-कुण्डलिया छंद- शीर्षक :: “थप्पड़”
------------------------------------------
थप्पड़ जैसा है नहीं, दूजा कोई शस्त्र।
पलभर में यह लक्ष्य को, करता है भयग्रस्त।।
करता है भयग्रस्त, गाल पर जब ये पड़ता।
कर देता है वार, लक्ष्य ज्यों आगे बढ़ता।।
इसके नाना नाम, कहो चाँटा या लप्पड़।
करे गलपटा लाल, पड़े जिसमें यह थप्पड़।।
-हरिओम श्रीवास्तव-
©Hariom Shrivastava
#flowers