिंदी शायरी

"White टूटने दे इस अँधेरे में, यहीं तक सफ़र मेरा है बे-गाना हूँ इस बस्ती में, कहाँ शहर मेरा है सुकूँ-ए-दिल ख़त्म कर, बैठ जाऊँ यहाँ तन्हा यह और मैं भी, तो यह शज़र मेरा है उस दर्द की बाब, ग़र था मैं ही मैं तो गुनाहगार उसका और शीश्शा-ए-ज़हर मेरा है ©Vishal Pandhare"

 White टूटने दे इस अँधेरे में, यहीं तक सफ़र मेरा है
बे-गाना हूँ इस बस्ती में, कहाँ शहर मेरा है

सुकूँ-ए-दिल ख़त्म कर, बैठ जाऊँ यहाँ
तन्हा यह और मैं भी, तो यह शज़र मेरा है

उस दर्द की बाब, ग़र था मैं ही मैं तो
गुनाहगार उसका और शीश्शा-ए-ज़हर मेरा है

©Vishal Pandhare

White टूटने दे इस अँधेरे में, यहीं तक सफ़र मेरा है बे-गाना हूँ इस बस्ती में, कहाँ शहर मेरा है सुकूँ-ए-दिल ख़त्म कर, बैठ जाऊँ यहाँ तन्हा यह और मैं भी, तो यह शज़र मेरा है उस दर्द की बाब, ग़र था मैं ही मैं तो गुनाहगार उसका और शीश्शा-ए-ज़हर मेरा है ©Vishal Pandhare

#GoodNight 'दर्द भरी शायरी'

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