आज अंम्बर और धरती का देखा अनुपम मिलन।
ढलता हुआ सूरज धरती को चूम रहा था।
हसते हुए चांद परवान चढ़ रहा था ,,,,,
थी चल रही मंद- मंद पवन पुरवाई।
सारा नज़ारा दिल को छू रहा था,,,
सच कहूं तो जैसे मां का आंचल मुझे छुपा रहा था।
हो रही थी शाम और रात में खट्टी मीठी तकरार,,
धीरे -धीरे शाम,,,,,,,,रात की गोद में सो गया।
अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🙏
©Ashutosh Mishra
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आज अम्बर और धरती का अनुपम मिलन देखा।
ढलता हुआ सूरज मानो धरती को चूम रहा था।
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